Cloudburst
संदर्भ:
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा और कुल्लू जिलों में बादल फटने की घटनाओं ने भीषण फ्लैश फ्लड्स को जन्म दिया, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और दर्जनों से अधिक लापता हैं। इस आपदा ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे व्यापक पैमाने पर संपत्ति का नुकसान और जानमाल की हानि हुई है।
क्लाउडबर्स्ट और फ्लैश फ्लड: कारण, क्षेत्र और प्रभाव
क्लाउडबर्स्ट (Cloudburst): जब किसी क्षेत्र (लगभग 10×10 किमी) में 1 घंटे में 10 सेमी या अधिक वर्षा होती है, तो उसे क्लाउडबर्स्ट कहा जाता है।
क्लाउडबर्स्ट की प्रक्रिया:
- यह विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में होता है, जहाँ ओरोग्राफिक लिफ्ट नामक प्रक्रिया सक्रिय होती है:
- गर्म और नम हवा पर्वतीय ढलानों पर ऊपर उठती है।
- ऊँचाई पर दबाव कम होने से यह फैलती है और ठंडी होती है।
- ठंडी हवा संघनित होकर नमी छोड़ती है।
- यदि गर्म नम हवा लगातार ऊपर उठती रहती है, तो वर्षा विलंबित होती है और एकत्रित होकर अचानक तेज बारिश के रूप में गिरती है।
भारत में क्लाउडबर्स्ट की घटनाएँ:
- सामान्यतः मानसून के दौरान देखी जाती हैं।
- विशेष रूप से निम्न क्षेत्रों में: हिमालय क्षेत्र, पश्चिमी घाट, पूर्वोत्तर भारत के पहाड़ी राज्य।
फ्लैश फ्लड से संबंध:
- क्लाउडबर्स्ट की वजह से तेज़ और स्थानीय बाढ़ (फ्लैश फ्लड) होती है।
- मई से सितंबर के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून में इस प्रकार की घटनाएँ बढ़ी हैं।
प्रभाव:
- अचानक, अत्यधिक और स्थानीय वर्षा।
- तेज़ बहाव वाली बाढ़, भूस्खलन, और जल निकासी तंत्र की विफलता जैसी आपदाओं का कारण बनती है।
भविष्यवाणी की चुनौती: बहुत छोटे क्षेत्र और कम समय में घटित होने के कारण सटीक पूर्वानुमान कठिन होता है।
फ्लैश फ्लड (Flash Flood):
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार:
- यह तीव्र गति से आने वाली बाढ़ होती है, जो आमतौर पर 6 घंटे से कम समय में आती है।
- इसके कारण होते हैं: अत्यधिक वर्षा, क्लाउडबर्स्ट, भारी गर्जना वाले तूफान
बादल फटने की घटनाओं से निपटने के उपाय:
- NDMA दिशा–निर्देश (2010):
- पूर्व चेतावनी प्रणाली, जोखिम क्षेत्र निर्धारण और जनजागरूकता पर जोर
- संवेदनशील क्षेत्रों में तैयारी, समन्वय और ढांचागत मजबूती
- तकनीकी उपाय:
- डॉप्लर रडार: तात्कालिक (<3 घंटे) चेतावनी के लिए
- ऑटोमैटिक रेन गेज: संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान
- मौसम मॉडलिंग: भारी वर्षा की चेतावनी (क्लाउडबर्स्ट भविष्यवाणी अभी सीमित)
- स्थानीय स्तर पर क्षमता निर्माण:
- पंचायतों और DM कार्यालयों को आपात नंबर साझा करने, ढलानों की निगरानी और जलाशयों से पानी रोकने की सलाह (HP, जून 2025)
- मानसून से पहले गांवों में अभ्यास और जागरूकता अभियान
- जलवायु कार्रवाई:
- IPCC के अनुसार, तापमान में 1°C वृद्धि से वर्षा में 7–10% तक वृद्धि संभव
- उत्सर्जन में कटौती और पर्वतीय शहरों में लचीली शहरी योजना की जरूरत