Download Today Current Affairs PDF
अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन, अमृत 2.0 योजना का उद्देश्य भारतीय शहरों को जल सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और आत्मनिर्भरता की दिशा में सक्षम बनाना है। यह मिशन 1 अक्टूबर, 2021 को शुरू किया गया था और इसके अंतर्गत शहरी बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ बनाने के लिए ₹2,99,000 करोड़ के परिव्यय के साथ पांच वर्षों में ₹76,760 करोड़ की केंद्रीय भागीदारी का प्रावधान है।
अमृत 2.0 योजना के मुख्य लक्ष्य और प्राथमिकताएँ:
- सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन: 500 अमृत शहरों में इस क्षेत्र की सार्वभौमिक कवरेज।
- जल निकायों का कायाकल्प: पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्निर्माण के साथ-साथ जल संरक्षण।
- हरित क्षेत्र और पार्कों का विकास: शहरी हरित स्थानों को बढ़ावा देना।
- प्रौद्योगिकी उप-मिशन: जल प्रबंधन में नवीनतम तकनीकों का उपयोग।
परियोजनाओं की प्रगति और फंड आवंटन:
- 8,998 परियोजनाओं की स्वीकृति: ₹1,89,458.55 करोड़ की लागत वाली परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
- राज्य जल कार्य योजना (SWAP): मिशन के तहत परियोजनाओं की योजना और मंजूरी की जिम्मेदारी राज्यों पर है।
- फंड आवंटन और उपयोग:
- ₹11,756.13 करोड़ की राशि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जारी की गई।
- ₹6,539.45 करोड़ के उपयोग की जानकारी प्राप्त हुई।
- ₹23,016.30 करोड़ की परियोजनाएँ भौतिक रूप से पूरी हो चुकी हैं।
- डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट): 1,198 परियोजनाएँ डीपीआर चरण में हैं।
परियोजनाओं की श्रेणियाँ और निगरानी:
- लंबी अवधि वाली बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ: जल प्रबंधन और स्वच्छता को प्राथमिकता।
- निगरानी और मूल्यांकन:
- राज्य स्तर पर प्रबंधन: मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चाधिकार समिति (SHPSC) और तकनीकी समिति (SLTC) का गठन।
- मिशन की शीर्ष समिति: समग्र योजना की समीक्षा।
- स्वतंत्र समीक्षा और निगरानी एजेंसी (IRMA): प्रगति की निगरानी और रिपोर्ट के आधार पर धनराशि का निर्गमन।
- ऑनलाइन पोर्टल: प्रगति को ट्रैक करने और डेटा साझा करने के लिए समर्पित पोर्टल।
चुनौतियाँ और समाधान:
- चुनौतियाँ:
- धीमी गति से डीपीआर तैयार करना।
- कुछ राज्यों में स्वीकृत केंद्रीय सहायता का पूरा उपयोग नहीं हो पाना।
- समाधान:
- कार्यान्वयन तेज़ करने के लिए मंत्रालय द्वारा नियमित समीक्षा और मार्गदर्शन।
- राज्यों के साथ वेबिनार, कार्यशालाएँ, और क्षेत्रीय निरीक्षण।
अमृत 2.0 योजना से शहरी भारत में जल प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन की उम्मीद है। यह मिशन हरित और आत्मनिर्भर शहरों के निर्माण के साथ सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।