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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास किया, जो राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) के तहत पहला परियोजना है, जिसे 1980 में परिकल्पित किया गया था। यह परियोजना पन्ना टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र के 10 प्रतिशत से अधिक हिस्से को जलमग्न कर देगी।
केन-बेतवा लिंक परियोजना (KBLP):
परियोजना के बारे में:
- केन-बेतवा लिंक परियोजना (KBLP) का उद्देश्य केन नदी से बेतवा नदी तक जल स्थानांतरण करना है।
- दोनों नदियाँ यमुना की सहायक नदियाँ हैं।
- परियोजना में 221 किलोमीटर लंबी नहर और 2 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण होगा।
- मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में दौधन पर केन नदी पर 73.8 मीटर ऊँचाई का एक बांध भी निर्माण होगा।
केन–बेतवा इंटरलिंकिंग परियोजना का इतिहास:
- परियोजना 1980 के दशक में परिकल्पित की गई थी।
- जल-वितरण समझौता न होने के कारण परियोजना रुकी रही।
- 2015 में काम शुरू होना था, लेकिन पिछले साल एक नया समझौता हुआ।
- 22 मार्च 2021 को जल शक्ति मंत्रालय और मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश सरकारों के बीच समझौता ज्ञापन (MoA) पर हस्ताक्षर किए गए।
परियोजना के चरण:
- चरण–1: दौधन बांध परिसर, लो लेवल सुरंग, हाई लेवल सुरंग, केन-बेतवा लिंक नहर और पावरहाउस का निर्माण।
- चरण–2: लोवर ओर डेम, बीना कॉम्प्लेक्स परियोजना और कोठा बैराज का निर्माण।
परियोजना की समाप्ति: जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, KBLP परियोजना को आठ वर्षों में पूरा किया जाने का प्रस्ताव है।
परियोजना से लाभान्वित होने वाले क्षेत्र: यह परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र को लाभान्वित करेगी, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में फैला हुआ है। प्रमुख लाभार्थी जिले निम्नलिखित हैं:
- मध्य प्रदेश: पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी, और रायसेन।
- उत्तर प्रदेश: बांदा, महोबा, झांसी, और ललितपुर।
यह परियोजना इस सूखाग्रस्त क्षेत्र में जल संकट को दूर करने, विकास को बढ़ावा देने और भविष्य में नदी जोड़ने की पहलों के लिए मार्ग प्रशस्त करने का उद्देश्य रखती है।
पर्यावरण और सामाजिक चिंताएँ:
- पर्यावरणीय प्रभाव: पन्ना नेशनल पार्क में वन कटाई: परियोजना के कारण पन्ना नेशनल पार्क के लगभग 98 वर्ग किमी क्षेत्र में जलमग्न होगा और 20 से 30 लाख पेड़ काटे जाएंगे।
- वन्यजीवों के लिए खतरा:
- बाघ: दौधन डेम, जो पन्ना नेशनल पार्क के अंदर स्थित है, बाघ पुनर्वास कार्यक्रम को प्रभावित कर सकता है, जो 2009 में स्थानीय रूप से विलुप्त हो जाने के बाद बाघों की जनसंख्या को फिर से जीवित करने में सफल रहा।
- घड़ियाल और गिद्ध: केन घड़ियाल अभयारण्य में घड़ियालों की संख्या पर असर पड़ सकता है और निचले इलाकों में गिद्धों के घोंसले भी प्रभावित हो सकते हैं।
- हाइड्रोलॉजिकल चिंताएँ:
- IIT-बॉम्बे के वैज्ञानिकों का चेतावनी है कि परियोजना भूमि-आत्मवायू प्रतिक्रिया में विघटन के कारण सितंबर में वर्षा 12% तक घट सकती है।
- विशेषज्ञों का सुझाव है कि केन नदी के हाइड्रोलॉजिकल डेटा में पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि परियोजना का पूरी तरह से मूल्यांकन किया जा सके।
महत्व:
- जल संकट का समाधान: बुंदेलखंड में सूखा जैसे हालातों को कम करने के लिए वर्षभर सिंचाई सुनिश्चित करेगा।
- कृषि में सुधार:62 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को लाभ मिलेगा, जिससे फसल उत्पादन और किसानों की आय में वृद्धि होगी।
- पीने के पानी की आपूर्ति: मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लगभग 62 लाख लोगों को पानी उपलब्ध होगा, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा।
- ऊर्जा उत्पादन: 130 मेगावाट (103 मेगावाट जल विद्युत + 27 मेगावाट सौर ऊर्जा) उत्पादन, ग्रामीण क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ेगी।
- बुंदेलखंड का विकास: सामाजिक-आर्थिक वृद्धि, ग्रामीण संकट और प्रवासन में कमी, और औद्योगिक विस्तार को बढ़ावा मिलेगा।