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भारत सरकार ने संजय मल्होत्रा को RBI के 26वें गवर्नर के रूप में नियुक्त किया है। उनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा, जो 11 दिसंबर 2024 से शुरू होगा। मल्होत्रा ने शक्तिकांत दास की जगह ली है, जिनका कार्यकाल समाप्त हो गया है।
RBI के 26वें गवर्नर संजय मल्होत्रा के बारे में :
शैक्षणिक पृष्ठभूमि:
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- कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन: IIT कानपुर।
- पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स: प्रिंसटन यूनिवर्सिटी।
- अधिकार एवं अनुभव:
- अक्टूबर 2022 से राजस्व सचिव।
- वित्तीय सेवा सचिव, RBI बोर्ड के सदस्य और REC (इंफ्रा फाइनेंस कंपनी) के CMD रह चुके हैं।
- तेज निर्णय लेने और बारीकी पर ध्यान देने के लिए जाने जाते हैं।
- आगामी चुनौतियां:
- विकास और मुद्रास्फीति संतुलन बनाए रखना।
- 4% मुद्रास्फीति लक्ष्य सुनिश्चित करना।
- क्रेडिट प्रवाह बनाए रखना और बैंक बैलेंस शीट के जोखिमों पर नजर।
- विदेशी मुद्रा दर को व्यवस्थित रूप से प्रबंधित करना।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के बारे में:
- स्थापना: 1934 में RBI अधिनियम के तहत; 1949 में राष्ट्रीयकरण।
- मुख्यालय: मुंबई।
- पहला गवर्नर: ऑस्बॉर्न स्मिथ; प्रथम भारतीय गवर्नर: सी.डी. देशमुख।
- संरचना:
- 21 सदस्यीय केंद्रीय बोर्ड: 1 गवर्नर, 4 डिप्टी गवर्नर, 2 वित्त मंत्रालय प्रतिनिधि, 10 सरकार द्वारा नामित निदेशक, और 4 स्थानीय बोर्ड निदेशक।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का राष्ट्रीयकरण
- स्थापना और प्रारंभिक स्थिति:
- 1935 में स्थापित, RBI एक निजी स्वामित्व वाली संस्था थी।
- इसका शेयर पूंजी निजी व्यक्तियों और संस्थानों के पास थी।
- राष्ट्रीयकरण:
- 1948 में Reserve Bank of India (Transfer to Public Ownership) Act पारित हुआ।
- इसके तहत RBI का स्वामित्व निजी संस्थानों से सरकार को स्थानांतरित किया गया।
- परिणाम:
- 1949 के बाद, RBI पूरी तरह से सरकारी स्वामित्व वाली संस्था बन गया।
- यह भारत का केंद्रीय बैंक बन गया और ‘तकनीकी बैंक’ के रूप में कार्य नहीं करता।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के कार्य
मौद्रिक कार्य (Monetary Functions):
- मुद्रा जारी करना: ₹1 के नोट और सिक्कों को छोड़कर, सभी मुद्रा नोट जारी करने का अधिकार RBI के पास है।
- सरकार का बैंकर:
- सरकारी खाते और कोष प्रबंधन।
- सरकार को ऋण प्रदान करना।
- सरकारी प्रतिभूतियां (G-Secs) खरीदना और बेचना।
- बैंकों का बैंकर:
- सभी अनुसूचित बैंकों का रिजर्व (CRR) रखना।
- बैंकों को आर्थिक सहायता प्रदान करना।
- अंतिम ऋणदाता (Lender of Last Resort): संकट के समय में बैंकों को वित्तीय सहायता देना।
- विदेशी मुद्रा का संरक्षक: विदेशी मुद्रा दर को स्थिर रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन।
- क्रेडिट नियंत्रण: मौद्रिक नीति उपकरणों के माध्यम से मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करना।
- मुद्रा प्रबंधन: रुपये की आपूर्ति, जारी करना और प्रबंधन।
- वित्तीय निरीक्षण: बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली को नियमित करना।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: मूल्य स्थिरता और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना।
सामान्य कार्य (General Functions):
- बैंकों का नियामक:
- बैंकिंग लाइसेंस जारी करना।
- न्यूनतम पूंजी और रिजर्व की आवश्यकताएं निर्धारित करना।
- प्रोत्साहनात्मक कार्य:
- वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना।
- डिजिटल वित्तीय सेवाओं को प्रोत्साहित करना।
- उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण।
उद्देश्य: RBI भारतीय बैंकिंग प्रणाली को सुदृढ़ और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए काम करता है।
संबंधित कार्य:
- सरकार और बैंकों का बैंकर।
- भुगतान और निपटान प्रणाली का निरीक्षण।