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संदर्भ:
AI शिखर सम्मेलन 2025: 10-11 फरवरी 2025 को फ्रांस और भारत ने संयुक्त रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता की। इस समिट में वैश्विक नेताओं ने भाग लिया, जिसका उद्देश्य जनकल्याण के लिए AI को बढ़ावा देना था।
AI शिखर सम्मेलन 2025 की घोषणा (Summit Declaration):
- प्रतिभागी देशों को “Trustworthy AI in the World of Work” प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर करने के लिए आमंत्रित किया गया।
- यह एक गैर-बाध्यकारी (nonbinding) घोषणा थी।
AI शिखर सम्मेलन 2025 की घोषणा के छह मुख्य प्राथमिकताएँ:
- AI की पहुंच बढ़ाना ताकि डिजिटल असमानताओं को कम किया जा सके।
- AI को खुला, समावेशी, पारदर्शी, नैतिक, सुरक्षित और विश्वसनीय बनाना, जो अंतरराष्ट्रीय ढांचे के अनुरूप हो।
- नवाचार को बढ़ावा देना, जिससे AI का विकास हो और बाजार एकाधिकार से बचा जा सके।
- AI को रोजगार के भविष्य और श्रम बाजार के लिए सकारात्मक रूप से उपयोग करना, जिससे सतत विकास के अवसर पैदा हों।
- AI को लोगों और पर्यावरण के लिए टिकाऊ बनाना।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना ताकि AI शासन में वैश्विक समन्वय बढ़े।
AI शिखर सम्मेलन 2025 की घोषणा पर हस्ताक्षर करने वाले देश:
- 60 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए, जिनमें कनाडा, चीन, फ्रांस और भारत शामिल थे।
- अमेरिका और ब्रिटेन ने अंतिम घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए।
वैश्विक AI शासन में चुनौतियाँ:
- अग्रणी देशों का एकाधिकार: अमेरिका और चीन AI नीति निर्माण को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे वैश्विक दक्षिण की आवश्यकताएँ पीछे छूट सकती हैं।
- अमेरिका की नीति: नवाचार और बाज़ार स्वतंत्रता को प्राथमिकता देता है, जबकि वैश्विक नैतिक मानकों (Ethical Frameworks) पर कम ध्यान देता है।
- अलग–अलग नियामक दृष्टिकोण: यूरोप का कठोर नियामक मॉडल बनाम अमेरिका का मुक्त बाज़ार मॉडल, जिससे वैश्विक AI सहयोग में टकराव की संभावना।
- विभिन्न शासन मॉडल: AI नियमों में देशों के बीच भिन्नता अंतरराष्ट्रीय सहयोग को कमजोर कर सकती है।
- संसाधनों की असमानता: विकसित और विकासशील देशों के बीच संसाधनों की भारी कमी AI विकास और अनुसंधान में बाधा डालती है।
भारत की भूमिका AI शासन में:
- AI नीति विकास में नेतृत्व: भारत की सह–अध्यक्षता में AI एक्शन समिट उसकी वैश्विक AI नेतृत्व में बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।
- वैश्विक मंचों में सक्रिय भागीदारी:
- भारत संयुक्त राष्ट्र (UN), G-20, और वैश्विक कृत्रिम बुद्धिमत्ता साझेदारी (GPAI) जैसे मंचों में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है।
- विकासशील देशों के लिए समान AI पहुंच और शासन पर जोर देता है।
- न्यायसंगत AI शासन की वकालत: भारत डेटा, इंफ्रास्ट्रक्चर और ज्ञान–साझाकरण तक समान पहुंच की आवश्यकता को उजागर कर रहा है।
- हालिया उपलब्धियाँ: G-20 नई दिल्ली घोषणापत्र और GPAI नेतृत्व में भारत ने AI के लाभों के उचित वितरण और जोखिम प्रबंधन को प्राथमिकता दी।
- समावेशी वैश्विक AI शासन:
- भारत वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ों को AI नीति में शामिल करने पर जोर दे रहा है।
- न्याय, मानवाधिकार, और विविध वैश्विक दृष्टिकोणों पर केंद्रित AI मॉडल को आगे बढ़ा रहा है।
भारत में AI नियमन से जुड़ी चुनौतियाँ
- नवाचार और विनियमन में संतुलन: मजबूत AI शासन की आवश्यकता, लेकिन अत्यधिक नियम नवाचार को बाधित कर सकते हैं।
- AI पूर्वाग्रह और नैतिक चिंताएँ: एल्गोरिदम में पूर्वाग्रह, गोपनीयता उल्लंघन और भेदभाव जैसी समस्याओं का समाधान आवश्यक।
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: AI अनुप्रयोगों के लिए मजबूत डेटा संरक्षण कानूनों की आवश्यकता।
- बुनियादी ढांचे और अनुसंधान में कमी: AI अनुसंधान, कंप्यूटिंग पावर और कुशल कार्यबल में अधिक निवेश की जरूरत।
- वैश्विक AI मानकों के अनुरूपता: भारतीय AI नीतियों को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुसार ढालना चुनौतीपूर्ण।