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संदर्भ:
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA): पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस, जिसमें लगभग 450 यात्री सवार थे, बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के उग्रवादियों द्वारा हमले का शिकार हुई।
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के बारे में:
- यह एक बलूच जातीय राष्ट्रवादी समूह (Baloch Ethnonationalist Group) है जो एक स्वतंत्र बलूचिस्तान की मांग करता है।
- इसे पाकिस्तान में 2006 में प्रतिबंधित (Banned) कर दिया गया और अमेरिका ने 2019 में इसे वैश्विक आतंकवादी संगठन (Global Terrorist Organization) घोषित किया।
BLA की हमलों में भूमिका:
- यह हमला BLA के मजीद ब्रिगेड (Majeed Brigade) द्वारा किया गया, जो कि एक फिदायीन यूनिट (Suicide Squad) है और 2011 से सक्रिय है।
- अन्य विशेष BLA यूनिट्स जैसे STOS, फतह स्क्वाड (Fatah Squad), और ज़िराब यूनिट्स (Zirab Units) भी शामिल थीं।
- पहले भी यह समूह पाकिस्तानी संस्थानों और परियोजनाओं, खासकर बलूचिस्तान क्षेत्र में हमले करता रहा है।
महत्वपूर्ण हमले:
- मार्च 2024: ग्वादर पोर्ट के पास एक सुरक्षा परिसर पर हमला।
- अक्टूबर 2024: CPEC परियोजनाओं पर काम कर रहे दो चीनी नागरिकों की आत्मघाती बम हमले में हत्या।
बलूचिस्तान का महत्व:
बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि:
- विस्तृत प्राकृतिक संसाधन: यहां गैस, कोयला और खनिज जैसे मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं।
- ग्वादर पोर्ट: यहचीन के BRI के अंतर्गत वैश्विक व्यापार का एक महत्वपूर्ण बिंदु है।
- भौगोलिक स्थिति: यह क्षेत्रईरान और अफगानिस्तान की सीमाओं से सटा हुआ है, जो इसे भू-राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील बनाता है।
BLA का उद्देश्य (BLA’s Objective):
- BLA ने इस तरह के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया है ताकि यह दिखाया जा सके कि बलूचिस्तान के संसाधनों का दोहन किया जा रहा है और उसका लाभ स्थानीय लोगों को नहीं मिल रहा है।
विद्रोह और उसका प्रभाव (Insurgency and its Impact):
- हिंसा और हताहत: बलूच विद्रोहों में सालों से हजारों लोग मारे गए हैं।
- पाकिस्तान और भारत के बीच आरोप–प्रत्यारोप: पाकिस्तान अक्सर भारत परबलूच विद्रोहियों को समर्थन देने का आरोप लगाता है, जिसे भारत नकारता है।
- चीनी परियोजनाओं पर हमले: विद्रोही अक्सर चीनी कर्मियों और CPEC परियोजनाओं (China-Pakistan Economic Corridor) को निशाना बनाते हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इन परियोजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिलेगा।