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हींग की खेती (Asafoetida (Heeng) Cultivation) | Apni Pathshala

Asafoetida (Heeng) Cultivation

Asafoetida (Heeng) Cultivation

संदर्भ:

28 मई 2025 को सीएसआईआर (CSIR) ने पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में हींग के पहले पुष्पन और बीज सेट की सफल रिपोर्ट दी।

  • यह ऐतिहासिक उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि हींग की खेती अब भारत में भी संभव है। ज्ञात हो कि भारत लंबे समय तक हींग के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर था। इस स्थिति को बदलने के लिए सरकार ने पिछले दशक की शुरुआत में एक राष्ट्रीय पहल शुरू की थी, जिसमें पालमपुर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (IHBT) ने नेतृत्व किया।
  • इस पहल का उद्देश्य देश में हींग की स्वदेशी खेती को प्रोत्साहित करना और आयात पर निर्भरता को समाप्त करना था।
Asafoetida (Heeng) Cultivation: भारत में स्वदेशी खेती की ओर एक महत्वपूर्ण कदम
  • एक बहुवर्षीय शाकीय पौधा है, जो Umbelliferae परिवार से संबंधित है।
  • जड़ से प्राप्त ओलियोगम रेजिन को ही मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • पौधा आमतौर पर 5 वर्षों बाद रेजिन देना शुरू करता है

उपयुक्त जलवायु स्थलाकृतिक आवश्यकताएँ:

  • जलवायु: ठंडी और शुष्क (cold-arid) परिस्थितियाँ अनुकूल होती हैं।
  • मिट्टी: बलुई, अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी व कम नमी उपयुक्त।
  • वर्षा:
    • आदर्श वार्षिक वर्षा: 200 मिमी से कम,
    • अधिकतम सहनीय वर्षा: 300 मिमी (भारतीय हिमालयी क्षेत्र में)
  • तापमान:
    • आदर्श: 10–20°C,
    • अधिकतम सहनशील: 40°C,
    • न्यूनतम सहनशील: –4°C
  • ठंडी व अत्यधिक शुष्क जलवायु में पौधे निष्क्रिय हो जाते हैं (Dormant phase)।

भारत में उपयुक्त क्षेत्र:

  • लाहौल-स्पीति (हिमाचल प्रदेश)
  • उत्तरकाशी (उत्तराखंड) ये ऊँचाई वाले अर्ध-शुष्क क्षेत्र हींग की खेती के लिए अनुकूल माने जाते हैं।

महत्त्व उपयोग:

  • भारतीय व्यंजनों में प्राचीन काल से एक लोकप्रिय मसाला
  • औषधीय लाभ:
    • पाचन, पेट के विकार, ऐंठन,
    • अस्थमा, ब्रोंकाइटिस,
    • मासिक धर्म में अत्यधिक रक्तस्राव व प्रसव पीड़ा में राहत।

भारत में स्थिति:

  • भारत हींग का सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
  • लेकिन अब तक भारत में घरेलू उत्पादन नहीं होता था।
  • हींग का आयात अफगानिस्तान, ईरान और उज्बेकिस्तान से किया जाता है।

सरकारी पहल:

  • CSIR-IHBT, पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) के तहत राष्ट्रीय स्तर पर हींग की स्वदेशी खेती को बढ़ावा देने की पहल।
  • बीजों का आयात: पहले ईरान से, फिर अफगानिस्तान
  • ICAR-NBPGR (नई दिल्ली) से आयात और क्वारंटीन अनुमति प्राप्त की गई।
  • प्रयोगात्मक खेती:
    • IHBT पालमपुर और
    • रिबलिंग (लाहौल-स्पीति) में परीक्षण।
  • हींग जर्मप्लाज्म रिसोर्स सेंटर की स्थापना:
    • 5 मार्च 2022 को उद्घाटन।
    • यह केंद्र संरक्षण, शोध, प्रशिक्षण, बीज उत्पादन एवं पौध प्रवर्धन का राष्ट्रीय केंद्र है।

निष्कर्ष: हींग की स्वदेशी खेती भारत को आत्मनिर्भर बनाने, विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने, और पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों को नई आर्थिक दिशा देने में सहायक साबित हो सकती है।

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