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संदर्भ:
भारतीय वायुसेना (IAF) के अधिकारी और ISRO अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को हाल ही में Axiom मिशन 4 (Ax-4) के पायलट के रूप में नामित किया गया है। यह मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है और अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
Axiom मिशन 4 (Ax-4):
- मिशन परिचय: Axiom मिशन 4 (Ax-4) एक प्राइवेट स्पेसफ्लाइट है जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेजा जाएगा।
- लॉन्च और अवधि:
- मिशन की लॉन्चिंग अप्रैल 2025 में होने की उम्मीद है।
- मिशन की अवधि लगभग 14 दिन होगी।
- ऑपरेटर और यान:
- यह मिशन Axiom Space द्वारा संचालित किया जाएगा।
- स्पेसफ्लाइट में SpaceX Crew Dragon यान का उपयोग किया जाएगा।
- इसे Falcon 9 रॉकेट के द्वारा लो–अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजा जाएगा।
- लॉन्च स्थल: यह मिशन NASA के केनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से लॉन्च किया जाएगा।
- क्रू और उद्देश्य:
- इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री के अलावा तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री शामिल होंगे।
- प्राइवेट अंतरिक्ष यात्री विज्ञान, आउटरीच और वाणिज्यिक गतिविधियों पर आधारित मिशन करेंगे।
Axiom के पिछले मिशन:
- Axiom मिशन 1: अप्रैल 2022 में लॉन्च किया गया, यह दुनिया का पहला वाणिज्यिक crewed प्राइवेट अंतरिक्ष उड़ान था जो ISS पर 17 दिन रुका।
- Axiom मिशन 2: मई 2023 में लॉन्च हुआ, 8 दिन कक्षा में रहा।
- Axiom मिशन 3: जनवरी 2024 में लॉन्च हुआ, और 18 दिन ISS से जुड़ा रहा।
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के बारे में:
- ISS एक मानव-निर्मित कृत्रिम उपग्रह है, जो निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में स्थित है, जिसकी ऊँचाई 370–460 किमी के बीच है।
- ISS के प्रमुख भागीदार:
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) – यूरोपीय देशों का प्रतिनिधित्व करती है
- NASA (संयुक्त राज्य अमेरिका)
- जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA)
- कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (CSA)
- रॉसकोस्मोस (रूस)
- इसका पहला घटक 1998 में कक्षा में भेजा गया था, और इसे 2021 तक नए मॉड्यूल के साथ लगातार विस्तारित किया गया है।
- ISS कम से कम 2030 तक एक अंतरिक्ष प्रयोगशाला और आउटपोस्ट के रूप में कार्य करता रहेगा।
- इस स्टेशन का निर्माण अंतरिक्ष में टुकड़ों-टुकड़ों में किया गया था, जिसमें 40 से अधिक मिशनों की आवश्यकता पड़ी।
ISS का महत्व:
- अनुसंधान और विज्ञान: यह डीएनए अनुक्रमण, रोबोटिक्स, और उपग्रह प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर वैज्ञानिक अध्ययन की अनुमति देता है, जो केवल सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण में संभव हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है, जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, संचार, और शोध में प्रगति होती है।
- मानव स्वास्थ्य: ISS पर किया जा रहा अनुसंधान बीमारी के निर्माण, दवाओं और निदान उपकरणों का परीक्षण, और मानव शरीर को अंतरिक्ष में समझने में मदद करता है।
- निम्न पृथ्वी कक्षा अर्थव्यवस्था: यह छोटे व्यवसायों और उद्यमियों को नई प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करने और अंतरिक्ष में उत्पादों को विकसित करने का अवसर प्रदान करता है।