संदर्भ:
अगस्त्यमलाई बायोस्फीयर रिजर्व: सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (CEC) को निर्देश दिया है कि वह अगस्त्यमलाई क्षेत्र का संपूर्ण सर्वेक्षण करे, ताकि वहां चल रही गैर–वनीय गतिविधियों और अवैध अतिक्रमणों की पहचान की जा सके। यह कदम पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और जैव विविधता से समृद्ध इस संवेदनशील क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
अगस्त्यमलाई बायोस्फीयर रिजर्व के बारे में:
- स्थान: यह पश्चिमी घाट (Western Ghats) के दक्षिणी सिरे पर स्थित है, जो तमिलनाडु और केरल राज्यों में फैला हुआ है।
स्थापना और मान्यता:
- 2001 में इसे बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया।
- 2016 में इसे UNESCO के World Network of Biosphere Reserves में शामिल किया गया।
नाम की उत्पत्ति:
- इसका नाम महान ऋषि अगस्त्य मुनि के नाम पर रखा गया है।
- इसकी सबसे ऊंची चोटी अगस्त्यमलाई (Agasthya Malai) है, जिसकी ऊँचाई 1,868 मीटर है।
संरक्षित क्षेत्र:
- शेंदुरुनी वन्यजीव अभयारण्य
- पप्पारा वन्यजीव अभयारण्य
- नेय्यर वन्यजीव अभयारण्य
- कलक्कड़ मुंडनथुरै टाइगर रिजर्व
वनस्पति (Flora):
- लगभग 2,250 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ, जिनमें 405 स्थानिक (endemic) हैं।
- औषधीय जड़ी–बूटियाँ जैसे – आरोग्यपाचा (Arogyapacha) भी यहाँ पाई जाती हैं।
जीव–जंतु (Fauna):
- प्रमुख प्राणी:
- बंगाल टाइगर,
- एशियाई हाथी,
- नीलगिरी तहर,
- ग्रिज़ल्ड जायंट स्क्विरल
- पक्षी जैसे –ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल
- प्रमुख प्राणी:
- जनजातियाँ (Tribes): यहाँ कनिकरन जनजाति निवास करती है, जो विश्व की प्राचीनतम जनजातियों में से एक मानी जाती है।