Apni Pathshala

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pakistan Economic Corridor) | Apni Pathshala

China-Pakistan Economic Corridor

China-Pakistan Economic Corridor

संदर्भ:

बीजिंग में आयोजित त्रिपक्षीय बैठक में चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच चीनपाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने पर सहमति बनी। इस निर्णय का उद्देश्य क्षेत्रीय संपर्क, व्यापार और विकास को बढ़ावा देना है। यह पहल अफगानिस्तान को चीन-पाकिस्तान आर्थिक नेटवर्क से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

CPEC विस्तार का दायरा:

चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) अब अफगानिस्तान तक विस्तारित किया जाएगा। यह कॉरिडोर चीन के शिंजियांग प्रांत से शुरू होकर पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट (बलूचिस्तान) तक जाता है। अब इसे अफगानिस्तान से जोड़ने की योजना बनाई गई है।

  • उद्देश्य: चीन इस कॉरिडोर के माध्यम से मिडिल ईस्ट के देशों तक सड़क मार्ग से पहुंच बनाना चाहता है, जिससे उसके व्यापारिक मार्ग सशक्त हों।
  • स्थिति: हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान से अफगानिस्तान में CPEC का विस्तार किन क्षेत्रों से होकर किया जाएगा।
  • यह कदम चीन की ब्रॉड बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा है, जो क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास को लक्ष्य करता है।
CPEC (China-Pakistan Economic Corridor)

घोषणा: CPEC को वर्ष 2013 में चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत शुरू किया गया था।

स्थान (Location): यह गलियारा गिलगित-बाल्टिस्तान में काराकोरम हाईवे के माध्यम से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में प्रवेश करता है।

लंबाई: लगभग 3000 किलोमीटर लंबा यह गलियारा चीन और पाकिस्तान को भूमि के माध्यम से जोड़ता है।

मुख्य उद्देश्य:

  1. मलक्का जलसंधि (Straits of Malacca) और दक्षिण चीन सागर पर निर्भरता को कम करना।
  2. पाकिस्तान के बुनियादी ढांचे में सुधार करना ताकि चीन के साथ व्यापार को बढ़ाया जा सके।
  3. दक्षिण एशिया के देशों के साथ गहरा एकीकरण करना।
  4. पाकिस्तान के कराची और ग्वादर जैसे गहरे समुद्री बंदरगाहों को चीन के शिंजियांग प्रांत से जोड़ना।

रणनीतिक महत्व:

  • इस परियोजना की तुलना मार्शल योजना से की जाती है, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप का पुनर्निर्माण हुआ था।
  • यह परियोजना क्षेत्रीय भूराजनीति, व्यापार और सुरक्षा में बड़ा प्रभाव डाल सकती है।

भारत द्वारा CPEC का विरोध

परियोजना का स्वरूप: CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) लगभग 50 बिलियन डॉलर की लागत वाली परियोजना है, जो पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को चीन के शिंजियांग प्रांत से जोड़ती है।

भारत का विरोध कारण:

  1. भारतीय संप्रभुता का उल्लंघन: यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिस पर भारत अपना क्षेत्रीय दावा करता है। भारत इसे संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।
  2. चीन की विस्तारवादी नीति पर आपत्ति: भारत का मानना है कि चीन CPEC के जरिए भौगोलिक विस्तारवाद को बढ़ावा दे रहा है और भारत को चारों ओर से घेरने (Strategic encirclement) की रणनीति पर काम कर रहा है।

रणनीतिक चिंता: CPEC के अंतर्गत ग्वादर पोर्ट का विकास चीन की String of Pearls रणनीति का हिस्सा माना जाता है, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की सैन्य और आर्थिक पकड़ मजबूत हो सकती है।

Download Today Current Affairs PDF

Share Now ➤

क्या आपको Apni Pathshala के Courses, RNA PDF, Current Affairs, Test Series और Books से सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए? तो हमारी विशेषज्ञ काउंसलर टीम आपकी सिर्फ समस्याओं के समाधान में ही मदद नहीं करेगीं, बल्कि आपको व्यक्तिगत अध्ययन योजना बनाने, समय का प्रबंधन करने और परीक्षा के तनाव को कम करने में भी मार्गदर्शन देगी।

Apni Pathshala के साथ अपनी तैयारी को मजबूत बनाएं और अपने सपनों को साकार करें। आज ही हमारी विशेषज्ञ टीम से संपर्क करें और अपनी सफलता की यात्रा शुरू करें

📞 +91 7878158882

Related Posts

Scroll to Top