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संदर्भ:
लिंग-समावेशी ‘विकसित भारत’ के लिए बजट: केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बजट 2025-26 की प्रमुख प्रावधानों को साझा करते हुए बच्चों और माताओं के पोषण को बेहतर बनाने और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की घोषणा की।
लिंग-समावेशी ‘विकसित भारत’ के लिए बजट 2025-26:
- समावेशी विकास की प्रतिबद्धता:
- सरकार का लक्ष्य गरीब, युवा, किसान और महिलाएँ – इन चार प्रमुख वर्गों के विकास को प्राथमिकता देना।
- ‘विकसित भारत’ का विजन: शून्य गरीबी, 100% कौशलयुक्त श्रमशक्ति, 70% महिलाओं की आर्थिक भागीदारी, भारत को वैश्विक खाद्य आपूर्ति केंद्र बनाना।
- जेंडर बजट में ऐतिहासिक वृद्धि:
- कुल बजट का 8.8% महिलाओं और बालिकाओं के लिए आवंटित, जो पिछले वर्ष के 6.8% से अधिक।
- ₹4.49 लाख करोड़ का आवंटन 49 मंत्रालयों और विभागों में।
- रेलवे, पोत परिवहन, भूमि संसाधन, औषधि व खाद्य प्रसंस्करण जैसे गैर-पारंपरिक क्षेत्रों ने भी जेंडर बजट अपनाया।
- महिला श्रम शक्ति भागीदारी में सुधार:
- 2021-22 में 33% से बढ़कर 2023-24 में 42% हुई, लेकिन पुरुषों (79%) के मुकाबले अभी भी 37% का अंतर।
- 2047 तक 70% महिला भागीदारी का लक्ष्य पाने के लिए कौशल विकास, उद्यमिता और सामाजिक सुरक्षा पर निवेश आवश्यक।
- महत्वपूर्ण योजनाएँ:
- स्किल इंडिया प्रोग्राम,
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM),
- प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना,
- एमजीएनरेगा,
- प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना,
- ‘मेक इन इंडिया’ के लिए उत्कृष्टता केंद्र।
- इन योजनाओं का कुल आवंटन ₹1.24 लाख करोड़, जिसमें से 52% महिलाओं के लिए।
- गिग इकोनॉमी और अनौपचारिक क्षेत्र में सुधार:
- 90% महिलाएँ अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत, उनके लिए ई–श्रम पोर्टल पर पंजीकरण और पहचान पत्र जारी करने की योजना।
- श्रम संहिताओं के प्रभावी क्रियान्वयन से मातृत्व लाभ, न्यूनतम वेतन और रोजगार सुरक्षा मिलेगी।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डिजिटल शिक्षा:
- शिक्षा क्षेत्र में AI सेंटर ऑफ एक्सीलेंसकी स्थापना।
- इंडिया AI मिशन के तहत ₹600 करोड़ का जेंडर बजट।
- महिलाओं के लिएडिजिटल स्किल्स और एंटरप्राइज ट्रेनिंग को बढ़ावा।
- महिलाओं के लिए वित्तीय समावेशन और कृषि क्षेत्र में सुधार:
- किसान क्रेडिट कार्ड को भूमि स्वामित्व से अलग करनेका सुझाव, जिससे महिला किसानों को लोन और वित्तीय सहायता मिले।
- लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्यम (MSME) क्षेत्र में 5% महिला उद्यमिता, जिससे 2.7 करोड़ लोगों को रोजगार।
- 30 मिलियन अतिरिक्त महिला उद्यमियों के बढ़ने से 150-170 मिलियन नई नौकरियाँबनने की संभावना।
- महिलाओं के लिए आर्थिक विकास की दिशा:
- नए स्टार्टअप्स और स्वरोजगार के लिए बिना गारंटी वाले लोनऔर वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम।
- लैंगिक-संवेदनशील बजट, सामाजिक सुरक्षा और महिला-पुरुष समावेशी श्रम बाजारसे 2047 तक ‘विकसित भारत’ का लक्ष्य पूरा किया जा सकता है।
भारत में जेंडर बजटिंग (Gender Budgeting):
- जेंडर बजटिंगएक रणनीतिक उपकरण है, जिसके माध्यम से सरकार विभिन्न लिंगों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार संसाधनों का आवंटन करती है।
- इसका उद्देश्य नीतियों और बजट आवंटन को लैंगिक–संवेदनशील बनाना और महिलाओं के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित करना है।
- पृष्ठभूमि:
- भारत ने CEDAW (Convention on the Elimination of All Forms of Discrimination Against Women), 1979 को 1993 में अनुमोदित किया।
- भारत में पहली बार 2005-06 में जेंडर बजट स्टेटमेंट जारी किया गया, जो हर साल बजट में शामिल किया जाता है।
- यह सरकार की महिला केंद्रित नीतियों और योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- वर्तमान स्थिति: जेंडर बजटिंग मिशन शक्ति (Mission Shakti) के “समर्थ्य” (Samarthya) उप–योजना के तहत आती है।
भारत में जेंडर बजटिंग से जुड़ी चुनौतियाँ
- अनुदान आवंटन में अस्पष्टता:
- जेंडर–संवेदनशील योजनाओं के लिए धन आवंटन की अस्पष्ट पद्धति के कारण विसंगतियाँ देखी जाती हैं।
- MGNREGS, जहाँ महिला कार्यबल की भागीदारी महत्वपूर्ण है, उसे Part B में कम रिपोर्ट किया जाता है।
- PMAY-G, जो महिलाओं को घरों का स्वामित्व प्राथमिकता देता है, इसके बावजूद महिलाओं को केवल 23% आवंटन मिला, जबकि यह Part A (100% महिला–केंद्रित) में सूचीबद्ध है।
- कोष का संकेंद्रण:
- लगभग 90% जेंडर बजट कुछ ही मंत्रालयों तक सीमित है।
- PMGKAY, MGNREGS, और PMAY-G जैसी योजनाओं में ही अधिकतर बजट जाता है, जिससे अन्य क्षेत्रों में प्रभाव सीमित रहता है।
- दीर्घकालिक योजनाओं की प्राथमिकता:
- आयुष्मान भारत और आवास योजना जैसी दीर्घकालिक योजनाओं को जेंडर बजटिंग में शामिल करने से तत्काल प्रभाव वाली योजनाओं (जैसे मिशन शक्ति, महिला शिक्षा) के लिए धन सीमित हो जाता है।
- इससे महिलाओं के तत्काल सशक्तिकरण और कौशल विकास में बाधा आती है।
- निगरानी और मूल्यांकन की कमी:
- लैंगिक प्रभाव मूल्यांकन की गुणवत्ता खराब होने से सही मूल्यांकन नहीं हो पाता।
- जेंडर-विशिष्ट डेटा का अभाव और निगरानी तंत्र की कमी योजनाओं की प्रभावशीलता को कम करती है।
- संयुक्त राष्ट्र (UN) ने MWCD और वित्त मंत्रालय के बीच समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता बताई है।
- राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी: जेंडर बजटिंग हमेशा राजनीतिक प्राथमिकताओं के अनुरूप नहीं होती, जिससे पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाता।