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AI का पर्यावरणीय प्रभाव

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संदर्भ:

AI का पर्यावरणीय प्रभाव: तेजी से बढ़ते वैश्विक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अपनाने के बीच, विशेषज्ञ इसके पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर चिंता जता रहे हैं। AI के उच्च ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन को ध्यान में रखते हुए, इसके प्रभावों को कम करने के लिए सतत उपायों की सिफारिश की जा रही है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI):

  1. परिचय: AI मशीनों में मानव बुद्धिमत्ता का अनुकरण करता है, जिससे वे सीखने, तर्क करने, समस्या हल करने, धारणा और निर्णय लेने जैसे कार्य कर सकती हैं।
  2. वैश्विक AI बाजार:
    • वैश्विक AI बाजार की कीमत 200 अरब डॉलर है।
    • 2030 तक यह 15.7 ट्रिलियन डॉलर तक आर्थिक योगदान कर सकता है।
  3. भारत की पहल:
    • भारत अपना LLM (Large Language Model) विकसित करने की योजना बना रहा है, जो DeepSeek और ChatGPT को टक्कर देगा।
    • भारत ने “AI for India 2030” पहल शुरू की, जो नैतिक, समावेशी और जिम्मेदार AI अपनाने पर जोर देती है, ताकि भारत को वैश्विक AI नवाचार में अग्रणी बनाया जा सके।

AI का पर्यावरणीय प्रभाव :

  1. उच्च ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन:
    • डेटा सेंटर, जो AI संचालन की रीढ़ हैं, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 1% योगदान देते हैं।
    • ChatGPT की एक सर्च गूगल सर्च की तुलना में 10 गुना अधिक बिजली खपत करती है (IEA रिपोर्ट)।
    • GPT-3 जैसे उन्नत AI मॉडल का प्रशिक्षण 552 टन CO₂ उत्सर्जित कर सकता है, जो दर्जनों कारों के वार्षिक उत्सर्जन के बराबर है।
  2. वेस्ट संकट और पर्यावरण विनाश:
    • डेटा सेंटरों के विस्तार से ई-वेस्ट बढ़ रहा है, जिसमें पारा और सीसा जैसे जहरीले तत्व होते हैं।
    • AI माइक्रोचिप्स में दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements) की जरूरत होती है, जिनका खनन पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाता है।
  3. जल संकट:
    • डेटा सेंटर निर्माण और संचालन के दौरान लाखों लीटर पानी उपयोग किया जाता है।
    • पानी का उपयोग मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ठंडा करने और तापमान बनाए रखने के लिए किया जाता है।

AI के पर्यावरणीय चुनौतियों पर वैश्विक प्रतिक्रिया:

  1. सतत AI की बढ़ती जागरूकता:
    • AI के पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर वैश्विक स्तर पर चर्चा तेज हो रही है।
    • COP29 में, अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने ग्रीन AI समाधानों पर जोर दिया और सरकारों व उद्योगों से AI में स्थिरता को एकीकृत करने का आग्रह किया।
  2. अंतरराष्ट्रीय पहल:
    • 190+ देशों ने नैतिक AI सिफारिशें अपनाई हैं, जो पर्यावरणीय चिंताओं को संबोधित करती हैं।
    • यूरोपीय संघ और अमेरिका में AI के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए कानून बनाए जा रहे हैं।
  3. नीति निर्माण की कमी:
    • हालांकि कई पहल शुरू हुई हैं, लेकिन ठोस नीतियां अभी भी सीमित हैं।
    • अधिकतर राष्ट्रीय AI रणनीतियां केवल आर्थिक विकास और तकनीकी नवाचार पर केंद्रित हैं और निजी क्षेत्र की उत्सर्जन कटौती की भूमिका को नजरअंदाज करती हैं।

आगे की राह:

  • AI के पर्यावरणीय प्रभाव को मापने के लिए वैश्विक मानक स्थापित करना।
  • सरकारों को कंपनियों से AI आधारित उत्पादों के पर्यावरणीय प्रभाव का खुलासा अनिवार्य कराना चाहिए।
  • AI एल्गोरिदम को ऊर्जा-कुशल बनाना और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना।
  • नए डेटा संग्रह या मॉडल प्रशिक्षण की बजाय पूर्व-प्रशिक्षित मॉडलों का उपयोग बढ़ावा देना।

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