Chagos Archipelago
संदर्भ:
यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए विवादित और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंप दी। यह निर्णय उपनिवेशवाद से जुड़े लंबे विवाद को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
(Chagos Archipelago) चागोस द्वीपसमूह:
भौगोलिक स्थिति और महत्त्व:
- स्थान: मध्य हिंद महासागर में, भारत के दक्षिणी सिरे से लगभग 1,600 किमी दक्षिण में।
- प्रमुख द्वीप: डिएगो गार्सिया, पेरोस बानोस, डेंजर द्वीप आदि।
- जलवायु: उष्णकटिबंधीय समुद्री, व्यापारिक पवनों द्वारा नियंत्रित।
चागोस विवाद:
औपनिवेशिक पृष्ठभूमि:
- 1814 में ब्रिटेन ने मॉरीशस के साथ-साथ चागोस द्वीपसमूह पर अधिकार किया।
- मॉरीशस की स्वतंत्रता (1968) से ठीक पहले, 1965 में ब्रिटेन ने इन द्वीपों को अलग कर ब्रिटिश इंडियन ओशियन टेरिटरी (BIOT) बनाया।
सैन्य पट्टे की पृष्ठभूमि:
- 1966 में, ब्रिटेन ने डिएगो गार्सिया द्वीप को संयुक्त राज्य अमेरिका को सैन्य अड्डा स्थापित करने के लिए लीज पर दिया।
- इस प्रक्रिया में स्थानीय चागोसी जनजातियों को जबरन निष्कासित कर दिया गया।
कानूनी विवाद और मानवाधिकार प्रश्न:
- विस्थापित चागोसी लोगों ने अपने पुनर्वास और वापसी के लिए कई कानूनी लड़ाइयाँ लड़ीं।
- मॉरीशस ने 1968 से ही द्वीपसमूह पर संप्रभुता का दावा किया है।
अंतरराष्ट्रीय निर्णय:
- 2019 में, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने फैसला दिया कि:
- ब्रिटेन का प्रशासन अवैध है।
- चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस को वापस किया जाना चाहिए।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी इसी दिशा में मतदान कर ब्रिटेन से उपनिवेशीकरण समाप्त करने को कहा।