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हाल ही में सूडान में गृहयुद्ध फिर से शुरू हो गया हैं। गृहयुद्ध सूडानी सशस्त्र बलों (SAF) और रैपिड सपोर्ट फोर्सेज़ (RSF) के बीच सत्ता संघर्ष का परिणाम है। SAF के नेता अब्देल फतह अल-बुरहान और RSF के नेता हमदान दगालो (हेमेदती) के बीच यह संघर्ष विशेष रूप से अप्रैल 2023 से खार्तूम और अन्य क्षेत्रों में भड़का हुआ है। इस संघर्ष की शुरुआत तब हुई जब SAF और RSF के बीच सशस्त्र बलों के एकीकरण और शक्ति संतुलन पर विवाद उत्पन्न हुआ। यह सत्ता संघर्ष सूडान के गृहयुद्ध में तब्दील हो गया, जिसने देश में बड़े पैमाने पर हिंसा, विस्थापन और जनहानि को बढ़ावा दिया।
सूडान में गृहयुद्ध के प्रमुख कारण:
- सत्ता संघर्ष: SAF और RSF दोनों ही सूडान में सत्ता पर अधिकार करना चाहते हैं। SAF खुद को वैध सरकार मानता है, जबकि RSF इसका विरोध कर रहा है।
- शस्त्र आपूर्ति: सूडान में संयुक्त राष्ट्र के शस्त्र प्रतिबंध के बावजूद, देश में भारी मात्रा में शस्त्रों का प्रवाह हो रहा है। रूस, चीन और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों से उन्नत सैन्य उपकरणों की आपूर्ति हो रही है।
- जातीय तनाव: दारफुर जैसे क्षेत्रों में संघर्ष ने जातीय रूप ले लिया है, जहाँ अरब मिलिशिया RSF का समर्थन करते हैं, जबकि गैर-अरब समुदाय जैसे मसलित SAF का समर्थन करते हैं।
- विदेशी हस्तक्षेप: संघर्ष में वैगनर ग्रुप और संयुक्त अरब अमीरात जैसे विदेशी तत्वों की संलिप्तता ने इसे और जटिल बना दिया है।
- असफल शांति वार्ता: कई शांति प्रयास, जैसे जेद्दा घोषणा (2023) असफल साबित हुए हैं, जिससे संघर्ष और हिंसा जारी है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
सूडान ने एंग्लो-मिस्र कॉन्डोमिनियम के तहत ब्रिटिश और मिस्र की संयुक्त संरक्षा में स्वतंत्रता प्राप्त की। लेकिन 1956 में स्वतंत्रता के बाद, उत्तर में धनी अरब मुस्लिमों और दक्षिण में ईसाई और आदिवासी समुदायों के बीच आंतरिक संघर्ष उभरा। दो बड़े गृह युद्ध (1955-1972 और 1983-2005) हुए, जिसके परिणामस्वरूप दक्षिण सूडान ने 2011 में स्वतंत्रता प्राप्त की।
उमर अल-बशीर का शासन और तख्तापलट:
वर्ष 1989 में तख्तापलट के जरिये उमर अल-बशीर ने सत्ता हासिल की और 30 वर्षों तक शरिया कानून लागू कर देश पर शासन किया। बशीर के शासन में व्यापक दमन, दारफुर में नरसंहार, और जन-जावेद मिलिशिया का इस्तेमाल किया गया। 2019 में बशीर को SAF और RSF द्वारा तख्तापलट कर सत्ता से बेदखल कर दिया गया।
वर्तमान संघर्ष:
बशीर के पतन के बाद, सूडान में अस्थायी सैन्य और नागरिक सरकार बनी, लेकिन 2021 में एक और तख्तापलट ने नागरिक शासन को समाप्त कर दिया। 2022 के एक समझौते ने दो साल के संक्रमणकालीन चरण की बात की, लेकिन RSF और SAF के बीच विवाद और संघर्ष बढ़ता गया।
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