Apni Pathshala

गरीब कल्याण के 11 वर्षों की यात्रा (11 Years of Garib Kalyan) | UPSC Preparation

11 Years of Garib Kalyan

सामान्य अध्ययन पेपर II: गरीबी और भूख से संबंधित मुद्दे 

 
चर्चा में क्यों (11 Years of Garib Kalyan)? 

हाल ही में केंद्र सरकार ने 5 जून 2025 को गरीब कल्याण के 11 वर्ष पूरे होने पर उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि इन 11 वर्षों में हर नीति सेवा, सुशासन और वंचितों के कल्याण को समर्पित रही है। इन प्रयासों से देश में व्यापक बदलाव आए हैं और गरीब वर्ग को सीधा लाभ मिला है।

गरीब कल्याण की नींव कैसे रखी गई?

  • भारत में गरीबी उन्मूलन लंबे समय से एक चुनौतीपूर्ण विषय रहा है, 2014 के बाद केंद्र सरकार ने इसे एक प्राथमिक लक्ष्य के रूप में अपनाया। 
  • इस दौर में नीति निर्माण का तरीका बदला गया, योजनाओं को लाभार्थी-केंद्रित बनाया गया और डिजिटल पारदर्शिता को बढ़ावा मिला। 
  • 2014 के बाद सरकार ने गरीबी को केवल आय की कमी तक सीमित नहीं माना। इसे स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, पोषण, और सामाजिक सम्मान से जोड़कर देखा गया। इसके कारण नीति निर्माण का दायरा विस्तृत हुआ। 
  • इसमें सरकार ने जनभागीदारी को केंद्र में रखा है। ग्राम सभाओं, स्थानीय निकायों और स्वयंसेवी संगठनों को योजना निर्माण और क्रियान्वयन में शामिल किया गया। इससे योजनाएँ स्थानीय ज़रूरतों के अनुसार ढल सकीं।
  • प्रत्येक लाभार्थी को सीधे खाते में पैसे भेजना एक सफल नीति साबित हुई। जनधन खातों, आधार संख्या, और मोबाइल लिंकिंग के माध्यम से DBT प्रणाली को सशक्त किया गया।
  • गरीबों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार ने सामाजिक समावेशन पर बल दिया। जाति, धर्म, लिंग, क्षेत्र के भेदभाव से ऊपर उठकर योजनाएँ सभी के लिए समान रूप से लागू की गईं। 
  • सरकार ने एकरूपता से हटकर योजनाओं में स्थानीय विविधता को स्वीकारा। आदिवासी क्षेत्रों में वनाधिकार, पर्वतीय क्षेत्रों में परिवहन भत्ता, और शहरी गरीबों के लिए नवीन आवास योजनाएँ लाईं गईं।

प्रमुख गरीब कल्याणकारी योजनाएँ

  • प्रधानमंत्री जन धन योजना (2014): इस योजना के तहत हर नागरिक को बैंकिंग सेवा से जोड़ने का प्रयास किया गया। पहले जिनके पास बैंक खाता नहीं था, अब वे सरकारी सहायता सीधे अपने खाते में पा सकते हैं। जन धन खाते के साथ रुपे कार्ड, बीमा कवर और ब्याज सहित बचत की सुविधा भी दी गई। यह योजना गरीबों के लिए सुरक्षित आर्थिक प्रणाली की पहली सीढ़ी बनी।
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (2016): इस योजना के ज़रिए गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया गया। पहले महिलाएँ धुएँ में लकड़ी जलाकर खाना बनाती थीं, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता था। उज्ज्वला योजना से न केवल रसोई सुरक्षित हुई, बल्कि महिलाओं का समय और श्रम भी बचा। 
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (2015): सरकार का लक्ष्य है कि हर व्यक्ति के पास सम्मानपूर्वक रहने का घर हो। इस योजना में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों को सस्ती कीमत पर पक्के मकान दिए जाते हैं। मकान निर्माण में शौचालय, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी शामिल होती हैं।
  • आयुष्मान भारत योजना (2018): आयुष्मान भारत के तहत गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज सरकारी और निजी अस्पतालों में मिलता है। पहले जहाँ गरीब इलाज के अभाव में पीड़ा सहते थे, अब उन्हें स्वास्थ्य की गारंटी मिली है। यह दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना मानी जाती है।
  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN : 2019): इस योजना में छोटे और सीमांत किसानों को हर साल 6000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। पैसा सीधे बैंक खातों में भेजा जाता है, जिससे बिचौलियों का हस्तक्षेप खत्म होता है। यह योजना किसानों को बीज, खाद, उपकरण खरीदने में मदद करती है और खेती को सहारा देती है।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा: 2006): यह योजना गाँवों में रहने वाले बेरोजगारों को 100 दिन का रोज़गार सुनिश्चित करती है। इसके अंतर्गत सड़क, तालाब, कुआँ जैसे निर्माण कार्य कराए जाते हैं, जिससे गांव में बुनियादी ढाँचा भी सुधरता है। 
  • सौभाग्य योजना (2017): इस योजना का उद्देश्य था कि हर घर तक बिजली पहुँचे। जिन घरों में अब तक बिजली नहीं पहुँची थी, वहाँ मुफ्त कनेक्शन दिए गए। बिजली से न केवल पढ़ाई आसान हुई, बल्कि रोज़गार और सुरक्षा में भी सुधार आया।
  • हर घर जल अभियान (2019): यह योजना हर घर में नल से पीने योग्य जल पहुँचाने के लिए शुरू की गई। गाँवों में महिलाएँ रोज़ाना कई किलोमीटर दूर से पानी लाती थीं, अब यह कठिनाई कम हुई है। यह योजना स्वास्थ्य और समय की बचत के साथ जीवन गुणवत्ता में सुधार लाने का प्रयास है।
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (2020): महामारी के कठिन दौर में जब आजीविका ठप हो गई थी, सरकार ने मुफ्त राशन देकर भूख से लड़ाई लड़ी। गेहूं, चावल और दाल जैसी ज़रूरी चीजें करोड़ों लोगों तक पहुंचीं, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि कोई भी रात को भूखा न सोए।
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज: महामारी के समय सरकार ने गरीबों को वित्तीय सहायता, मुफ्त गैस सिलेंडर, बुढ़ापे और विधवा पेंशन, और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बीमा जैसी सुविधाएँ दीं। यह पैकेज संकट में सहारा बनकर सामने आया और गरीबों के जीवन को स्थिरता दी।

गरीब कल्याणकारी योजनाओं की उपलब्धियाँ

  • प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY): देशभर में वित्तीय समावेशन की दिशा में बड़ी छलांग लेते हुए इस योजना के ज़रिये 52 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक खाते खोले गए हैं। पहले जहाँ खातों में जमा राशि सीमित थी, अब वह बढ़कर ₹2.32 ट्रिलियन से अधिक हो गई है। खास बात यह है कि महिलाओं की भागीदारी 55.6% तक पहुँची है, और अधिकतर खाते ग्रामीण इलाकों में खुले हैं।
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY): रसोई गैस को लकड़ी और धुएं से मुक्ति का ज़रिया बनाते हुए इस योजना ने अब तक 10.33 करोड़ परिवारों तक एलपीजी कनेक्शन पहुंचाया है। उज्ज्वला 2.0 के अंतर्गत भी 2.34 करोड़ नए लाभार्थी जोड़े गए हैं, जिससे रसोई अब और सुरक्षित व स्वच्छ हो सकी है।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी): शहरों में बेघर लोगों के लिए पक्के मकान का सपना अब ज़मीनी सच्चाई बन चुका है। सरकार ने अब तक 116.97 लाख मकानों को स्वीकृति दी है, जिनमें से 93 लाख से अधिक घर पूर्ण रूप से तैयार हो चुके हैं। 
  • आयुष्मान भारत योजना: स्वास्थ्य को आर्थिक बोझ से मुक्त करने के लिए यह योजना वरदान बनी है। अब तक 11.4 करोड़ से अधिक पात्र लोगों को स्वास्थ्य ई-कार्ड जारी किए गए हैं। इससे ₹9,205 करोड़ मूल्य का निःशुल्क इलाज संभव हुआ है और 1.09 करोड़ बार अस्पतालों में भर्ती की सुविधा दी गई है।
  • पीएम-किसान योजना: सीधे किसानों के खाते में आर्थिक मदद पहुँचाने वाली यह ऐतिहासिक पहल अब तक 9.8 करोड़ किसानों को लाभ पहुँचा चुकी है। हर वर्ष मिलने वाली ₹6,000 की सहायता, तीन किस्तों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से दी जाती है, जिसमें महिलाओं की हिस्सेदारी भी बढ़ रही है।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा): ग्रामीण भारत में रोज़गार के अवसर सृजित करने वाली इस योजना ने बीते दशक में बदलाव की नई इबारत लिखी है। 266 प्रकार के कार्यों को मंजूरी दी गई है, जिनमें बड़ी संख्या में कृषि और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से जुड़े हैं। गांवों में परिसंपत्तियाँ 526% की दर से बढ़ी हैं, और महिलाओं की भागीदारी अब 58% तक पहुँच चुकी है।
  • जल जीवन मिशन: ग्रामीण घरों तक नल के पानी की पहुँच बढ़ाना इस योजना का मूल उद्देश्य है। अब तक 5.38 करोड़ ग्रामीण घरों में पाइपलाइन से पेयजल कनेक्शन दिया जा चुका है। इससे लगभग 45% ग्रामीण परिवार शुद्ध जल की सुविधा पा रहे हैं।
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY): कोविड-19 के कठिन समय में इस योजना के अंतर्गत 81 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज दिया गया।
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (PMGKP): इसके तहत 42 करोड़ से अधिक नागरिकों को ₹68,820 करोड़ की सहायता दी गई। महिला खाताधारकों को तीन किस्तों में ₹30,952 करोड़, बुज़ुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों को ₹2,814 करोड़, और निर्माण श्रमिकों को ₹4,987 करोड़ की सहायता मिली। 

भारत में गरीबी की वर्तमान स्थिति

  • पिछले एक दशक में करोड़ों लोगों की ज़िंदगी में बुनियादी सुविधाओं का प्रवेश हुआ है।
  • पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा अब जिस व्यक्ति तक पहुंच चुकी है, वही भारत के गरीबी उन्मूलन की असली पहचान बन चुका है।
  • 2011-12 में देश की 16.2% आबादी ऐसे लोगों में थी जो $2.15 प्रतिदिन से कम पर जीवन गुजार रही थी। यह संख्या 2022-23 में घटकर मात्र 2.3% रह गई है।
  • ग्रामीण भारत में गरीबी दर जहाँ पहले 69% थी, वह घटकर 32.5% पर आ गई है। वहीं शहरी क्षेत्रों में गरीबी 43.5% से घटकर 17.2% रह गई है। हालाँकि अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में चुनौतियाँ अधिक बनी हुई हैं।
  • नीति आयोग के अनुसार, बहुआयामी गरीबी जो शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर को मिलाकर मापी जाती है, 2013-14 में 29.17% थी, जो 2022-23 में घटकर 11.28% हो चुकी है।
  • उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों ने गरीबी में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की है।

गरीबी उन्मूलन के लिए अपनाई जाने योग्य प्रभावी रणनीतियाँ

  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: गुणवत्ता से परिपूर्ण और व्यावहारिक शिक्षा बच्चों को आजीविका के बेहतर अवसरों से जोड़ती है। सरकारी स्कूलों में डिजिटल उपकरण, प्रशिक्षित शिक्षक और स्थानीय भाषाओं में सामग्री की उपलब्धता बढ़ाकर वास्तविक बदलाव लाया जा सकता है।
  • आजीविका का विविधीकरण: गाँवों में रोजगार के विकल्प अक्सर कृषि तक सीमित होते हैं। हस्तशिल्प, पशुपालन, मत्स्य पालन, ग्रामीण पर्यटन और ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देकर स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत की जा सकती है।
  • वित्तीय समावेशन: बैंक खाता, बीमा, पेंशन और डिजिटल भुगतान तक पहुँच, गरीबों को आर्थिक रूप से सुरक्षित बनाती है। अब जरूरत है कि हर व्यक्ति के लिए सरल ऋण, बीमा जागरूकता और डिजिटल साक्षरता को सुनिश्चित किया जाए।
  • कौशल विकास और रोजगार सृजन: PMKVY जैसे कौशल विकास कार्यक्रमों को लघु उद्योगों, सेवा क्षेत्र और डिजिटल क्षेत्र से जोड़ना जरूरी है। प्रशिक्षण के बाद का मार्गदर्शन और रोज़गार की गारंटी युवाओं के भविष्य को सुनिश्चित कर सकती है।
  • सौर ऊर्जा समाधान: लघु किसान उच्च लागत वाली बिजली या डीज़ल पर निर्भर रहते हैं, जिससे उनकी आमदनी घटती है। सौर ऊर्जा से सिंचाई, भंडारण और प्रोसेसिंग की लागत कम हो सकती है। कुसुम योजना जैसे कार्यक्रमों का विस्तार, किसानों को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगा।
  • क्षेत्र-विशिष्ट गरीबी रणनीतियाँ: हर राज्य की गरीबी की वजह अलग होती है, इसलिए एक ही नीति सभी जगह लागू नहीं हो सकती। रेगिस्तानी, पहाड़ी, आदिवासी और तटीय क्षेत्रों के लिए अलग रणनीतियाँ बनानी होंगी। डाटा आधारित योजनाएं और ज़मीनी सहभागिता क्षेत्रीय असमानता को कम कर सकती है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) की भूमिका: सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर अगर बुनियादी सेवाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में निवेश करें, तो परिणाम तीव्र और स्थायी हो सकते हैं। PPP मॉडल में जवाबदेही, पारदर्शिता और लाभार्थी केंद्रित दृष्टिकोण को प्राथमिकता देनी होगी।

 

Share Now ➤

क्या आपको Apni Pathshala के Courses, RNA PDF, Current Affairs, Test Series और Books से सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए? तो हमारी विशेषज्ञ काउंसलर टीम आपकी सिर्फ समस्याओं के समाधान में ही मदद नहीं करेगीं, बल्कि आपको व्यक्तिगत अध्ययन योजना बनाने, समय का प्रबंधन करने और परीक्षा के तनाव को कम करने में भी मार्गदर्शन देगी।

Apni Pathshala के साथ अपनी तैयारी को मजबूत बनाएं और अपने सपनों को साकार करें। आज ही हमारी विशेषज्ञ टीम से संपर्क करें और अपनी सफलता की यात्रा शुरू करें

📞 +91 7878158882

Related Posts

Scroll to Top