Competition Commission of India
संदर्भ:
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (उत्पादन लागत निर्धारण) विनियम, 2025 को अधिसूचित किया है।
यह विनियम प्रमुख कंपनियों द्वारा की जाने वाली शोषणकारी मूल्य निर्धारण (Predatory Pricing) से संबंधित मामलों में उत्पादन लागत का मूल्यांकन करने के लिए एक विस्तृत ढांचा प्रदान करता है।
- इससे मूल्य निर्धारण की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रथाओं पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी।
नए ढांचे की प्रमुख विशेषताएं:
- मामले–दर–मामला मूल्यांकन:
- क्षेत्र-विशिष्ट मापदंडों के बजाय, प्रत्येक मामले का स्वतंत्र विश्लेषण।
- डिजिटल बाजारों के बदलते परिदृश्य का लचीले ढंग से मूल्यांकन।
- उत्पादन लागत पर आधारित मूल्यांकन:
- कथित शिकारात्मक व्यवहार (Predatory Conduct) का मूल्यांकन औसत औद्योगिक लागत के बजाय वास्तविक उत्पादन लागत के आधार पर।
- वैध प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य निर्धारण और प्रतिस्पर्धा विरोधी मूल्य रणनीतियों में अंतर करना।
- उद्देश्य:
- बाजार प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाने वाली रणनीतियों की पहचान।
- प्रतिस्पर्धी और गैर-प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण में स्पष्टता।
डिजिटल वाणिज्य पर प्रभाव:
- पृष्ठभूमि: यह कदम ई-ग्रॉसरी, फूड डिलीवरी और ऑनलाइन रिटेल जैसे क्षेत्रों में छूट प्रथाओं पर बढ़ती निगरानी के बीच आया है।
- प्रमुख संदेश: प्रतिस्पर्धियों को समाप्त करने के लिए उपयोग की जाने वाली अस्थिर छूट नीति के खिलाफ सख्त चेतावनी।
- उद्देश्य:
- डिजिटल अर्थव्यवस्था में समान अवसर सुनिश्चित करना।
- उपभोक्ता कल्याण की रक्षा करना।
- निष्पक्ष बाजार प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
Predatory Pricing के बारे में:
- परिभाषा: प्रमुख फर्म द्वारा लागत से कम कीमत पर बेचकर प्रतिस्पर्धा को समाप्त करना।
- कानूनी प्रावधान:
- प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4(2)(a)(ii) के अनुसार आवश्यकताएँ:
- बाजार में प्रभुत्व
- लागत से कम मूल्य निर्धारण
- प्रतिस्पर्धियों को समाप्त करने का इरादा
- प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4(2)(a)(ii) के अनुसार आवश्यकताएँ:
नए CCI मानदंड:
- मूल्यांकन मापदंड:
- “बाजार मूल्य” के बजाय औसत कुल लागत (ATC) को मानक के रूप में अपनाया।
- अन्य मानदंड:
- औसत बचने योग्य लागत (AAC)
- दीर्घकालिक औसत वृद्धिशील लागत (LRAIC) (उद्योग-विशिष्ट)
- विशेषज्ञ सहायता:
- CCI विशेषज्ञ सहायता ले सकता है।
- फर्में स्वतंत्र समीक्षा का अनुरोध कर सकती हैं, जिसका खर्च उन्हें उठाना होगा।
प्रमुख विशेषताएँ
- वैध छूट की पहचान: प्रचार या सब्सिडी के रूप में दी गई वैध छूट को गैर-शिकारात्मक माना जाएगा।
- मूल उद्देश्य: बाजार-चालित मूल्य निर्धारण को बढ़ावा देना, अति-विनियमन से बचना।
- क्षेत्र–तटस्थ दृष्टिकोण: मीडिया द्वारा ई-कॉमर्स से जोड़ने के बावजूद, CCI ने इसे क्षेत्र–तटस्थ माना।
- लाभ: पारदर्शिता, निष्पक्षता और प्रतिस्पर्धात्मक संतुलन सुनिश्चित करना।