सामान्य अध्ययन पेपर I: भारतीय समाज पर वैश्वीकरण के प्रभाव, जनसंख्या और संबद्ध मुद्दे सामान्य अध्ययन पेपर II: सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
चर्चा में क्यों?
आव्रजन और विदेशी विधेयक 2025: हाल ही में केंद्र सरकार ने लोकसभा में आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025 (Immigration and Foreigners Bill 2025)प्रस्तुत किया। गृह राज्य मंत्री द्वारा पेश इस विधेयक में भारत में विदेशी नागरिकों के प्रवेश और प्रवास से जुड़े कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं। इस विधेयक का उद्देश्य अवैध प्रवास और घुसपैठ को नियंत्रित करना है।
आव्रजन और विदेशी विधेयक 2025 (Immigration and Foreigners Bill 2025) : प्रमुख प्रावधान
भारत में आव्रजन और विदेशी नागरिकों से जुड़े कानूनों को अधिक प्रभावी और सुव्यवस्थित बनाने के लिए यह विधेयक लाया गया है। इसमें विदेशी नागरिकों के प्रवेश, पंजीकरण, निवास, और निष्कासन से संबंधित प्रावधान शामिल किए गए हैं।
- विदेशी नागरिकों का अनिवार्य पंजीकरण एवं प्रतिबंध
- प्रत्येक विदेशी नागरिक को भारत में आगमन पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा।
- यदि कोई विदेशी नागरिक संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश करता है, तो उस पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।
- नाम परिवर्तन या आंदोलन पर भी सख्त नियम लागू किए जाएंगे।
- प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं प्रमाणित करना होगा कि वह विदेशी नागरिक नहीं है, अन्यथा कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
- विदेशियों का पंजीकरण क्षेत्रीय अधिकारी (FRRO) अब भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों के लिए 180 दिन से अधिक समय के वीज़ा पर अनिवार्य पंजीकरण करेगा।
- चार पुराने कानूनों की समाप्ति
- इस विधेयक के लागू होने के बाद चार कानून निरस्त कर दिए जाएंगे। इसमें विदेशी अधिनियम, 1946, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920, विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939 और आप्रवासन (वाहक उत्तरदायित्व) अधिनियम, 2000 शामिल है।
- अवैध प्रवेश एवं वीज़ा उल्लंघन पर कठोर दंड
- बिना वैध पासपोर्ट या वीज़ा के प्रवेश करने पर 5 वर्ष तक की जेल और ₹5 लाख तक जुर्माना लगाया जाएगा।
- यदि कोई विदेशी जाली दस्तावेजों का उपयोग कर भारत में प्रवेश, निवास या प्रस्थान करता है, तो उसे 2 से 7 वर्ष की जेल और ₹1 से ₹10 लाख तक जुर्माना भरना होगा।
- वीज़ा नियमों का उल्लंघन, तय समय से अधिक भारत में रुकने या प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश करने पर 3 वर्ष तक की जेल और ₹3 लाख तक जुर्माना लगाया जाएगा।
- वाहकों (Carriers) की जिम्मेदारी और दंड
- कोई भी विमान, जहाज या बस यदि बिना वैध दस्तावेज वाले विदेशी नागरिक को भारत लाती है, तो उसे ₹5 लाख तक का जुर्माना भरना होगा।
- यदि जुर्माना अदा नहीं किया जाता, तो संबंधित वाहन या परिवहन माध्यम को जब्त किया जा सकता है।
- किसी भी ऐसे विदेशी नागरिक को जो भारत में प्रवेश के लिए अयोग्य घोषित किया गया हो, वाहक को ही वापस ले जाने की जिम्मेदारी होगी।
- शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों, अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को अपने परिसर में मौजूद विदेशी नागरिकों की सूचना पंजीकरण अधिकारी को देना अनिवार्य होगा।
- गिरफ्तारी एवं सरकारी नियंत्रण
- आप्रवासन अधिकारी (Immigration Officer) को यह अधिकार होगा कि वह बिना वारंट गिरफ्तारी कर सके।
- केंद्र सरकार को यह अधिकार प्राप्त होगा कि वह किसी भी विदेशी नागरिक के भारत में आने-जाने, रहने और उनके आवागमन को नियंत्रित कर सके।
- विदेशियों को अपने खर्चे पर भारत छोड़ने के लिए बाध्य किया जाएगा और बायोमेट्रिक डेटा प्रदान करना आवश्यक होगा।
- नागरिकता और वीज़ा नियमों का पुनर्गठन
- आप्रवासन ब्यूरो (BoI), जो 1971 में गृह मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया था, अब विदेशी नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक वीज़ा प्रदान करने और उनके रिकॉर्ड रखने की प्रक्रिया को सुगम बनाएगा।
- नागरिकता अधिनियम, 1955 के अंतर्गत विदेशियों को ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) का दर्जा प्राप्त करने के नियमों में भी संशोधन किया जाएगा।
आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025 की आवश्यकता क्यों?
- कानूनों की अप्रासंगिकता: वर्तमान में भारत में आप्रवासन और विदेशी नागरिकों को नियंत्रित करने के लिए चार अलग-अलग कानून हैं। इनमें से तीन संविधान लागू होने से पहले के हैं और प्रथम तथा द्वितीय विश्व युद्ध के समय की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाए गए थे। ये कानून आधुनिक तकनीकी सुरक्षा उपायों और डिजिटल पहचान प्रणाली जैसी आवश्यकताओं को कवर नहीं करते, जिससे इनका क्रियान्वयन मुश्किल हो गया है।
- घुसपैठ: भारत में अवैध प्रवास एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा, जनसांख्यिकी और आंतरिक स्थिरता पर असर पड़ता है। संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ, जाली दस्तावेजों से प्रवेश और अवैध गतिविधियों में लिप्त विदेशी नागरिकों पर कठोर कार्रवाई के लिए नए प्रावधान आवश्यक हैं।
- वैश्विक आव्रजन नीति: दुनियाभर के देश अपने आप्रवासन कानूनों को सख्त बना रहे हैं और डिजिटल तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। भारत में भी बायोमेट्रिक डेटा, डिजिटल वीज़ा निगरानी और ऑनलाइन पंजीकरण जैसी प्रणालियों की आवश्यकता है, जो वर्तमान कानूनों में नहीं है।
- एकीकृत प्रबंधन प्रणाली: वर्तमान में विभिन्न सरकारी एजेंसियां विदेशी नागरिकों और अप्रवासियों की जानकारी अलग-अलग रिकॉर्ड करती हैं, जिससे समन्वय की समस्या होती है। इससे समय की भी बर्बादी होती है।
आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025 का उद्देश्य
- राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना: भारत में विदेशी नागरिकों की गतिविधियों पर निगरानी और अवैध प्रवास पर नियंत्रण करना राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह विधेयक अवैध प्रवेश, जाली दस्तावेजों का उपयोग, वीज़ा शर्तों के उल्लंघन को रोकने के लिए कठोर दंड और निगरानी तंत्र को मजबूत करता है। इससे आतंकवाद, मानव तस्करी और संगठित अपराध जैसी गतिविधियों पर रोक लगाई जा सकेगी।
- असंगत कानूनों को समाप्त करना: भारत में आप्रवासन और विदेशी नागरिकों से जुड़े चार अलग-अलग कानून अब तक प्रभावी थे, लेकिन ये पुराने और असंगत हो चुके थे। इस विधेयक के माध्यम से विदेशी अधिनियम, 1946, पासपोर्ट अधिनियम, 1920, विदेशी पंजीकरण अधिनियम, 1939 और वाहकों की देयता अधिनियम, 2000 को समाप्त कर एक एकीकृत और प्रभावी कानून लागू किया जाएगा।
- प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाना: विदेशी नागरिकों के भारत में प्रवेश, निवास, पंजीकरण और निकास से जुड़े नियमों को अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाने की आवश्यकता थी। यह विधेयक वीज़ा प्रावधानों, यात्रा दस्तावेजों (पासपोर्ट, परमिट आदि) और रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं को आधुनिक तकनीक से जोड़कर डिजिटल और अधिक कुशल बनाएगा, जिससे विदेशी नागरिकों के रिकॉर्ड को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सके।
- सुरक्षित आव्रजन प्रणाली की स्थापना: यह विधेयक भारत की आप्रवासन प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाएगा और डिजिटल निगरानी, बायोमेट्रिक डेटा संग्रह और केंद्रीय डेटाबेस प्रबंधन जैसी सुविधाओं को शामिल करेगा। इससे सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ेगा, विदेशी नागरिकों की गतिविधियों की निगरानी आसान होगी।
भारत में विदेशी नागरिकों के प्रवेश और पंजीकरण से जुड़े प्रमुख कानून
- पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920:
- इस अधिनियम के तहत भारत में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए पासपोर्ट रखना अनिवार्य कर दिया गया।
- सरकार को यह अधिकार दिया गया कि वह बिना पासपोर्ट वाले व्यक्तियों को भारत में प्रवेश से रोके या उन्हें निष्कासित करे।
- यह कानून भारत की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अवैध प्रवास को रोकने के लिए लागू किया गया था।
- विदेशी अधिनियम, 1946:
- यह अधिनियम विदेशी अधिनियम, 1940 का स्थान लेने वाला व्यापक कानून था, जो भारत में रहने वाले विदेशी नागरिकों को नियंत्रित करता है।
- इसके तहत सरकार को अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने, बल प्रयोग करने और आवश्यकतानुसार ट्रिब्यूनल स्थापित करने की शक्ति दी गई।
- इस कानून की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि ‘बर्डन ऑफ प्रूफ’ (साबित करने की जिम्मेदारी) संबंधित व्यक्ति पर ही होती है, न कि सरकार पर। इस प्रावधान को सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने भी बरकरार रखा है।
- विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939:
- इस कानून के तहत भारत आने वाले सभी विदेशी नागरिकों (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया को छोड़कर) के लिए 14 दिनों के भीतर पंजीकरण करना अनिवार्य कर दिया गया।
- यदि किसी व्यक्ति का वीज़ा 180 दिनों से अधिक का है, तो उसे पंजीकरण अधिकारी के समक्ष अपनी जानकारी दर्ज करानी होगी।
- भारत आने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को विशेष प्रावधानों के तहत, आगमन के 24 घंटों के भीतर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होता है, चाहे उनकी ठहरने की अवधि कितनी भी कम क्यों न हो।
- इस अधिनियम को लागू करने की जिम्मेदारी विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) को सौंपी गई, ताकि भारत में आने वाले विदेशी नागरिकों की निगरानी की जा सके।
आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025 से संबंधित चुनौतियाँ
- मानवाधिकारों और निर्वासन नीतियों को लेकर चिंताएँ: इस विधेयक के तहत निर्वासन (Deportation) की नीतियाँ अधिक कठोर हो सकती हैं, जिससे लंबे समय से भारत में रह रहे विदेशी नागरिकों, शरणार्थियों और आश्रय चाहने वालों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। मानवाधिकार संगठनों को चिंता है कि निर्वासन प्रक्रिया में न्यायसंगत सुनवाई (Due Process) और मानवीय व्यवहार सुनिश्चित नहीं किया गया तो यह विधेयक विवाद का कारण बन सकता है।
- विश्वविद्यालयों और चिकित्सा संस्थानों पर प्रभाव: नई रिपोर्टिंग आवश्यकताओं के तहत शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों और अस्पतालों को अपने यहाँ मौजूद विदेशी नागरिकों की जानकारी पंजीकरण अधिकारियों को देना अनिवार्य होगा। इससे शैक्षणिक संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय छात्रों के प्रवेश और उनकी निगरानी में अतिरिक्त प्रशासनिक बोझ उठाना पड़ सकता है। इसी तरह, चिकित्सा क्षेत्र में मेडिकल टूरिज्म को भी जटिल प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ सकता है।
- क्रियान्वयन और प्रवर्तन से जुड़ी चुनौतियाँ: इस विधेयक का सफल कार्यान्वयन तभी संभव होगा जब सरकार विभिन्न एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय स्थापित कर सके। आप्रवासन अधिकारियों, एयरलाइंस, विश्वविद्यालयों, सुरक्षा एजेंसियों और अन्य संस्थानों के बीच बेहतर सहयोग की आवश्यकता होगी। यदि निगरानी प्रणाली पारदर्शी नहीं रही, तो यह मनमानी गिरफ्तारी, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक दुविधाओं को जन्म दे सकती है।
UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs) प्रश्न (2015): पिछले चार दशकों में भारत के अंदर और बाहर श्रम प्रवास के रुझानों में बदलाव पर चर्चा कीजिये। प्रश्न (2014): भारत की सुरक्षा को गैर-कानूनी सीमा पार प्रवसन किस प्रकार एक खतरा प्रस्तुत करता है? इसे बढ़ावा देने के कारणों को उजागर करते हुए ऐसे प्रवसन को रोकने की रणनीतियों का वर्णन कीजिये। |
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