10 Years of Digital India Mission
10 Years of Digital India Mission –
संदर्भ:
भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई 2015 को शुरू किया गया डिजिटल इंडिया कार्यक्रम देश को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था और डिजिटली सशक्त समाज में बदलने की एक दूरदर्शी पहल है। इस मिशन ने बीते वर्षों में कई ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल की हैं—जहाँ इंटरनेट कनेक्शन की संख्या 250 मिलियन से बढ़कर 970 मिलियन हो गई है, वहीं UPI हर वर्ष 100 अरब से अधिक लेनदेन को संभाल रहा है। साथ ही, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से ₹3.48 लाख करोड़ की बचत हुई है, जिससे देशभर के MSMEs को भी सशक्त बनाया गया है।
डिजिटल इंडिया के तहत प्रमुख उपलब्धियाँ (2014–2024)-
- डिजिटल अर्थव्यवस्था में योगदान:
- 2022–23 में राष्ट्रीय आय में 11.74% का योगदान।
- 2024–25 तक यह बढ़कर 13.42% होने का अनुमान।
- ICRIER की रिपोर्ट (2024) के अनुसार भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है डिजिटलाइजेशन के मामले में।
- कनेक्टिविटी और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर:
- इंटरनेट कनेक्शन: 2014 में 25.15 करोड़ → 2024 में 96.96 करोड़।
- भारतनेट के माध्यम से 2.18 लाख ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ा गया।
- डिजिटल फाइनेंस और समावेशी वित्तीय प्रणाली:
- डिजिटल भुगतान: 2023 में वैश्विक रियल-टाइम डिजिटल भुगतानों का 49% भारत में हुआ। UPI अब 7 से अधिक देशों में सक्रिय।
- आधार आधारित प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT): फर्जी लाभार्थियों को हटाकर ₹3.48 लाख करोड़ की बचत हुई।
- रणनीतिक तकनीकी क्षमताओं का विकास:
- IndiaAI मिशन, India Semiconductor Mission (अब तक 6 प्रोजेक्ट स्वीकृत)।
- SEMICON INDIA 2025 के तहत अर्धचालक निर्माण को बढ़ावा।
- ई–गवर्नेंस और डिजिटल सेवाएँ:
- Karmayogi Bharat iGOT प्लेटफॉर्म के माध्यम से सिविल सेवकों का प्रशिक्षण।
- UMANG ऐप द्वारा केंद्रीय व राज्य सरकार की सेवाओं की डिजिटल पहुँच को सशक्त किया गया।
भारत के डिजिटल इकोसिस्टम से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ:
- डिजिटल विभाजन: शहरी क्षेत्रों में इंटरनेट पहुँच 66% जबकि ग्रामीण भारत में केवल 24%। इससे डिजिटल शिक्षा, ई-हेल्थ और सरकारी सेवाओं तक समान पहुँच बाधित होती है।
- साइबर सुरक्षा व डेटा गोपनीयता: 2024 में भारत दुनिया में दूसरा सबसे अधिक साइबर हमलों का शिकार बना (95 प्रमुख डाटा लीक)। डिजिटल फ्रॉड और डिजिटल गिरफ्तारी जैसे घोटालों में भारी वृद्धि।
- खंडित डिजिटल अवसंरचना: राज्यों के बीच डिजिटलीकरण में असमानता और इंटरऑपरेबिलिटी की कमी से सेवाओं की सुचारू डिलीवरी में बाधा आती है।
- डिजिटल साक्षरता की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी ज्ञान सीमित। NSSO (2020-21) के अनुसार 15 वर्ष+ आयु वर्ग में केवल 7% कंप्यूटर साक्षर। IT व BFSI क्षेत्रों में 2.9 करोड़ कुशल कर्मियों की कमी।
- नवाचार प्रौद्योगिकियों के लिए नियामक शून्य: AI, Blockchain, IoT जैसे क्षेत्रों में नीति स्पष्ट नहीं; भारत में अभी जेनरेटिव AI और उससे जुड़ी कॉपीराइट व्यवस्था स्पष्ट नहीं है।
- सरकार–निजी क्षेत्र समन्वय की कमी: सरकारी प्लेटफॉर्म (GeM, MyGov) निजी तकनीक पर निर्भर, जिससे डेटा स्वामित्व और लचीलापन को लेकर चिंता।
- वंचित समुदायों की डिजिटल बहिष्कृति: आदिवासी, पिछड़े वर्ग और ग्रामीण महिलाएं अभी भी डिजिटल क्रांति से बाहर हैं। केवल 33% महिलाएं ही कभी इंटरनेट का उपयोग कर पाई हैं (NFHS-5)।