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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहली बार दवा निर्माण प्रक्रिया से होने वाले एंटीबायोटिक प्रदूषण से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह एंटीबायोटिक उत्सर्जन, जो बढ़ते एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) संकट का एक प्रमुख कारण है, को नियंत्रित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
एंटीबायोटिक प्रदूषण और AMR संकट:
दवा निर्माण के दौरान उत्सर्जित एंटीबायोटिक अवशेष युक्त अपशिष्ट जल जलाशयों और भूमि को प्रदूषित करता है। इस प्रदूषण के कारण एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) बढ़ता है, जो वैश्विक स्वास्थ्य संकट का मुख्य कारण बन चुका है। वर्तमान में, एंटीबायोटिक प्रदूषण पर कड़े नियम नहीं हैं, और अधिकांश गुणवत्ता मानदंड पर्यावरणीय उत्सर्जन को संबोधित नहीं करते हैं।
एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) क्या है?
AMR तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी एंटीमाइक्रोबियल दवाओं पर प्रतिक्रिया देना बंद कर देते हैं। WHO के अनुसार, यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन इसका तेजी से फैलाव मानवीय गतिविधियों, विशेष रूप से दवाओं के अति प्रयोग और गलत उपयोग के कारण हो रहा है। “सुपरबग्स” का निर्माण भी इसी का परिणाम है, जो रोगियों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।
AMR से संबंधित मुख्य चिंताएँ:
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: AMR को WHO ने वैश्विक स्वास्थ्य के लिए शीर्ष 10 खतरों में शामिल किया है। 2019 में, लगभग 1.27 मिलियन लोग एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोधी संक्रमणों के कारण मारे गए।
- पर्यावरणीय नुकसान: AMR से न केवल मानव स्वास्थ्य पर, बल्कि जैव विविधता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह प्रदूषण और जूनोटिक रोगों के प्रसार को बढ़ावा देता है।
- खाद्य और कृषि सुरक्षा: AMR कृषि और पशुपालन के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है, जिससे खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो रही है।
- आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: AMR के कारण उत्पादकता में कमी, स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि और गरीबी में इजाफा हो रहा है।
AMR से निपटने के लिए प्रमुख पहल:
- एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण (One Health Approach): इस दृष्टिकोण का उद्देश्य मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को संतुलित और बेहतर बनाना है। यह AMR से निपटने के लिए एक समग्र और टिकाऊ तरीका है।
- गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेस (GMP), 2020: WHO द्वारा जारी ये दिशानिर्देश विनिर्माण प्रक्रियाओं के पर्यावरणीय प्रभावों, जैसे अपशिष्ट प्रबंधन, पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP-AMR), 2017: इस योजना के तहत 40 अनुचित दवा संयोजनों पर प्रतिबंध लगाया गया और मुर्गी पालन में कोलिसीन के प्रयोग पर भी रोक लगाई गई है।
- एंटीमाइक्रोबियल वैक्सीन का विकास: भारत बायोटेक और अमेरिकी फर्म के सहयोग से एंटीमाइक्रोबियल वैक्सीन AV0328 का विकास किया जा रहा है।
WHO के ये कदम एंटीबायोटिक प्रदूषण और AMR संकट को नियंत्रित करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएंगे।
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