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एक उम्मीदवार एकाधिक निर्वाचन क्षेत्र (OCMC): रामनाथ कोविंद पैनल द्वारा समान चुनाव (Simultaneous Elections) की सिफारिशों के बाद, चुनाव सुधारों पर नई बहस शुरू हो गई है। इनमें एक महत्वपूर्ण मुद्दा है – एक उम्मीदवार द्वारा कई निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ना (One Candidate Multiple Constituency – OCMC)।
पृष्ठभूमि:
भारत के संविधान में संसद को चुनाव प्रक्रिया को नियंत्रित करने का अधिकार दिया गया है। इसके अंतर्गत जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act – RPA, 1951) चुनावी प्रक्रिया का संचालन करता है।
- 1996 से पहले की स्थिति: किसी भी उम्मीदवार के लिए एक चुनाव में अनगिनत निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं थी।
- 1996 में संशोधन: संसद ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन किया, जिसके बाद एक उम्मीदवार को अधिकतम दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई।
- प्रचलन जारी: इस संशोधन के बावजूद, खासकर राज्य विधानसभा चुनावों में एक उम्मीदवार द्वारा कई सीटों से चुनाव लड़ने की प्रथा अभी भी जारी है।
- हालिया उदाहरण:
- नवंबर 2024 में लगभग 44 उपचुनाव कराए गए क्योंकि विधायकों ने सीटें खाली कर दी थीं।
- यह दर्शाता है कि सीट खाली करने के कारण न केवल अतिरिक्त चुनावी खर्च बढ़ता है बल्कि संसाधनों की भी बर्बादी होती है।
OCMC के लाभ (Advantages):
- सुरक्षा कवच (Safety Net for Candidates):
- उम्मीदवार अनिश्चित मुकाबलों में कम से कम एक सीट जीतने के लिए कई क्षेत्रों से चुनाव लड़ते हैं।
- यह रणनीति करीबी चुनावों में बैकअप विकल्प प्रदान करती है।
- नेतृत्व की निरंतरता (Leadership Continuity): यदि कोई बड़ा नेता एक सीट हार जाए, तो OCMC पार्टी में स्थिरता और नेतृत्व बनाए रखता है।
- लोकप्रियता और प्रभाव का प्रदर्शन (Demonstrating Popularity):
- कई क्षेत्रों से चुनाव लड़ने से उम्मीदवार अपनी व्यापक समर्थन क्षमता और लोकप्रियता प्रदर्शित कर सकते हैं।
- यह पार्टी की साख बढ़ाता है और वोटरों को आकर्षित करता है।
- रणनीतिक वोट विभाजन (Strategic Vote Division):
- विपक्ष के वोटों को विभाजित करने में यह रणनीति मदद करती है।
- इससे पार्टी को चुनावी प्रदर्शन में बढ़त मिलती है।
- राजनीतिक संदेश और प्रचार (Political Message):
- बड़े नेता अधिक क्षेत्रों तक अपनी बात पहुंचा पाते हैं।
- इससे पार्टी का संदेश मजबूत होता है और समर्थन बढ़ता है।
- नेतृत्व बदलाव में लचीलापन (Flexibility in Leadership Transition): यदि कोई नेता सीट न जीत पाए, तो OCMC से पार्टी को नेतृत्व बनाए रखने में मदद मिलती है।
चुनौतियाँ (Challenges):
- वित्तीय बोझ:
- 2024 के आम चुनावों का अनुमानित खर्च: ₹6,931 करोड़।
- यदि एक उम्मीदवार दो सीटें जीतकर एक खाली करता है, तो उपचुनाव का खर्च ₹130 करोड़ तक पहुँच सकता है।
- सत्ताधारी पार्टियों को फायदा: उपचुनावों में सत्ताधारी पार्टियाँ संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल से जीत की संभावना बढ़ा लेती हैं, जिससे विपक्ष कमजोर पड़ता है।
- वित्तीय दबाव: बार-बार चुनाव लड़ने से उम्मीदवारों और पार्टियों पर आर्थिक दबाव बढ़ता है।
- लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन: यह प्रथा जनता की अपेक्षाओं की जगह उम्मीदवारों के हितों को प्राथमिकता देती है।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन: 2023 की याचिका (Ashwini Kumar Upadhyay vs Union of India) में तर्क दिया गया कि OCMC नागरिकों के विश्वास और अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन करता है।
- वोटर भ्रम और उदासीनता (Voter Confusion): उदाहरण: वायनाड में राहुल गांधी के सीट छोड़ने के बाद उपचुनावों में मतदान प्रतिशत गिरा।
चुनाव आयोग (ECI) और अन्य सिफारिशें:
- RPA, 1951 में संशोधन: चुनाव आयोग ने धारा 33(7) में संशोधन की सिफारिश की है, ताकि किसी उम्मीदवार के एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया जा सके।
- विधि आयोग की 255वीं रिपोर्ट (2015): विधि आयोग ने भी इसी प्रकार एक उम्मीदवार, एक सीट के नियम की सिफारिश की थी।
- उप–चुनाव का खर्च वसूलना: चुनाव आयोग ने यह भी सुझाव दिया कि उम्मीदवारों से पूरा खर्च वसूला जाए, जो सीट खाली करने के कारण उप–चुनाव की स्थिति पैदा करते हैं।