Download Today Current Affairs PDF
जैव विविधता पर अभिसमय (CBD) के पक्षकारों का 16वां सम्मेलन (सीओपी16) कोलंबिया के कैली में शुरू होने वाला है।
जैव विविधता पर कन्वेंशन (CBD) के बारे में:
जैव विविधता पर कन्वेंशन (Convention on Biological Diversity – CBD) एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जिसका उद्देश्य जैविक विविधता का संरक्षण, उसके सतत उपयोग को प्रोत्साहित करना और आनुवंशिक संसाधनों से उत्पन्न होने वाले लाभों का न्यायसंगत और निष्पक्ष बंटवारा सुनिश्चित करना है। इसे 1992 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण एवं विकास सम्मेलन (Earth Summit) के दौरान प्रस्तुत किया गया और आज इसके 196 सदस्य देश हैं। यह संधि विश्व की जैव विविधता को संरक्षित करने और उसके टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
CBD के मुख्य उद्देश्य: CBD के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं, जो इस संधि की नींव रखते हैं:
- जैव विविधता का संरक्षण: इसका प्रमुख लक्ष्य पारिस्थितिकी तंत्र, प्रजातियों और आनुवंशिक संसाधनों की रक्षा करना है, ताकि पृथ्वी की जैविक विविधता सुरक्षित रह सके।
- जैव विविधता का सतत उपयोग: इस उद्देश्य के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग इस प्रकार से किया जाए कि वे नष्ट न हों और भविष्य में भी इनका उपयोग संभव हो सके। इसके लिए दीर्घकालिक रणनीतियों और टिकाऊ प्रथाओं को अपनाया जाता है।
- आनुवंशिक संसाधनों से प्राप्त लाभों का न्यायसंगत बंटवारा: यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि आनुवंशिक संसाधनों से प्राप्त होने वाले लाभों का उचित बंटवारा हो, खासकर उन समुदायों के साथ, जो इन संसाधनों के संरक्षक होते हैं।
CBD का शासी निकाय:
- CBD का मुख्य शासी निकाय पार्टियों का सम्मेलन (Conference of the Parties – COP) है। C
- OP की बैठक हर दो साल में आयोजित होती है, जिसमें सभी सदस्य देश जैव विविधता के संरक्षण और इसके सतत उपयोग से संबंधित प्रगति की समीक्षा करते हैं और भविष्य के लिए रणनीतियां निर्धारित करते हैं।
- COP में पारित निर्णय जैविक विविधता को बनाए रखने और उसके दीर्घकालिक संरक्षण के लिए नई नीतियों और कार्य योजनाओं को लागू करने में मदद करते हैं।
महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल: CBD के तहत दो महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल बनाए गए हैं:
- कार्टाजेना प्रोटोकॉल (2000): यह प्रोटोकॉल जीवित संशोधित जीवों (LMOs) की सीमापार आवाजाही को नियंत्रित करता है, ताकि जैव विविधता पर उनके संभावित खतरों से बचा जा सके। यह जैव सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कानूनी उपाय प्रदान करता है।
- नागोया प्रोटोकॉल (2010): यह प्रोटोकॉल आनुवंशिक संसाधनों से उत्पन्न लाभों के निष्पक्ष और न्यायसंगत बंटवारे के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी ढांचा स्थापित करता है। इसका उद्देश्य है कि जो देश या समुदाय इन संसाधनों को प्रदान करते हैं, उन्हें इसके उपयोग से उत्पन्न लाभों का उचित हिस्सा मिले।
CBD का महत्व:
- जैव विविधता पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन और मानव कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- इसके संरक्षण से न केवल पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता बनी रहती है, बल्कि खाद्य सुरक्षा, जल आपूर्ति, और स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार होता है।
- CBD यह सुनिश्चित करता है कि जैविक संसाधनों का सतत उपयोग किया जाए ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ भी इन संसाधनों का लाभ उठा सकें।
- यह संधि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों की अति-खपत जैसे मुद्दों का समाधान निकालने में सहायक सिद्ध हुई है।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का संबंध:
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल और CBD दो अलग संधियां हैं, दोनों का उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा है।
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) मुख्य रूप से ओजोन परत को नष्ट करने वाले रसायनों के उत्पादन और खपत को नियंत्रित करता है, जबकि CBD जैव विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग पर केंद्रित है।
- दोनों संधियां पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक दूसरे का पूरक कार्य करती हैं और वैश्विक पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देती हैं।
निष्कर्ष: जैव विविधता पर कन्वेंशन (CBD) एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जो जैविक विविधता के संरक्षण, सतत उपयोग और आनुवंशिक संसाधनों से उत्पन्न लाभों के न्यायसंगत बंटवारे पर केंद्रित है। यह संधि पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और मानव कल्याण के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। COP और इसके तहत बने प्रोटोकॉल जैसे कार्टाजेना और नागोया, इस संधि के उद्देश्यों को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हुए हैं।
Explore our Books: https://apnipathshala.com/product-category/books/
Explore Our test Series: https://tests.apnipathshala.com/