Prelims GS- महत्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएँ, भौतिक भूगोल Mains GS II – राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन और योजना |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने एक सूचना दी जिसके अनुसार, कच्छ की खाड़ी के पास भूमि के निकट एक शक्तिशाली चक्रवात का निर्माण हुआ है, जिसे “आसना” (ASNA) नाम दिया गया है। यह लगभग 49 साल बाद पहली बार हो रहा है जब कोई तूफान तटीय इलाकों में उत्पन्न होकर समुद्र की ओर जा रहा है। इस असामान्य स्थिति ने वैज्ञानिकों और आम नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है।
चक्रवात “आसना (ASNA)”: मुख्य बिंदु
- यह अरब सागर के ऊपर एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है।
- चक्रवात का गठन अरब सागर से आने वाली नमी और मानसूनी हवाओं के व्यवहार में निहित है।
- इसके अलावा, भूमि पर बने अन्य मौसमी तंत्रों और मिट्टी की नमी ने भी इस चक्रवात के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- चक्रवात को यह नाम पाकिस्तान द्वारा WMO सूची द्वारा सुझाया गया है। इसका अर्थ होता है – जिसकी प्रशंसा की जाए।
- चक्रवात आसना एक दुर्लभ घटना है, क्योंकि यह 1976 के बाद पहली बार है जब अगस्त के महीने में अरब सागर के ऊपर एक चक्रवात बना है। इससे पहले 1944, 1964 में चक्रवात आया था।
- 1891 से 2023 तक अगस्त में अरब सागर में केवल तीन चक्रवात दर्ज किए गए हैं, जिनमें से आखिरी 1976 में बना था।
- इसकी दिशा गुजरात के सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र से ओमान तट की ओर अनुमानित है।
चक्रवात क्या है (What is Cyclone)?
- चक्रवात एक प्राकृतिक आपदा है, जो आमतौर पर उष्णकटिबंधीय महासागरों के ऊपर उत्पन्न होती है।
- यह एक कम दबाव का क्षेत्र होता है जिसमें हवा तेजी से घूमती है। चक्रवात को अंग्रेजी में “Cyclone” कहा जाता है।
- जब हवा बहुत तेजी से घूमती है और समुद्र के ऊपर उत्पन्न होती है, तो इसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहा जाता है।
- चक्रवात शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द “साइक्लोस” (κύκλος) से हुई है, जिसका अर्थ है “साँप की कुंडली” या “वृत्ताकार आंदोलन”।
- चक्रवात की संरचना:
- निम्न दबाव का केंद्र: चित्र के मध्य में एक बिंदु दिखाया गया है, जिसे निम्न दबाव का केंद्र कहते हैं। यह वह क्षेत्र होता है जहां वायुमंडलीय दबाव सबसे कम होता है।
- घूर्णन वाली वायु: निम्न दबाव के केंद्र के चारों ओर वायु घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में घूमती है। यह पृथ्वी के घूर्णन के कारण होता है।
- उष्ण वायु सीमा: चित्र में एक रेखा दिखाई गई है जिसे उष्ण वायु सीमा कहा जाता है। इस सीमा के अंदर की हवा गर्म होती है।
- शीतल वायु सीमा: इसी तरह, एक अन्य रेखा शीतल वायु सीमा को दर्शाती है, जिसके बाहर की हवा ठंडी होती है।
- दाब रेखाएं: चित्र में विभिन्न संख्याओं (1002, 1000, 998, 994) वाली रेखाएं दिखाई गई हैं। ये दाब रेखाएं हैं जो समान वायुमंडलीय दबाव वाले बिंदुओं को जोड़ती हैं।
चक्रवात के मुख्य तत्व:
- कम दबाव का क्षेत्र: चक्रवात का केंद्र कम दबाव वाला होता है, जिसे “आंख” (Eye) कहा जाता है। इस आंख के चारों ओर हवा उच्च दबाव वाले क्षेत्रों से कम दबाव वाले क्षेत्र की ओर तेजी से बहती है।
- हवा की गति और दिशा: चक्रवात में हवा की गति बहुत तेज होती है, जो प्रति घंटे 60 से 300 किलोमीटर तक हो सकती है। यह हवा वामावर्त (उत्तर गोलार्ध में) या दक्षिणावर्त (दक्षिण गोलार्ध में) दिशा में घूमती है।
- समुद्री तापमान: उष्णकटिबंधीय महासागरों का तापमान जब 26.5°C या उससे अधिक होता है, तो वह गर्म हवा को ऊपर उठाने के लिए पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करता है। यह गर्म हवा ऊपर उठकर ठंडी होती है और संघनित होकर बादल बनाती है, जिससे भारी बारिश होती है।
- नमी और संघनन: महासागर से उठने वाली नमी संघनित होती है, जिससे ऊष्मा उत्पन्न होती है। यह ऊष्मा और नमी मिलकर चक्रवात को और ताकतवर बनाती है।
चक्रवात उत्पन्न होने की प्रक्रिया
चक्रवात उत्पन्न होने की प्रक्रिया तब शुरू होती है जब उष्णकटिबंधीय महासागरों का तापमान एक निश्चित मान से अधिक हो जाता है। इस गर्मी के कारण समुद्र की सतह से हवा ऊपर उठती है, जिससे कम दबाव का क्षेत्र बनता है। यह गर्म हवा ऊपर जाकर ठंडी होती है और संघनित होकर बादल बनाती है। इस दौरान हवा में नमी से ऊष्मा उत्पन्न होती है, जो चक्रवात को और अधिक ताकतवर बनाती है। कम दबाव वाले इस क्षेत्र में चारों ओर से हवा तेजी से घुमावदार तरीके से खिंचती है, जो चक्रवात के रूप में विकसित होती है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि चक्रवात भूमि से टकराकर या ठंडे क्षेत्रों में जाकर कमजोर नहीं हो जाता।
चक्रवात के प्रकार:
1. उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone):
- परिभाषा: उष्णकटिबंधीय चक्रवात वे चक्रवात होते हैं जो गर्म समुद्री सतहों के ऊपर बनते हैं और मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि “हरिकेन,” “टाइफून,” और “साइक्लोन।”
- निर्माण प्रक्रिया: उष्णकटिबंधीय चक्रवात तब उत्पन्न होते हैं जब समुद्री सतह का तापमान 26.5°C या उससे अधिक हो जाता है। गर्म समुद्र से उठने वाली हवा ऊपर की ओर उठती है, जिससे कम दबाव का क्षेत्र बनता है। यह गर्म हवा ऊँचाई पर जाकर ठंडी होती है और संघनित होकर बादल बनाती है, जिससे ऊष्मा उत्पन्न होती है। यह ऊष्मा और नमी चक्रवात को ऊर्जा प्रदान करती हैं, और हवा तेज गति से कम दबाव वाले क्षेत्र की ओर खिंचती है, जिससे चक्रवात का निर्माण होता है।
2. अध्यक्षीय चक्रवात (Extratropical Cyclone):
- परिभाषा: अध्यक्षीय चक्रवात वे चक्रवात होते हैं जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के बाहर, आमतौर पर मध्यम और उच्च अक्षांशों में उत्पन्न होते हैं। ये ठंडी और गर्म हवाओं के मिलने के कारण बनते हैं और इन्हें “मध्य अक्षांशीय चक्रवात” या “फ्रंटल चक्रवात” भी कहा जाता है।
निर्माण प्रक्रिया: अध्यक्षीय चक्रवात तब उत्पन्न होते हैं जब ठंडी ध्रुवीय हवा और गर्म उष्णकटिबंधीय हवा आपस में मिलती हैं। इस प्रक्रिया में एक स्थिर मोर्चा (फ्रंट) बनता है, जहां तापमान और दबाव का बड़ा अंतर होता है। इस मोर्चे के आसपास हवा तेजी से घुमने लगती है, और कम दबाव का क्षेत्र बनता है। ठंडी और गर्म हवाओं के इस संयोजन से ऊपरी वातावरण में चक्रवात का निर्माण होता है, जो ऊँचाई पर मजबूत वायुमंडलीय धाराओं से प्रभावित होता है।
चक्रवातों का नामकरण
- इनका नामकरण विश्व मौसम संगठन (WMO) के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाता है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रीय मौसम केंद्रों और उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्रों की भूमिका होती है।
- अटलांटिक और दक्षिणी गोलार्द्ध में, चक्रवातों को वर्णमाला के क्रम में महिला और पुरुषों के नामों के आधार पर नामित किया जाता है।
- हालाँकि, उत्तरी हिंद महासागर के क्षेत्र में, वर्ष 2000 से चक्रवातों के नाम देशों के अनुसार क्रम में सूचीबद्ध किए जाते हैं।
- उत्तर हिंद महासागर में चक्रवातों के नामकरण के लिए एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, मालदीव, श्रीलंका, ओमान, थाईलैंड, और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
- भारतीय मौसम विभाग (IMD), जो इस क्षेत्र का एक विशेषज्ञता प्राप्त केंद्र है, उत्तरी हिंद महासागर में उत्पन्न होने वाले चक्रवातों को नाम देता है।
- नामकरण का जिम्मा विश्व के 6 क्षेत्र विशेष मौसम केंद्र और 5 उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र को ही दिया गया है।
- चक्रवात का नामकरण कौन करता है?
- चक्रवात का नामकरण विश्व मौसम संगठन (World Meteorological Organization – WMO) और संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत आने वाली एक समिति द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में संबंधित क्षेत्रों के देश मिलकर चक्रवातों के नाम तय करते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र में आने वाले चक्रवातों का नाम भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, मालदीव, ओमान, और थाईलैंड जैसे देशों द्वारा सुझाए गए नामों में से चुना जाता है।
- चक्रवात के नाम कैसे चुने जाते हैं?
- चक्रवात के नामकरण की प्रक्रिया में इन देशों द्वारा सुझाए गए नामों की एक सूची बनाई जाती है, जिसे क्रमबद्ध तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। जब कोई नया चक्रवात बनता है, तो सूची में से अगला नाम चुना जाता है। उदाहरण के लिए, चक्रवात ‘असना’ का नाम पाकिस्तान द्वारा सुझाया गया। इसी प्रकार से, अन्य चक्रवातों के नाम भी संबंधित देशों द्वारा पहले से तय की गई सूची से चुने जाते हैं।
चक्रवातों के कुछ प्रमुख उदाहरण
- हरिकेन: “कैटरीना” (2005) – यह अमेरिका के Gulf Coast पर तबाही मचाने वाला एक बड़ा हरिकेन था।
- साइक्लोन: “फनी” (2019) – यह एक शक्तिशाली साइक्लोन था जो भारत के ओडिशा और पश्चिम बंगाल में प्रभावित हुआ।
- चक्रवात: “ताउते” (2021) – यह एक गंभीर चक्रवात था जिसने भारत और पाकिस्तान में भारी बारिश और नुकसान पहुँचाया।
भारत में चक्रवात:
- भौगोलिक स्थिति: भारत की भौगोलिक स्थिति चक्रवातों की उत्पत्ति और प्रभाव को प्रभावित करती है। भारत के तटवर्ती क्षेत्र, विशेष रूप से पश्चिमी और पूर्वी तट, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में स्थित हैं, जो चक्रवातों के निर्माण और उनकी दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बंगाल की खाड़ी, हिन्द महासागर और अरब सागर में स्थित समुद्री सतहें चक्रवातों के विकास के लिए अनुकूल स्थितियाँ प्रदान करती हैं। भारत में उत्तरी हिंद महासागर में चक्रवातों का मौसम आमतौर पर अप्रैल से नवंबर के बीच होता है। इस अवधि के दौरान, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में समुद्री स्थितियों में बदलाव और गर्मी के प्रभाव से चक्रवात उत्पन्न होते हैं। भारतीय समुद्र तट की कुल लंबाई की 5770 किलोमीटर तटवर्ती क्षेत्र चक्रवातों और अन्य प्राकृतिक खतरों के प्रति संवेदनशील है।
- प्रभावित राज्य: बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न चक्रवातों के कारण ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, और तमिलनाडु प्रभावित होते हैं। अरब सागर में उत्पन्न चक्रवातों के कारण गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटका, और केरल प्रभावित होते हैं।
- भारत में महत्वपूर्ण चक्रवातों के उदाहरण: भोला चक्रवात (1970), चक्रवात अम्फान (2020), चक्रवात निसर्ग (2020), चक्रवात निवार (2020)।
चक्रवाती शमन के लिए आपदा प्रबंधन
चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए कई शमन उपाय अपनाए जाते हैं। इन शमन उपायो को संयुक्त राष्ट्र मानव अधिवासन कार्यक्रम; UN-HABITAT द्वारा जारी किया गया है। खतरा मानचित्रण के माध्यम से उन क्षेत्रों की पहचान की जा सकती है जो तूफानों से अधिक प्रभावित होने की संभावना रखते हैं। भूमि उपयोग नियोजन के तहत संवेदनशील क्षेत्रों में बस्तियों को बसाने से बचा जा सकता है। इंजीनियर्ड संरचनाएं जैसे समुद्र तटों पर तटबंध और भवनों को चक्रवात के प्रभाव को कम करने के लिए डिजाइन किया जा सकता है। नॉन-इंजीनियर्ड संरचनाओं जैसे मकानों को मजबूत छतें और सुरक्षित आधार प्रदान करके उन्हें चक्रवात रोधी बनाया जा सकता है। चक्रवात आश्रय राष्ट्रीय, राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर बनाए जा सकते हैं ताकि लोगों को सुरक्षित स्थान उपलब्ध हो सके। बाढ़ प्रबंधन के लिए जल निकासी व्यवस्था को सुधारना और बाढ़ की स्थिति के लिए तैयार रहना आवश्यक है। वनस्पति आवरण में सुधार के लिए पेड़ और मैंग्रोव वृक्षारोपण किया जा सकता है जो तटीय क्षेत्रों को प्राकृतिक बाधा के रूप में कार्य करते हैं। जनता को जागरूक करना भी बहुत महत्वपूर्ण है ताकि वे प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सुरक्षा के उपायों को अपना सकें।
भारत: चक्रवाती आपदा प्रबंधन
- राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम न्यूनीकरण परियोजना (NCCRP): राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम न्यूनीकरण परियोजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है जो चक्रवातों के प्रभाव को कम करने के लिए संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपायों को शामिल करती है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य चक्रवातों के जोखिम को कम करना, प्रभावित क्षेत्रों में क्षमता निर्माण करना और सामुदायिक तैयारी को बेहतर बनाना है।
- एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन (आईसीजेडएम) परियोजना: आईसीजेडएम परियोजना तटीय क्षेत्रों के समग्र और सतत प्रबंधन के लिए एक व्यापक योजना है। यह परियोजना समुद्र तटों और तटीय पारिस्थितिक तंत्रों की सुरक्षा और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करती है। इसके प्रमुख तत्वों में शामिल हैं: पारिस्थितिक तंत्र संरक्षण, समुद्री नीतियों का सुधार और समुद्र तट प्रबंधन।
- आईएमडी द्वारा चक्रवातों की रंग-कोडिंग: भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) द्वारा चक्रवातों के लिए रंग-कोडिंग प्रणाली एक महत्वपूर्ण चेतावनी तंत्र है जो विभिन्न चक्रवात खतरों की गंभीरता को प्रदर्शित करती है। यह प्रणाली निम्नलिखित रंगों का उपयोग करती है: हरा (Green): सामान्य स्थिति, पीला (Yellow): संभावित खतरा, नारंगी (Orange): गंभीर खतरा, और लाल (Red): उच्चतम खतरा।
UPSC Previous year PYQ
प्रश्न: उष्णकटिबंधीय चक्रवात बड़े पैमाने पर दक्षिण चीन सागर, बंगाल की खाड़ी और मैक्सिको की खाड़ी तक ही सीमित हैं। क्यों? (2014)
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