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संदर्भ:
साल 2025 की शुरुआत में, मध्य प्रदेश के इंदौर और भोपाल जिलों के कलेक्टरों ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 के तहत भीख मांगने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं।
धारा 163 (BNSS, 2023) के तहत भीख मांगने पर प्रतिबंध के आदेश:
- जिला मजिस्ट्रेट, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, और कार्यकारी मजिस्ट्रेट को किसी क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने और संभावित खतरे को रोकने के लिए तत्काल आदेश जारी करने का अधिकार है।
- ये आदेश किसी व्यक्ति या समूह पर लागू किए जा सकते हैं।
आदेश की अवहेलना पर दंड (भारतीय न्याय संहिता – BNS, 2023 की धारा 223 के तहत):
यदि कोई व्यक्ति इन आदेशों का पालन नहीं करता है, तो उसे निम्न दंड का सामना करना पड़ सकता है:
- छह महीने तक की जेल, ₹2,500 तक का जुर्माना, या दोनों।
- यदि उल्लंघन से किसी की जान, स्वास्थ्य या सुरक्षा को खतरा होता है, तो सजा बढ़ सकती है:
- एक वर्ष तक की जेल
- ₹5,000 तक का जुर्माना
आदेश की अवधि और विस्तार:
- ये आदेश अधिकतम 2 महीने तक प्रभावी रह सकते हैं।
- यदि आवश्यक हो, तो राज्य सरकार इसे अधिकतम 6 महीने तक बढ़ा सकती है।
- यदि स्थिति बनी रहती है, तो नए आदेश जारी कर इन्हें पुनः लागू किया जा सकता है, ठीक वैसे ही जैसे CrPC की धारा 144 के तहत किया जाता है।
भीख मांगने और बेघर लोगों से संबंधित मुद्दे:
- जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में 4.13 लाख भिखारी और आवारा व्यक्ति हैं।
- प्रमुख घटनाओं से पहले भिक्षावृत्ति पर कार्रवाई
- 2017: हैदराबाद में ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप समिट से पहले भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध लगाया गया।
- 2010: दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों से पहले भिखारियों को हटाया गया।
- विवाद और आलोचना:
- ऐसी कार्रवाइयों को यह कहकर आलोचना मिली है कि वे सबसे कमजोर वर्गों को निशाना बनाती हैं।
- सरकारें मूल कारणों जैसे गरीबी, बेरोजगारी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और सामाजिक बहिष्करण को दूर करने के बजाय अस्थायी उपाय अपनाती हैं।
- भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध से प्रभावित लोगों के लिए वैकल्पिक पुनर्वास उपायों की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
- भीख मांगने के प्रमुख कारण:
- आर्थिक कारण – गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और आय के साधनों की कमी।
- सामाजिक कारण – अशिक्षा, भेदभाव, अनाथ और बेसहारा लोग।
- स्वास्थ्य कारण – विकलांगता, मानसिक रोग, नशे की लत।
- प्राकृतिक आपदाएं – बाढ़, भूकंप, विस्थापन के कारण रोज़गार छिन जाना।
- संगठित रैकेट – माफिया गिरोह द्वारा बच्चों और असहाय लोगों का शोषण।
भिक्षावृत्ति के खिलाफ कानून:
- बॉम्बे भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम, 1959
- यह भारत में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए बनाया गया पहला कानून था।
- इस कानून का उद्देश्य सड़कों को भिखारियों, कुष्ठ रोगियों और मानसिक रोगियों से मुक्त रखना था, जिससे उन्हें विशेष संस्थानों में भेजा जा सके।
- धारा 10 के तहत, मुख्य आयुक्त को असाध्य रूप से असहाय भिखारियों को अनिश्चितकाल तक हिरासत में रखने का अधिकार प्राप्त था।
- दंड प्रावधान: भिखारियों को अधिकतम 10 वर्षों तक संस्थानों में हिरासत में रखा जा सकता था।
- कानूनी प्रभाव और आलोचना
- इस कानून ने पुलिस को यह अधिकार दिया कि वे बिना वारंट ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार कर सकती थी, जिनके पास जीविका के स्पष्ट साधन नहीं थे।
- आज भी मुंबई जैसे शहरों में भिखारियों को हिरासत में लेने के लिए केंद्र मौजूद हैं।
- संवैधानिक उल्लंघन
- यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और 21 का उल्लंघन करता है, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार की सुरक्षा करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 38 के अनुसार, राज्य की जिम्मेदारी है कि वह विकलांग और बेरोजगार व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए कदम उठाए।