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CBD के अंतर्गत भारत का जैवविविधता लक्ष्य

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हाल ही में, भारत ने कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF) के साथ संरेखित करते हुए जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (CBD) में अपने राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्य प्रस्तुत करने की योजना बनाई है। CBD का अनुच्छेद 6 सभी पक्षकारों से जैवविविधता के संरक्षण और सतत उपयोग के लिए राष्ट्रीय रणनीति, योजना या कार्यक्रम तैयार करने का आह्वान करता है।

भारत का जैवविविधता लक्ष्य:

भारत द्वारा कोलंबिया के कैली में आयोजित होने वाले CBD के पक्षकारों के 16वें सम्मेलन (CBD-COP 16) में प्रस्तुत किए जाने की संभावना वाले 23 जैवविविधता लक्ष्य निम्नलिखित हैं:

  1. संरक्षण क्षेत्र: जैवविविधता को बढ़ाने के लिए 30% क्षेत्रों को प्रभावी रूप से संरक्षित करना।
  2. आक्रामक प्रजातियों का प्रबंधन: आक्रामक विदेशी प्रजातियों के प्रवेश और स्थापना में 50% की कमी लाना।
  3. अधिकार और भागीदारी: जैवविविधता संरक्षण प्रयासों में स्वदेशी लोगों, स्थानीय समुदायों, महिलाओं और युवाओं की भागीदारी और अधिकारों को सुनिश्चित करना।
  4. सतत उपभोग: सतत उपभोग विकल्पों को सक्षम बनाना और खाद्य अपशिष्ट को आधे से कम करना।
  5. लाभ साझाकरण: आनुवंशिक संसाधनों, डिजिटल अनुक्रम की जानकारी और संबंधित पारंपरिक ज्ञान से लाभ के निष्पक्ष और न्यायसंगत साझाकरण को बढ़ावा देना।
  6. प्रदूषण में कमी: प्रदूषण को कम करना, पोषक तत्वों की हानि और कीटनाशक जोखिम को आधा करना।
  7. जैवविविधता नियोजन: यह सुनिश्चित करना कि उच्च जैवविविधता महत्त्व वाले क्षेत्रों की हानि को कम करने के लिए सभी क्षेत्रों का प्रबंधन किया जाए।

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF):

  • परिचय: यह एक बहुपक्षीय संधि है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर जैवविविधता की हानि को रोकना है। इसे दिसंबर 2022 में कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (CoP) की 15वीं बैठक के दौरान अपनाया गया था।
  • उद्देश्य और लक्ष्य: यह सुनिश्चित करता है कि वर्ष 2030 तक क्षीण हो चुके स्थलीय, अंतर्देशीय जल, तथा समुद्री और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के कम-से-कम 30% क्षेत्रों का प्रभावी पुनर्स्थापन हो जाए। इसमें 23 क्रिया-उन्मुख वैश्विक लक्ष्य शामिल हैं, जो वर्ष 2050 तक परिणाम-उन्मुख लक्ष्यों की प्राप्ति में सक्षम बनाएंगे।
  • दीर्घकालिक दृष्टिकोण: इस रूपरेखा में यह परिकल्पना की गई है कि वर्ष 2050 तक प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता होगी, जो जैवविविधता संरक्षण और सतत उपयोग पर वर्तमान कार्यों और नीतियों के लिए एक आधारभूत मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करेगी।

राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्यों (NBT) का विकास:

  1. आईची जैवविविधता लक्ष्य: CBD दायित्वों के तत्त्वाधान में, भारत ने 12 राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्य (NBT) विकसित किए हैं, जो पिछले आईची जैवविविधता लक्ष्य (2011-2020) के अनुरूप हैं।
  2. राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना (NBAP): इनकी शुरूआत मूल रूप से वर्ष 2008 में की गई थी और आईची जैवविविधता लक्ष्यों को शामिल करने के लिए वर्ष 2014 में संशोधन किया गया था।
  3. निगरानी: NBT को प्राप्त करने के लिए भारत द्वारा संबद्ध संकेतक और निगरानी ढाँचा विकसित किया गया है, जिससे लक्ष्यों की प्रगति का मूल्यांकन किया जा सके।

भारत नए जैवविविधता लक्ष्यों को कैसे प्राप्त कर सकता है?

  1. पर्यावास संपर्क:
    • भारत को घास के मैदानों, आर्द्रभूमियों और समुद्री घास के मैदानों जैसे उपेक्षित पारिस्थितिक तंत्रों के संरक्षण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
    • विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों के बीच संपर्क को बढ़ाने से प्रजातियों की आवागमन में सुधार होगा, जिससे जैवविविधता में वृद्धि हो सकती है।
  2. वित्तीय संसाधन जुटाना:
    • भारत को अपनी राष्ट्रीय जैवविविधता संबंधी कार्य योजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के लिए विकसित देशों से वित्तीय सहायता प्राप्त करने की आवश्यकता है।
    • ग्लोबल बायोडाइवर्सिटी फ्रेमवर्क (GBF) ने विकसित देशों से विकासशील देशों में जैवविविधता संबंधी पहल के लिए वर्ष 2025 तक कम से कम 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष और वर्ष 2030 तक 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष एकत्रित करने का आह्वान किया है।
  3. सह-प्रबंधन मॉडल:
    • संरक्षण प्रक्रिया में स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों को शामिल करने वाले सह-प्रबंधन ढांचे का विकास करने से सामुदायिक आजीविका को बनाए रखते हुए संरक्षित क्षेत्रों की प्रभावशीलता बढ़ाई जा सकती है।
    • यह दृष्टिकोण स्थानीय समुदायों के अधिकारों को भी सुरक्षित करेगा और उनके अनुभवों का लाभ उठाने में मदद करेगा।
  4. OECM पर ध्यान केंद्रित करना:
    • पारंपरिक संरक्षित क्षेत्रों से ध्यान हटाकर अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपायों (OECM) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
    • यह मानव गतिविधियों पर कम प्रतिबंध वाले क्षेत्रों में जैवविविधता के संरक्षण की अनुमति देगा, जैसे पारंपरिक कृषि प्रणालियाँ और निजी स्वामित्व वाली भूमि।
  5. कृषि सब्सिडी में सुधार:
    • भारत को कीटनाशकों के उपयोग जैसी हानिकारक प्रथाओं को समर्थन हटाकर स्थायी विकल्पों की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बढ़ावा दें।
    • सतत कृषि प्रथाओं को अपनाने से जैवविविधता में सुधार होगा और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को भी सहायता मिलेगी।
  6. पिछले लक्ष्यों के साथ संरेखण:
    • मौजूदा राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना (NBAP) पर निर्माण करना और इसे GBF के नए 23 लक्ष्यों के साथ संरेखित करना आवश्यक है।
    • यह एक सुसंगत रणनीति तैयार करेगा, जिससे भारत में जैवविविधता संरक्षण के लिए अधिक प्रभावी तरीके से कार्य किया जा सकेगा।

निष्कर्ष: भारत का जैवविविधता लक्ष्य वैश्विक जैवविविधता संरक्षण के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जिसमें स्थानीय समुदायों की भागीदारी और सतत विकास के सिद्धांतों को शामिल किया गया है। यह KMGBF के साथ संरेखित होते हुए, जैवविविधता के संरक्षण और सतत उपयोग की दिशा में एक ठोस कदम है।

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