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मणिपुर के 5 जिलों के 6 थानों में आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (AFSPA) को फिर से लागू कर दिया गया है। यह निर्णय बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को देखते हुए लिया गया है।
मणिपुर में AFSPA से जुड़ी जानकारी:
- प्रभाव का समय: यह कानून 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा।
- आदेश जारी: गृह मंत्रालय ने गुरुवार को AFSPA लागू करने का आदेश जारी किया।
- लागू करने का कारण: बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया।
- अधिकार: AFSPA लागू होने से सेना और अर्ध-सैनिक बल इन इलाकों में कभी भी किसी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकते हैं।
- लागू क्षेत्र: इम्फाल पश्चिम जिले का सेकमई और लमसांग, इम्फाल पूर्व जिले का लाम्लाई, जिरिबाम जिले का जिरिबाम, कांगपोकपी का लेइमाखोंग और बिष्णुपुर जिले का मोइरंग थाना शामिल है।
AFSPA लागू करने के कारण:
जिरीबाम में उग्रवादियों का हमला: 11 नवंबर 2024 को उग्रवादियों ने सैनिकों की वर्दी में पुलिस थाने और सीआरपीएफ शिविर पर हमला किया।
- सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 11 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए।
नागरिकों का अपहरण: 12 नवंबर को सशस्त्र आतंकवादियों ने महिलाओं और बच्चों सहित 6 नागरिकों का अपहरण कर लिया।
हिंसा और हताहत: 7 नवंबर से शुरू हुई हिंसा में 14 लोग मारे गए, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल थीं।
- घटनाओं के कारण क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता बढ़ गई।
AFSPA (सशस्त्र बल विशेष शक्तियाँ अधिनियम)
पृष्ठभूमि:
- AFSPA ब्रिटिश शासनकाल के समय बनाए गए एक कानून का पुनरावृत्ति है, जिसे “क्विट इंडिया आंदोलन” के दौरान विरोधों को दबाने के लिए लागू किया गया था।
- 1947 में चार अध्यादेशों के रूप में यह कानून जारी हुआ।
- 1948 में इन अध्यादेशों को एक अधिनियम में बदल दिया गया और 1958 में इसे वर्तमान रूप में संसद में पेश किया गया। उस समय गीता बाई पंत गृह मंत्री थे।
- इसे शुरू में “सशस्त्र बल (आसाम और मणिपुर) विशेष शक्तियाँ अधिनियम, 1958” के रूप में जाना जाता था।
- जब अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, और नागालैंड राज्य बने, तो इस अधिनियम को इन राज्यों में भी लागू किया गया।
अधिनियम के बारे में:
- AFSPA सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को “द्वारित क्षेत्रों” (disturbed areas) में पूरी ताकत के साथ काम करने की अनुमति देता है।
- इसके तहत, किसी भी व्यक्ति को कानून का उल्लंघन करते हुए मारा जा सकता है, और बिना वारंट के किसी भी स्थान पर छापेमारी और गिरफ्तारी की जा सकती है।
- इसके अलावा, सेना और पुलिस बल को अभियोजन और कानूनी मुकदमों से सुरक्षा प्राप्त होती है।
- यह कानून पहली बार 1958 में नागा विद्रोह को नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया था।
- 1972 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया और क्षेत्र को “विवादित” घोषित करने का अधिकार केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार दोनों को मिला।
- त्रिपुरा ने 2015 में AFSPA को रद्द कर दिया, और मेघालय को 27 वर्षों तक AFSPA के तहत रखा गया, जिसे 1 अप्रैल 2018 से गृह मंत्रालय ने रद्द कर दिया।
- सबसे पहले पूर्वोत्तर के राज्यों में AFSPA लगाया गया।
- फिलहाल जम्मू- कश्मीर, नगालैंड, असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में AFSPA लागू।
मणिपुर के बारे में संक्षिप्त जानकारी
- मणिपुर भारत के पूर्वोत्तर में स्थित एक राज्य है, जो ‘7 सिस्टर्स’ के नाम से प्रसिद्ध राज्यों में शामिल है।
- इसकी सीमा म्यांमार से लगती है और यहाँ अनुमानित 33 लाख लोग रहते हैं।
- यहाँ प्रमुख समुदाय मैतेई (घाटी क्षेत्र में निवास) और अल्पसंख्यक कुकी व नगा (पहाड़ी क्षेत्र में निवास) हैं।
मणिपुर में लड़ाई का कारण
मणिपुर में मई 2024 में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसक झड़पें शुरू हुईं। मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- शेड्यूल ट्राइब (ST) दर्जे की मांग: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी कुकी समुदाय की तरह शेड्यूल ट्राइब का दर्जा मिले। इससे उन्हें सरकारी योजनाओं और आरक्षण का लाभ मिलेगा।
- कुकी समुदाय का विरोध: कुकी समुदाय का मानना है कि मैतेई को ST दर्जा मिलने से उनका प्रभाव बढ़ेगा, जिससे घाटी क्षेत्र के मैतेई लोग पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन खरीद सकेंगे और बस सकेंगे, जिससे कुकी जनजातियों के पारंपरिक क्षेत्र पर असर पड़ेगा।
- नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान: कुकी समुदाय का कहना है कि मैतेई सरकार द्वारा छेड़ा गया नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान उनके समुदाय को निशाना बनाने का एक बहाना है।
कुकी और मैतेई समुदाय
- मैतेई समुदाय
- स्थान और इतिहास: मैतेई समुदाय की जड़ें मणिपुर, म्यांमार, और आसपास के क्षेत्रों में फैली हुई हैं।
- धर्म: मैतेई समुदाय में अधिकांश लोग हिंदू हैं, लेकिन कुछ लोग सनमही धर्म का पालन करते हैं, जो मणिपुर का पारंपरिक धर्म है।
- स्थान: ये लोग ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जो मणिपुर का मुख्य क्षेत्र है।
- कुकी समुदाय
- स्थान और इतिहास: कुकी समुदाय भी भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में फैला हुआ है, और इनके कुछ लोग अपनी जड़ें म्यांमार में भी खोजते हैं।
- धर्म: कुकी समुदाय में अधिकांश लोग ईसाई हैं।
- स्थान: कुकी समुदाय के लोग मणिपुर की पहाड़ी क्षेत्रों और उससे जुड़े अन्य क्षेत्रों में निवास करते हैं।
हिंसा का परिणाम
- मृतकों की संख्या: मई 2023 से शुरू हुई इस जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
- बेघर लोग: इस हिंसा के कारण हजारों लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर हुए हैं।
- प्रभावित क्षेत्र: मणिपुर में मुख्य रूप से इंफाल घाटी में मैतेई समुदाय और पहाड़ी क्षेत्रों में कुकी-जो समुदायों के बीच संघर्ष हुआ।
- जिरिबाम क्षेत्र में हिंसा: जिरिबाम पहले हिंसा से प्रभावित नहीं था, लेकिन जून 2023 में एक किसान का विकृत शव मिलने के बाद वहां भी हिंसा भड़क उठी।
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