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केंद्रीय गृह मंत्री ने नई दिल्ली में दो दिवसीय आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 2024 का उद्घाटन किया, जिसका आयोजन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा किया गया है। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भविष्य की आतंकवाद विरोधी नीतियों और रणनीतियों को सुदृढ़ करना है। सम्मेलन में भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में आतंकवाद के वित्तपोषण में संगठित अपराध की भूमिका, एन्क्रिप्टेड ऐप्स का उपयोग, आपराधिक गिरोहों और आतंकवाद के बीच संबंध, तथा सोशल मीडिया के दुरुपयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 2024 की प्रमुख मुद्दे और चिंताएँ:
- संगठित अपराध और आतंकवाद का सहजीवी संबंध:
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- संगठित अपराध का तंत्र आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है, बदले में उन्हें सुरक्षा और संसाधन प्राप्त होते हैं।
- मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, हथियारों की तस्करी, और अवैध खनन जैसी गतिविधियाँ आतंकवाद के लिए वित्तपोषण का स्रोत बनती हैं।
- पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद का वित्तपोषण:
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- विशेषकर मणिपुर, नागालैंड, और असम जैसे राज्यों में उग्रवादी समूहों का संगठित अपराध के साथ गहरा संबंध है। उदाहरणस्वरूप, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN) जबरन वसूली और तस्करी में शामिल रहे हैं।
- भारत-म्यांमार सीमा पर ड्रोन के माध्यम से हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी भी एक नई चुनौती के रूप में उभर रही है।
- आतंकवाद में तकनीकी चुनौतियाँ:
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- आतंकवादी समूहों द्वारा सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड एप्लीकेशनों का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे उनकी गतिविधियों का पता लगाना मुश्किल हो गया है। वीपीएन और वर्चुअल नंबरों का प्रयोग जांच में और बाधा डालता है।
- मादक पदार्थों की तस्करी का राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव है, जिसमें ड्रोन का उपयोग बढ़ते हुए खतरे का संकेत देता है।
- आतंकवाद-विरोधी समन्वय और रणनीति:
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- स्थानीय पुलिस और जिला स्तर पर आतंकवाद रोधी दस्तों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है ताकि आतंकवादी नेटवर्क पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाया जा सके।
- वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने और उनकी पारिस्थितिकी को समाप्त करने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण पर बल दिया जा रहा है।
- राष्ट्रीय आतंकवाद-विरोधी डेटाबेस: एनआईए द्वारा राष्ट्रीय स्तर के आतंकवाद डेटाबेस के उपयोग से आतंकवाद-रोधी कार्रवाइयों में तेजी और सटीकता लाने का प्रयास किया जाएगा।
आशाएँ और निष्कर्ष: इस सम्मेलन के माध्यम से भारत में आतंकवाद विरोधी ढाँचे को मजबूत करने की दिशा में व्यापक रूप से प्रभावी नीतियाँ और कदम उठाने की योजना बनाई गई है। विभिन्न खुफिया एजेंसी प्रमुखों और राज्य आतंकवाद निरोधी दस्तों के साथ इन मुद्दों पर विचार-विमर्श से देश की सुरक्षा और आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में महत्वपूर्ण सुधार आने की संभावना है।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के बारे में:
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) भारत की प्रमुख आतंक रोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है। इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले गंभीर अपराधों की जाँच और उनके नियंत्रण में सहायता करना है। NIA उन अपराधों की जाँच करती है जो निम्नलिखित क्षेत्रों में भारत की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं:
- विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित करने वाले अपराध।
- परमाणु और नाभिकीय सुविधाओं के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी प्रकार की साजिश।
- हथियारों, ड्रग्स, और नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी तथा सीमा पार घुसपैठ।
- संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, सम्मेलनों तथा प्रस्तावों का उल्लंघन।
NIA का गठन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) अधिनियम, 2008 के तहत हुआ था। इसे गृह मंत्रालय से लिखित उद्घोषणा के तहत राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंकवाद से संबंधित अपराधों की जाँच का अधिकार है।
मुख्यालय: नई दिल्ली, भारत
उद्भव:
- NIA की स्थापना की प्रेरणा नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले (26/11) से मिली, जिसने वैश्विक स्तर पर सुरक्षा एजेंसियों को हिला दिया था।
- इस हमले के बाद तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार ने NIA की स्थापना का निर्णय लिया। दिसंबर 2008 में, तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने राष्ट्रीय जाँच एजेंसी विधेयक संसद में प्रस्तुत किया।
- इसके बाद, 31 दिसंबर, 2008 को NIA का औपचारिक गठन हुआ, और वर्ष 2009 में एजेंसी ने अपना कार्य शुरू किया। तब से अब तक NIA ने 447 मामलों की जाँच की है।
क्षेत्राधिकार: NIA का अधिकार क्षेत्र निम्नलिखित मामलों में लागू होता है:
- भारत के अंदर होने वाले सभी प्रकार के आतंकवादी अपराधों की जाँच।
- भारतीय नागरिकों द्वारा भारत के बाहर किए गए अपराधों पर भी यह कानून लागू होता है।
- भारत सरकार की सेवा में नियुक्त व्यक्तियों पर, चाहे वे भारत में हों या विदेश में।
- भारतीय पंजीकृत जहाज़ों और विमानों पर सभी भारतीय नागरिक।
- ऐसे व्यक्ति जो भारत के बाहर भारतीय नागरिकों के विरुद्ध अपराध करते हैं या जो भारत के हितों को प्रभावित करने वाले अपराध में संलिप्त होते हैं।
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