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संदर्भ:
भारतीय किसानों के एक वर्ग की लगातार मांग है कि भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) से बाहर निकल जाए। उनका मानना है कि WTO के नियम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी गारंटी देने में बाधा बनते हैं। WTO के कृषि समझौते (AoA) के तहत MSP को व्यापार विकृत करने वाली सब्सिडी माना जाता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और WTO नियमों से जुड़े मुद्दे:
- WTO के खिलाफ भारतीय किसानों की नाराजगी
- भारतीय किसान चाहते हैं कि भारत WTO से बाहर निकले, क्योंकि WTO के नियम MSP को सीमित करते हैं।
- WTO का Agreement on Agriculture (AoA) MSP को “व्यापार–विकृत करने वाली सब्सिडी“ मानता है, जिससे सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली सहायता सीमित हो जाती है।
- WTO का पुराना मूल्यांकन तंत्र (Outdated ERP):
- WTO 1986-88 के बाहरी संदर्भ मूल्य (External Reference Price – ERP) का उपयोग करता है MSP की गणना के लिए।
- महंगाई के कारण MSP और ERP के बीच अंतर बढ़ गया है, जिससे WTO के अनुसार भारत की सब्सिडी अधिक लगती है।
- भारत कई वर्षों से ERP संशोधन की मांग कर रहा है, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली।
- वर्तमान नीति में लचीलापन (Policy Leeway): WTO का “पीस क्लॉज” (Peace Clause) भारत को गेंहू और चावल जैसी फसलों के लिए ऊँचा MSP प्रदान करने की अनुमति देता है, लेकिन यह अस्थायी उपाय है।
- वैकल्पिक सहायता योजनाएँ: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना के तहत किसानों को प्रति वर्ष ₹6,000 की सीधी सहायता दी जाती है, जो WTO नियमों का उल्लंघन नहीं करती।
प्रभाव:
- निर्यात लाभों की हानि (Loss of Export Benefits)
- भारत WTO के तहत “सबसे अनुकूल राष्ट्र” (Most-Favoured-Nation – MFN) और राष्ट्रीय उपचार (National Treatment) का लाभ उठाता है।
- WTO छोड़ने से भारतीय उत्पादों पर ऊँचे टैरिफ लग सकते हैं, जिससे वे वैश्विक बाजार में कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे।
- अधिक व्यापार समझौतों की आवश्यकता (More Trade Agreements Needed)
- भारत को अलग–अलग देशों के साथ द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते (FTAs) करने पड़ेंगे।
- FTAs की शर्तें आमतौर पर सख्त होती हैं, खासकर जब विकासशील देश विकसित देशों से बातचीत करते हैं।
- व्यापार विवाद समाधान में कठिनाई (Weaker Trade Dispute Protection)
- WTO व्यापार विवादों के समाधान के लिए एक मजबूत मंच प्रदान करता है।
- WTO छोड़ने से भारत को वैश्विक व्यापार विवादों में कानूनी संरक्षण नहीं मिलेगा, जिससे व्यापारिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
विश्व व्यापार संगठन (WTO):
- उत्पत्ति और स्थापना:
- 1995 में स्थापित हुआ।
- यह GATT (General Agreement on Tariffs and Trade) का उत्तराधिकारी है, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद व्यापार विनियमन के लिए बनाया गया था।
- उद्देश्य: वैश्विक व्यापार को सुचारू, स्वतंत्र और पूर्वानुमानित (Predictable) बनाना।
- सदस्यता और मुख्यालय:
- WTO के 164 सदस्य देश हैं, जो विश्व व्यापार के 98% का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड।
- गैर–भेदभाव के सिद्धांत (Non-Discrimination Principles):
- Most-Favoured Nation (MFN): WTO सदस्य देश एक-दूसरे को व्यापार में समान अवसर प्रदान करेंगे।
- National Treatment: किसी भी देश को अपने घरेलू उत्पादों और विदेशी उत्पादों के साथ समान व्यवहार करना होगा।