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स्पेस डॉकिंग हासिल करने वाला भारत चौथा देश बन गया

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संदर्भ:

स्पेस डॉकिंग: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 16 जनवरी 2025 को अंतरिक्ष में दो उपग्रहों, चेज़र और टारगेट, का डॉकिंग प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न की। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ भारत अंतरिक्ष में बिना मानवयुक्त डॉकिंग प्रक्रिया को पूरा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है।

SpaDeX मिशन: एक संक्षिप्त विवरण:

  1. मिशन का उद्देश्य:
    • SpaDeX मिशन (Space Docking Experiment) का मुख्य उद्देश्य दो छोटे उपग्रहों, चेज़रऔर टार्गेट, के बीच स्वचालित डॉकिंग संचालन का परीक्षण करना था।
    • यह मिशन कम पृथ्वी कक्षा (LEO) में डॉकिंग तकनीक को आत्मनिर्भर रूप से प्रदर्शन करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
  2. लॉन्च और मिशन प्रारंभ:
    • मिशन को PSLV-C60 रॉकेट के साथ श्रीहरिकोटा स्थित सतिश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया।
    • लॉन्च के समय, चेज़र और टार्गेट अंतरिक्ष यान के बीचसापेक्ष वेग दिया गया था, ताकि उनका पृथक्करण सुरक्षित रूप से हो सके।
  3. डॉकिंग प्रक्रिया:
    • मिशन के दौरान, चेज़र और टार्गेट के बीच की दूरी5 किमी से घटकर 3 मीटर तक पहुंची।
    • इस प्रक्रिया के अंत में, दोनों उपग्रहों के बीचसफल डॉकिंग का संचालन पूरा हुआ।
  4. तकनीकी महत्व:
    • इस मिशन नेस्वचालित डॉकिंग संचालन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण तकनीकी क्षमता का परीक्षण किया, जो भविष्य में अंतरिक्ष मिशनों में सहायक होगा।
    • यह मिशन अंतरिक्ष में विभिन्न यान के बीच सहयोग और संचालन की क्षमता को दर्शाता है।

मिशन जीवन: डॉकिंग संचालन के बाद दो साल तक

स्वदेशी तकनीकों का उपयोग:

  1. इंटर-सैटेलाइट कम्युनिकेशन लिंक (ISL): अंतरिक्ष यान के बीच स्वायत्त संचार के लिए।
  2. GNSS आधारित नवाचारात्मक सापेक्ष कक्षा निर्धारण और प्रसार (RODP) प्रोसेसर: अन्य अंतरिक्ष यानों की सापेक्ष स्थिति और वेग का निर्धारण करने के लिए।
  3. अन्य स्वदेशी तकनीकें:
    • डॉकिंग तंत्र
    • सेंसर सूट
    • स्वायत्त रेंडेवस और डॉकिंग रणनीति आदि

स्पेस डॉकिंग क्या है?

  • NASA के अनुसार, डॉकिंग को “मिलन संचालन” के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें एक सक्रिय वाहन अपने ही पावर से मिलन इंटरफेस में प्रवेश करता है।
  • स्पेस डॉकिंग प्रक्रिया
    • स्पेस डॉकिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक अंतरिक्ष यान स्वचालित रूप से दूसरे अंतरिक्ष वस्तु से जुड़ने के लिए अपने आप को नियंत्रित करते हुए मैन्युवर करता है।
    • इस प्रक्रिया में, अंतरिक्ष यान अपने इंटर्नल सिस्टम का उपयोग करके कक्षा में दूसरे अंतरिक्ष यान या वस्तु से जुड़ता है।

SpaDex मिशन का महत्व

  1. भारत के अंतरिक्ष लक्ष्यों के लिए आवश्यक: जैसे चंद्रमा से सैंपल रिटर्न, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की स्थापना आदि।
  2. सैटेलाइट सेवा और रखरखाव: डॉकिंग के माध्यम से सैटेलाइट्स की सेवा और ईंधन भरने की सुविधा, जिससे उनके संचालन का जीवनकाल बढ़ता है।
  3. भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों का समर्थन: यह मिशन तब मददगार होता है जब एक सामान्य मिशन उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च की आवश्यकता होती है।
  4. अन्य महत्व: भविष्य में अंतरिक्ष रोबोटिक्स, प्राकृतिक संसाधन निगरानी, और वनस्पति अध्ययन जैसे अनुप्रयोगों में सहायक।

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