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आईएएस के. संजय मूर्ति को भारत के नए नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के रूप में नियुक्त

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सोमवार को केंद्र सरकार ने आईएएस के. संजय मूर्ति को भारत के नए नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के रूप में नियुक्त किया। वे गिरीश चंद्र मुर्मु का स्थान लेंगे।

मुख्य बिंदु

  1. नियुक्ति की घोषणा:
    भारत के संविधान के अनुच्छेद 148 (1) के तहत राष्ट्रपति ने श्री के. संजय मूर्ति को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के रूप में नियुक्त किया।
  2. कार्यभार ग्रहण की तिथि:
    यह नियुक्ति उस दिन से प्रभावी होगी जब श्री मूर्ति अपना पदभार ग्रहण करेंगे।
  3. वर्तमान पद:
    के. संजय मूर्ति वर्तमान में शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के रूप में कार्यरत हैं।
  4. गिरीश चंद्र मुर्मु का पिछला कार्यकाल:
    मुर्मु पहले जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के पहले उपराज्यपाल थे।
  5. शिक्षा में योगदान:
    उच्च शिक्षा सचिव के रूप में मूर्ति ने शिक्षा से संबंधित नीतियों की देखरेख, सरकारी पहलों के क्रियान्वयन, और शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग को बढ़ावा दिया।
  6. नई जिम्मेदारियाँ:
    CAG
    के रूप में के. संजय मूर्ति सार्वजनिक लेखा-जोखा और सरकारी वित्तीय पारदर्शिता को सुनिश्चित करेंगे।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)

भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) देश की सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था है। यह एक स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण है, जो केंद्र और राज्य सरकारों की वित्तीय गतिविधियों की जाँच करता है। CAG का मुख्य उद्देश्य जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।

CAG की नियुक्ति और कार्यकाल

  1. CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  2. कार्यकाल: 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो पहले हो।
  3. CAG को सुप्रीम कोर्ट के जज की तरह ही पद से हटाया जा सकता है।

CAG की शक्तियां

  1. सरकारी खातों की ऑडिट: CAG केंद्र और राज्य सरकारों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, और अन्य सरकारी निकायों के खातों की जाँच करता है।
  2. वित्तीय पारदर्शिता: यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन सही तरीके से खर्च हो।
  3. संसद को रिपोर्ट: अपने निष्कर्षों को संसद और राज्य विधानसभाओं को प्रस्तुत करता है।
  4. प्रदर्शन ऑडिट: यह सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की प्रभावशीलता की जाँच करता है।
  5. सिफारिशें: सरकार को वित्तीय अनियमितताओं को सुधारने के सुझाव देता है।

CAG के मुख्य कार्य

  1. ऑडिट करना:
    • सरकार की आय-व्यय, संपत्तियों और देनदारियों का ऑडिट।
    • समेकित निधि, आकस्मिक निधि और सार्वजनिक खातों की जाँच।
  2. रिपोर्ट प्रस्तुत करना:
    • ऑडिट रिपोर्ट संसद और विधानसभाओं में प्रस्तुत करना।
    • रिपोर्ट सार्वजनिक करना।
  3. अनियमितताओं की जाँच:
    • राजस्व संग्रह, व्यय, और संपत्तियों के प्रबंधन में गड़बड़ियों की पहचान।
  4. सरकार को सलाह देना:
    • वित्तीय प्रबंधन को प्रभावी बनाने के सुझाव।

CAG से जुड़े संवैधानिक प्रावधान

  1. अनुच्छेद 148:
    • CAG की नियुक्ति, शपथ और सेवा शर्तों का निर्धारण।
  2. अनुच्छेद 149:
    • केंद्र और राज्य सरकारों के सभी व्ययों और खातों की ऑडिट।
  3. अनुच्छेद 150:
    • केंद्र और राज्य के खातों को किस रूप में रखा जाएगा, इसकी सलाह राष्ट्रपति को देना।
  4. अनुच्छेद 151:
    • CAG की रिपोर्ट:
      • केंद्र के लिए राष्ट्रपति को।
      • राज्य के लिए राज्यपाल को।
  5. अनुच्छेद 279:
    • कर और शुल्क की शुद्ध आय का प्रमाणन।

CAG का महत्व

CAG देश की वित्तीय जवाबदेही और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी रिपोर्ट्स सरकार के वित्तीय प्रदर्शन का आकलन करने के लिए आवश्यक होती हैं।

निष्कर्ष: CAG एक ऐसा संवैधानिक प्राधिकरण है, जो सार्वजनिक धन के कुशल और पारदर्शी उपयोग को सुनिश्चित करता है।

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