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भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BFS) | UPSC Preparation

BFS

सामान्य अध्ययन पेपर III: आपदा प्रबंधन 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने ‘भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BFS)’ का शुभारंभ किया। यह प्रणाली उच्च-रिज़ॉल्यूशन मौसम पूर्वानुमान प्रणाली है, जो पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित की गई है।

भारत पूर्वानुमान प्रणाली (Bharat Forecast System – BFS)

    • परिचय:
      • भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BFS) एक अत्याधुनिक मौसम पूर्वानुमान मॉडल है, जिसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन विकसित किया गया है।
      • यह प्रणाली उच्च रेज़ोल्यूशन के साथ सटीक मौसम अनुमान देने में सक्षम है।
      • BFS प्रणाली का विकास वर्ष 2022 से परीक्षण मोड में शुरू किया गया था, जिसके अंतर्गत इसे विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में प्रयोग कर देखा गया। 
      • यह प्रणाली देशभर में मौसम की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए सबसे सटीक और विश्वसनीय मॉडल के रूप में प्रयुक्त की जाएगी। 
      • इसे भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे द्वारा तैयार किया गया है और भारतीय मौसम विभाग (IMD) इसे राष्ट्रीय स्तर पर संचालित करेगा।
      • BFS एक कंप्यूटर-आधारित मॉडल है जो मौसम संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण कर अत्यधिक सटीक पूर्वानुमान प्रस्तुत करता है। 
      • यह प्रणाली उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (High-Performance Computing) का उपयोग करती है जिससे मौसम की गतिविधियों का सूक्ष्म स्तर पर अध्ययन संभव हो पाता है। 
  • उद्देश्य:
    • BFS प्रणाली का प्रमुख उद्देश्य चरम मौसमी घटनाओं जैसे चक्रवात, भारी वर्षा, और मानसून की अस्थिरता की सटीक जानकारी देना है। 
    • इस प्रणाली से समय रहते आपदा प्रबंधन एजेंसियाँ चेतावनी जारी कर सकती हैं, जिससे जान-माल की हानि को कम किया जाना सुनिश्चित करना हैं।
    • कृषि क्षेत्र में इस प्रणाली से किसान पहले से मौसम की जानकारी लेकर फसल योजना बना सकते हैं। मानसून की बेहतर समझ से जल संसाधन प्रबंधन, फसल चक्र निर्धारण और खाद्य सुरक्षा नीति में सुदृढ़ता लाना भी इसका उद्देश्य है।
भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BFS) की विशेषताएँ
  • उच्चतम वैश्विक रेज़ोल्यूशन: भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BFS) विश्व के सबसे उच्च गुणवत्ता वाले मौसम पूर्वानुमान मॉडल्स में से एक है, जो केवल 6 किलोमीटर के ग्रिड पर काम करता है। 
    • BFS का यह ग्रिड आकार इसे अन्य देशों के 9–14 किमी ग्रिड सिस्टम से बेहतर बनाता है।
    • यह तकनीक स्थानीय स्तर तक मौसम की बारीक जानकारी देने में समर्थ है।
  • तेज़ डेटा प्रोसेसिंग: BFS मॉडल, इसके पूर्ववर्ती मॉडल प्रट्युष की तुलना में 60% तेज़ पूर्वानुमान देने में सक्षम है। जिससे मौसम की जानकारी अधिक शीघ्र और सटीक रूप से उपलब्ध हो पाती है। इससे तत्काल निर्णय लेने में सहायता मिलती है, खासकर जब आपदा प्रबंधन की बात आती है।
  • प्रत्येक क्षेत्र को कवर करना: यह प्रणाली पूरे भारत को व्यापक रूप से कवर करती है, जिसमें छोटे-छोटे गाँव, ब्लॉक्स और उप-जिलों तक शामिल हैं। इससे ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में भी मौसम की सटीक जानकारी उपलब्ध होती है, जो इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
  • ‘नौ-कास्टिंग’ का समर्थन: BFS प्रणाली ‘नौ-कास्टिंग’ सुविधा प्रदान करती है, जिसका अर्थ है अगले 2 घंटों के लिए तत्काल मौसम का पूर्वानुमान। इससे छोटे समय में बदलते मौसम की जानकारी मिलती है, जो खासकर अचानक होने वाली भारी बारिश, तूफान या अन्य आपदाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
  • सुपरकंप्यूटर ‘अर्का’ द्वारा संचालित: भारत का अत्याधुनिक सुपरकंप्यूटर ‘अर्का’ BFS को संचालित करता है, जो इस प्रणाली की उच्च रेज़ोल्यूशन और तेजी का मुख्य कारण है। इस तकनीकी उन्नति से भारत का मौसम पूर्वानुमान क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर बेहतर होता जा रहा है।
  • स्थानीय तीव्र मौसमी घटनाओं की पहचान: IMD के पूर्व मॉडल की तुलना में, जिसका रेज़ोल्यूशन 12 किलोमीटर x 12 किलोमीटर था, BFS के 6 किलोमीटर x 6 किलोमीटर के ग्रिड से स्थानीय और तीव्र मौसमी घटनाओं जैसे क्लाउडबर्स्ट (अचानक भारी वर्षा) और फ्लैश फ्लड (अचानक बाढ़) की सटीक पहचान संभव हो पाती है। यह क्षेत्रीय आपदाओं से निपटने में सहायता करता है।
  • जिले और उप-जिला स्तर पर सटीक पूर्वानुमान: BFS मॉडल का एक प्रमुख लाभ यह है कि यह जिला और उप-जिला स्तर तक मौसम पूर्वानुमान की सटीकता को बढ़ाता है। इससे स्थानीय प्रशासन और नीति-निर्माता बेहतर योजना बना सकते हैं और आवश्यक संसाधनों का सही समय पर प्रबंध कर सकते हैं।

भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BFS) की कार्यप्रणाली

  • सुपरकंप्यूटर ‘अर्का’ का उपयोग: BFS प्रणाली अपने जटिल और उच्च-स्तरीय मौसम पूर्वानुमान सिमुलेशनों के लिए भारत के सुपरकंप्यूटर ‘अर्का’ का सहारा लेती है। 
    • BFS में लगा सुपरकंप्यूटर ‘Arka’ 11.77 पेटाफ्लॉप्स की तीव्रता से काम करता है।
    • इसमें उपलब्ध 33 पेटाबाइट स्टोरेज विशाल डेटा भंडारण और प्रोसेसिंग को सरल बनाता है।
  • डॉप्लर वेदर राडारों से वास्तविक समय में डेटा संग्रह: इसके बाद, BFS प्रणाली देशभर में फैले 40 से अधिक डॉपलर वेदर रडारों से वास्तविक समय के मौसम डेटा एकत्रित करती है। ये रडार मौसम की मौजूदा स्थिति की निरंतर निगरानी करते हैं। भविष्य में इन रडारों की संख्या 100 तक बढ़ाने की योजना है, जिससे डेटा संग्रह और भी व्यापक और सटीक होगा।
  • क्षेत्रीय डेटा प्रोसेसिंग: BFS अपने विश्लेषण में पृथ्वी के 30° दक्षिण से लेकर 30° उत्तर अक्षांश तक के क्षेत्रों को शामिल करता है। इस क्षेत्र में भारत समेत कई उष्णकटिबंधीय क्षेत्र आते हैं, जहां मौसम की तेजी से बदलाव वाली घटनाएं सामान्य होती हैं। इस विस्तृत क्षेत्रीय कवरेज के कारण BFS उष्णकटिबंधीय मौसम पैटर्न की गहन समझ प्रदान करता है।
  • उन्नत सिमुलेशन तकनीक: रडारों से प्राप्त डेटा को ‘अर्का’ सुपरकंप्यूटर के माध्यम से प्रोसेस किया जाता है। इसमें तापमान, आर्द्रता, हवा की दिशा, और अन्य मौसम संबंधी मापदंडों का विस्तार से विश्लेषण शामिल होता है। यह प्रोसेसिंग मौसम के छोटे-छोटे बदलावों को भी पकड़ती है, जिससे त्वरित और सटीक पूर्वानुमान संभव हो पाता है।
  • तीव्र गणना और मॉडलिंग: सभी डेटा के आधार पर BFS जटिल सिमुलेशन करता है, जिनमें विभिन्न मौसम मॉडल शामिल होते हैं। यह मॉडल स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर मौसम की भविष्यवाणी करते हैं। 
    • संपूर्ण प्रक्रिया के अंत में, BFS मॉडल से प्राप्त डेटा को स्थानीय और क्षेत्रीय प्रशासन, कृषि विभाग, और आपदा प्रबंधन एजेंसियों तक पहुंचाया जाता है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD):

  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की स्थापना वर्ष 1875 में की गई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम सेवा है और मौसम विज्ञान तथा संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी के रूप में कार्य करता है। 
  • यह विभाग भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन कार्यरत है तथा इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
  • IMD विश्व मौसम संगठन (WMO) के अंतर्गत छः क्षेत्रीय विशेषीकृत मौसम केंद्रों (Regional Specialized Meteorological Centres – RSMC) में से एक है। 
  • यह भारत को मौसमीय भविष्यवाणी में वैश्विक सहयोग और नेतृत्व की दिशा में सशक्त बनाता है।
  • IMD का मूल उद्देश्य मौसम संबंधी पर्यवेक्षण करना और वर्तमान तथा पूर्वानुमानित मौसम जानकारी प्रदान करना है।
    • जो कृषि, सिंचाई, नौवहन, उड्डयन, समुद्री तेल अन्वेषण जैसी गतिविधियों के सुनियोजित संचालन में सहायक होती है।
  • IMD ने वर्ष 2047 तक भारत को जलवायु-स्मार्ट और मौसम-सजग बनाने का संकल्प लिया है। 
    • इसके तहत “जीरो-एरर ब्लॉक स्तरीय पूर्वानुमान” की महत्वाकांक्षी योजना बनाई गई है, जिसमें तीन दिन पहले तक सटीक चेतावनियाँ देने की क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। 
    • यह योजना दो, पाँच, दस और बाईस वर्षों की समयसीमा में चरणबद्ध रूप से IMD की क्षमताओं के उन्नयन पर आधारित है।

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