50 years of emergency
50 years of emergency –
संदर्भ:
25 जून को आपातकाल के 50 वर्ष पूरे हो गए। 50 वर्ष पहले भारत में घोषित आपातकाल न केवल एक राजनीतिक निर्णय था, बल्कि लोकतंत्र की मूल आत्मा पर गहरी चोट भी था। अगले 21 महीनों तक देश एक ऐसे दौर से गुज़रा जिसमें नागरिक अधिकार स्थगित कर दिए गए, विरोध की आवाज़ों को दबा दिया गया और सत्ता का संचालन संवैधानिक मर्यादाओं के बाहर जाकर किया गया। यह दौर आज भी भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक चेतावनी के रूप में याद किया जाता है।
राष्ट्रीय आपातकाल क्या है ? (अनुच्छेद 352)
परिभाषा:
राष्ट्रीय आपातकाल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत एक संवैधानिक प्रावधान है, जिसके तहत देश की सुरक्षा को खतरे की स्थिति में राष्ट्रपति आपातकाल घोषित कर सकते हैं।
आपातकाल घोषित करने के आधार–
राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल तब घोषित किया जा सकता है जब भारत या उसके किसी भाग की सुरक्षा को खतरा हो:
- युद्ध (War)
- बाह्य आक्रण (External Aggression)
- सशस्त्र विद्रोह (Armed Rebellion)
आधारों का विकास:
- मूल प्रावधान (1950): “आंतरिक अव्यवस्था” जैसे अस्पष्ट और व्यापक शब्द का उपयोग किया गया था।
- 38वाँ संशोधन अधिनियम (1975): राष्ट्रपति की संतुष्टि को अंतिम और न्यायिक समीक्षा से परे घोषित कर दिया गया।
- 44वाँ संशोधन अधिनियम (1978):
- “आंतरिक अव्यवस्था” को हटाकर “सशस्त्र विद्रोह” जोड़ा गया।
- न्यायिक समीक्षा का अधिकार पुनः बहाल किया गया।
घोषणा की प्रक्रिया (Process of Proclamation):
- प्रारंभ: केवल प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि पूर्ण मंत्रिमंडल (Union Cabinet) को राष्ट्रपति को लिखित सिफारिश देनी होती है।
- पूर्वानुमानिक शक्ति : आपातकाल युद्ध/आक्रमण/विद्रोह की पूर्व आशंका के आधार पर भी घोषित किया जा सकता है।
संसदीय अनुमोदन (Parliamentary Approval)
- समय सीमा: दोनों सदनों द्वारा 1 माह के भीतर अनुमोदन अनिवार्य।
- विशेष बहुमत (Special Majority) आवश्यक:
- कुल सदस्यों का बहुमत
- उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत
- अवधि: 6 माह के लिए वैध; हर 6 माह में नवीन अनुमोदन से अनिश्चितकाल तक बढ़ाया जा सकता है।
क्षेत्रीय विस्तार (Territorial Application)
- मूल स्थिति: पूरे देश पर लागू।
- 42वाँ संशोधन अधिनियम (1976): आपातकाल को विशिष्ट राज्य या क्षेत्र तक सीमित करने का प्रावधान जोड़ा गया।
न्यायिक समीक्षा (Judicial Review)
- पूर्व-1975: आपातकाल की घोषणा को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती थी।
- 38वाँ संशोधन: राष्ट्रपति की घोषणा न्यायिक समीक्षा से मुक्त हो गई।
- 44वाँ संशोधन: न्यायिक समीक्षा पुनः बहाल की गई।
- मिनर्वा मिल्स केस (1980): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपातकाल की घोषणा मलाफाइड, अप्रासंगिक या निरर्थक आधारों पर हो, तो इसे अवैध ठहराया जा सकता है।
आपातकाल की समाप्ति (Revocation):
- राष्ट्रपति कभी भी आपातकाल को समाप्त कर सकते हैं, इसके लिए संसद की अनुमति आवश्यक नहीं है।
- लोकसभा की निगरानी:
- यदि लोकसभा के 1/10 सदस्य लिखित सूचना दें, तो स्पीकर या राष्ट्रपति को 14 दिनों के भीतर विशेष सत्र बुलाना होगा।
- साधारण बहुमत से पारित निरस्त प्रस्ताव (Disapproval Motion) के माध्यम से आपातकाल को समाप्त किया जा सकता है।