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चंद्रयान-3 ने ध्रुवीय क्षेत्रों से परे चंद्रमा पर पानी-बर्फ की खोज की

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संदर्भ:

चंद्रमा पर पानी-बर्फ की खोज: एक नए अध्ययन में, अहमदाबाद के भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) के शोधकर्ताओं ने पाया है कि चंद्रमा का वह क्षेत्र जहाँ जल बर्फ को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है, अपेक्षा से अधिक बड़ा है।

चंद्रमा पर पानी-बर्फ की खोज अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:

  1. ध्रुवीय क्षेत्रों से परे जलबर्फ की संभावना: विशेष रूप से उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों (भूमध्य रेखा से 60°-80° उत्तर या दक्षिण) में जल-बर्फ हो सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जिनकी ढलानें सूर्य से दूर होती हैं।
  2. तापमान में महत्वपूर्ण भिन्नता: खासकर उन क्षेत्रों में जहां सतह की ढलानें अलग-अलग होती हैं, वहाँ अल्प दूरी में तापमान में बहुत अंतर देखा गया।
  3. सतह और उपसतह तापमान में अंतर:
    • सूर्य से दूर ढलान वाली जगहों पर सतह का तापमान कम देखा गया, जबकि सूर्य की ओर ढलानें काफी ऊँचे तापमान को दर्शाती हैं।
    • सतह और उप-सतह (केवल 10 सेमी की गहराई पर) तापमान में लगभग 60°C का अंतर पाया गया, जो चंद्रमा की सतह पर एक गैर-प्रवाहकीय परत की उपस्थिति का संकेत देता है।
  4. जलबर्फ की उपस्थिति के संकेत: यह तापमान भिन्नता दर्शाती है कि कुछ क्षेत्रों में सतह के नीचे जल-बर्फ हो सकता है, जैसे कि चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में देखा गया है।

शिव शक्ति लैंडिंग साइट पर तापमान माप:

  • चंद्रयान3 के विक्रम लैंडर ने शिव शक्ति पॉइंट के पास लैंडिंग की थी।
  • सूर्य की ओर ढलान वाली जगह पर तापमान 355 K (82°C) और उससे केवल 1 मीटर दूर समतल सतह पर तापमान 332 K (59°C) दर्ज किया गया।
  • ये अंतर सतह की संरचना और तापमान में होने वाले बदलावों को दर्शाते हैं, और यह भी संकेत देते हैं कि कुछ क्षेत्रों में जल-बर्फ के संचय के लिए उपयुक्त स्थिति हो सकती है।

अध्ययन का महत्व:

  1. भूवैज्ञानिक इतिहास और सतह संरचना का ज्ञान: यह अध्ययन चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास, सतह की संरचना और भविष्य के चंद्र अभियानों के लिए संसाधनों की संभावना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
  2. जलबर्फ की संभावित जगहों की खोज: उच्च अक्षांश क्षेत्रों में जल-बर्फ की संभावित उपस्थिति की खोज भविष्य के चंद्र अभियानों और संसाधन खोज के लिए महत्वपूर्ण है।
  3. भविष्य के अभियानों के लिए प्रासंगिकता: यह अध्ययन NASA के आर्टेमिस प्रोग्राम जैसे अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर स्थायी मानव उपस्थिति स्थापित करना है। इसके लिए जीवन समर्थन प्रणाली और ईंधन उत्पादन के लिए संसाधन प्रदान करने की आवश्यकता होगी।

चंद्रयान3 मिशन के बारे में:

  1. ISRO द्वारा प्रक्षेपण: यह भारत का चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग और रोविंग प्राप्त करने का दूसरा प्रयास है, जो चंद्रयान-2 मिशन के बाद हुआ।
  2. ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग: 23 अगस्त, 2023 को, चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल (LM) ने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की।
  3. मुख्य उद्देश्य: चंद्रयान-3 का एक मुख्य लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में जल-बर्फ की खोज करना है।

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