AIF
संदर्भ:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विनियमित संस्थाओं (Regulated Entities – REs) द्वारा वैकल्पिक निवेश फंड (Alternative Investment Funds – AIFs) में निवेश पर लगी पाबंदियों को आसान बनाने के लिए संशोधित दिशानिर्देशों का प्रस्ताव रखा है।
वैकल्पिक निवेश कोष (Alternative Investment Fund – AIF):
परिभाषा: वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) ऐसा कोई भी कोष होता है जो भारत में स्थापित या समेकित होता है और एक निजी रूप से एकत्रित निवेश साधन (Privately Pooled Investment Vehicle) के रूप में कार्य करता है। यह कोष भारतीय या विदेशी परिष्कृत (सक्षम) निवेशकों से धन एकत्र करता है और एक परिभाषित निवेश नीति के अनुसार उस धन का निवेश करता है, ताकि निवेशकों को लाभ प्राप्त हो।
नोट: AIF में वे कोष शामिल नहीं होते जो निम्नलिखित नियमन के अंतर्गत आते हैं:
- सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियम, 1996
- सेबी (समूहिक निवेश योजनाएं) विनियम, 1999
- या सेबी द्वारा कोष प्रबंधन गतिविधियों को विनियमित करने के लिए बनाए गए अन्य कोई भी विनियम।
AIF की श्रेणियाँ:
श्रेणी–I AIF:
- ऐसे क्षेत्रों में निवेश करते हैं जिन्हें सरकार या नियामक सामाजिक या आर्थिक रूप से लाभकारी मानते हैं।
- उदाहरण: स्टार्टअप्स, लघु एवं मध्यम उद्यम (SMEs), अधोसंरचना (Infrastructure), सामाजिक उद्यम ।
श्रेणी–II AIF:
- वे कोष जो न तो श्रेणी-I और न ही श्रेणी-III में आते हैं।
- सामान्यतः इनमें प्राइवेट इक्विटी फंड्स, रियल एस्टेट फंड्स और संकटग्रस्त परिसंपत्ति फंड्स (Distressed Asset Funds) शामिल होते हैं।
श्रेणी–III AIF:
- उच्च जोखिम और उच्च लाभ की रणनीतियों के लिए बनाए गए कोष।
इन्हें लीवरेज (Leverage) और जटिल व्यापारिक रणनीतियों (जैसे सूचीबद्ध या गैर-सूचीबद्ध डेरिवेटिव्स में व्यापार) अपनाने की अनुमति होती है।