Bonalu festival
संदर्भ:
आषाढ़ मास के पवित्र अवसर पर बोनालु उत्सव की पहली मुख्य पूजा हैदराबाद के गोलकोंडा किले में स्थित देवी जगदंबिका अम्मावरु मंदिर में विधिवत रूप से आरंभ हुई। इस पारंपरिक त्योहार की शुरुआत श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में हुई, जो तेलंगाना की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।
(Bonalu festival) बोनालु उत्सव: देवी महाकाली की भक्ति का पर्व
परिचय:
- बोनालु एक वार्षिक हिंदू त्योहार है, जिसमें देवी महाकाली की पूजा की जाती है।
- यह मुख्य रूप से हैदराबाद और सिकंदराबाद तथा तेलंगाना राज्य के अन्य भागों में मनाया जाता है।
इतिहास:
- 19वीं शताब्दी में हैदराबाद में फैली महामारी (plague) के बाद यह पर्व शुरू हुआ।
- लोगों ने देवी महाकाली से सुरक्षा की प्रार्थना की, और संकट टलने के बाद आभार स्वरूप ‘बोनम’ (तेलुगु शब्द ‘भोजनालु’ से) अर्पित करने की परंपरा शुरू की।
- यह पर्व आषाढ़ माह (जून–जुलाई) में मनाया जाता है, जब मानसून की शुरुआत होती है।
- 2014 में तेलंगाना के गठन के बाद, इसे राज्य का आधिकारिक त्योहार घोषित किया गया।
अनुष्ठान और उत्सव:
- बोनम अर्पण: महिलाएँ चावल, दूध और गुड़ से भरे सजे हुए कलश (नीम, हल्दी, कुमकुम और दीपक से सजाए गए) लेकर देवी को अर्पित करती हैं।
- मेत्लु पूजा: भक्त मंदिर की सीढ़ियों पर हल्दी और कुमकुम लगाकर पूजा करते हैं।
- जगदंबिका मंदिर समारोह:
- बोनालु की शुरुआत गोलकोंडा किले के जगदंबिका मंदिर में मुख्य पूजा से होती है।
- इसके बाद यह उत्सव सिकंदराबाद के उज्जैनी महाकाली मंदिर और पुराने हैदराबाद के अक्कन्ना मदार्ना मंदिर तक फैलता है।