संदर्भ:
प्राइवेट मेंबर बिल्स (PMBs) ने अपनी लोकतांत्रिक महत्वता के बावजूद विचार-विमर्श में तेज गिरावट देखी है। एनएचआरसी, विशेषज्ञों और सांसदों ने पीएमबी को विधायी नवाचार और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के उपकरण के रूप में पुनर्जीवित करने के लिए प्रक्रियागत सुधारों का आग्रह किया है।
Private Member’s Bill (PMB) क्या है?
- यह एक विधेयक (bill) होता है जिसे किसी मंत्री के अलावा कोई सांसद (सांसद जो मंत्री नहीं है) प्रस्तावित करता है।
- इसका उद्देश्य व्यक्तिगत या दलगत विचारों को रखना होता है, यह सरकार की आधिकारिक नीति नहीं होती।
संसद में प्रक्रिया:
- शुक्रवार को लोकसभा और राज्यसभा में प्रस्तुत किए जाते हैं (नियमों के अनुसार)।
- प्रक्रिया वही होती है जैसे सरकारी विधेयकों की—प्रथम पाठ, चर्चा, मतदान।
- यदि दोनों सदनों से पारित हो जाए और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाए, तो यह कानून बन सकता है।
हालिया आँकड़े व गिरावट:
- स्वतंत्रता के बाद से सिर्फ 14 PMBs कानून बने हैं।
- 1970 के बाद से कोई भी PMB दोनों सदनों से पारित नहीं हुआ।
17वीं लोकसभा (2019–2024):
- 729 PMBs पेश हुए
- केवल 2 पर चर्चा हुई
18वीं लोकसभा (2024):
- अब तक 64 PMBs पेश,
- किसी पर भी चर्चा नहीं हुई
2024 शीतकालीन सत्र:
- लोकसभा ने PMBs पर सिर्फ 0.15 घंटे खर्च किए
- राज्यसभा ने 0.62 घंटे
PMBs में गिरावट के कारण:
- सरकारी कार्यों को प्राथमिकता: शुक्रवार को PMBs के लिए निर्धारित समय अक्सर सरकारी विधायी कार्यों में ही निकल जाता है।
- बार–बार स्थगन और व्यवधान: संसद में वॉकआउट और अस्थायी स्थगन के कारण PMBs के लिए निर्धारित समय में कटौती हो जाती है।
- दल–बदल विरोधी कानून का प्रभाव: 52वें संविधान संशोधन (1985) के बाद से सांसद दल की लाइन से हटकर बिल लाने में संकोच करते हैं, भले वह निजी विधेयक ही क्यों न हो।
- सांसदों की रुचि की कमी और समय प्रबंधन: कई सांसद शुक्रवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र लौट जाते हैं, जिससे उपस्थित नहीं रहते और PMBs उपेक्षित रह जाते हैं।
- अध्यक्ष/सभापति का विवेकाधिकार: विधेयकों को चर्चा के लिए कब लिया जाए, यह अध्यक्ष या सभापति के विवेक पर निर्भर करता है, जिससे कई बार चर्चा नहीं हो पाती।
Private Member’s Bills का महत्व
- निजी पहल का माध्यम: ये विधेयक सांसदों को पार्टी लाइन से हटकर स्वतंत्र रूप से अपनी राय रखने और कानून प्रस्तावित करने का अवसर देते हैं।
- छूटे हुए मुद्दों पर ध्यान केंद्रित: PMBs के माध्यम से ऐसे महत्वपूर्ण सामाजिक, कानूनी या नीति संबंधी मुद्दे उठाए जाते हैं जिन्हें सरकार के विधेयकों में अनदेखा किया गया हो।
- कानूनी ढांचे की खामियों की पहचान: मौजूदा कानूनों में जो अंतर या कमी हो, PMBs के माध्यम से उन्हें दूर करने का प्रयास किया जा सकता है।
- लोकतांत्रिक विविधता का प्रतीक: ये विधेयक संसद में विचारों की विविधता और सांसदों की वास्तविक सहभागिता को दर्शाते हैं।