संदर्भ:
नोएडा में एक रेस्टोरेंट मालिक को वेज बिरयानी की जगह चिकन बिरयानी पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इस पर BNS की धारा 271 के तहत FIR दर्ज की गई, जो जीवन के लिए खतरनाक संक्रमण फैलाने की आशंका से जुड़ी है।
धारा 269 और 270:
भारतीय दंड संहिता, 1870 की धारा 269 और 270 को नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) में धारा 271 और 272 के रूप में जस का तस रखा गया है।
इन धाराओं के अंतर्गत ऐसे कार्यों को दंडनीय माना गया है जो किसी जीवन के लिए खतरनाक बीमारी (disease dangerous to life) के संक्रमण को फैलाने की संभावना रखते हैं।
धारा 271 – लापरवाही से संक्रमण फैलाना:
- यदि कोई व्यक्ति लापरवाही (negligently) से ऐसा कार्य करता है जिससे गंभीर बीमारी का संक्रमण फैल सकता है, तो उसे इस धारा के तहत दंडित किया जाएगा।
- अधिकतम सजा: 6 महीने की जेल
- यह एक जमानती अपराध (bailable offence) है।
धारा 272 – जानबूझकर संक्रमण फैलाना:
- यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर या दुर्भावना से (malignantly) ऐसा कार्य करता है जिससे खतरनाक बीमारी फैल सकती है, तो वह इस धारा के तहत दोषी होगा।
- अधिकतम सजा: 6 महीने की जेल
- यह भी एक जमानती अपराध है।
अभियोजन पक्ष को क्या साबित करना होगा?
- यह सिद्ध करना होगा कि संबंधित बीमारीजीवन के लिए खतरनाक है – यानी मामूली या गैर-घातक बीमारियाँ इन धाराओं में शामिल नहीं होंगी।
- यह भी साबित करना होगा कि आरोपी को पता था या उसे यह आभास होना चाहिए था कि उसका कार्य (चाहे लापरवाही हो या दुर्भावना) संक्रमण फैलाने का कारण बन सकता है।
इस प्रकार, ये धाराएं महामारी जैसे मामलों में सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु बनाई गई हैं।