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कॉलेजियम प्रणाली (Collegium System) | UPSC Preparation

Collegium System

Collegium System

संदर्भ:

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में मद्रास, राजस्थान, त्रिपुरा और झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के तबादले (Transfer) की सिफारिश की है। 

भारत में कॉलेजियम प्रणाली (Collegium System) :

परिभाषा: कॉलेजियम प्रणाली भारत में सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति व स्थानांतरण हेतु प्रयुक्त होती है।

संवैधानिक स्थिति:

  • यह संविधान या संसद द्वारा पारित किसी क़ानून में उल्लेखित नहीं है
  • इसका विकास सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के माध्यम से हुआ, ताकि न्यायिक स्वतंत्रता सुनिश्चित की जा सके।

उद्देश्य: सरकार के बजाय वरिष्ठ न्यायाधीशों को निर्णायक भूमिका देना, ताकि नियुक्तियों में निष्पक्षता बनी रहे।

विकास की प्रक्रिया: तीन ऐतिहासिक मुकदमों के माध्यम से

पहला जज केस (1981) – एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ:

  • निर्णय: मुख्य न्यायाधीश (CJI) की राय केवल परामर्शात्मक है।
  • प्रभाव: नियुक्तियों में कार्यपालिका (सरकार) को प्राथमिकता मिली।

दूसरा जज केस (1993) – एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ:

  • निर्णय: “परामर्श” का अर्थ है “सम्मति“, जिससे CJI की राय बाध्यकारी हो गई।
  • कॉलेजियम प्रणाली की शुरुआत हुई, जिसमें CJI + 2 वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल थे।
  • न्यायिक स्वतंत्रता के लिए न्यायिक प्राथमिकता को मान्यता मिली।

तीसरा जज केस (1998) – राष्ट्रपति का संदर्भ:

  • कॉलेजियम का विस्तार: अब इसमें CJI + 4 वरिष्ठतम SC न्यायाधीश शामिल।
  • जोर: निर्णय संस्थागत प्रक्रिया से हो, किसी एक न्यायाधीश की व्यक्तिगत राय से नहीं।

कॉलेजियम प्रणाली कैसे कार्य करती है ? भारत में न्यायाधीशों की नियुक्ति व स्थानांतरण का यह तंत्र न्यायिक स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए स्थापित हुआ है। इसका संचालन सुप्रीम कोर्ट द्वारा विकसित प्रक्रिया के माध्यम से होता है।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति:

  • कॉलेजियम में शामिल होते हैं: CJI (मुख्य न्यायाधीश) + 4 वरिष्ठतम सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश।

कार्य:

  • सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश।
  • उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति/स्थानांतरण की भी सिफारिश करता है।

प्रक्रिया: कॉलेजियम की सिफारिशें क़ानून मंत्रालय को भेजी जाती हैं, जो उन्हें प्रधानमंत्री को भेजता है।

  • प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को सलाह देते हैं, जो अंतिम मंजूरी प्रदान करते हैं।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की नियुक्ति:

  • परंपरा: वरिष्ठतम सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश का चयन किया जाता है।
  • प्रक्रिया:
    • वर्तमान CJI द्वारा अनुशंसा की जाती है
    • यह परंपरा 1970 के दशक की वरिष्ठता विवाद के बाद से चली आ रही है।

उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति:

  • प्रक्रिया की शुरुआत: संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा, दो वरिष्ठतम सहयोगी न्यायाधीशों से परामर्श के बाद सिफारिश की जाती है।
  • प्रक्रिया:
    • प्रस्ताव राज्य सरकार को जाता है।
    • फिर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (CJI + 2 वरिष्ठतम SC न्यायाधीश) के पास भेजा जाता है।
    • अंत में यह राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाता है।

न्यायाधीशों का स्थानांतरण:

  • संवैधानिक प्रावधान: अनुच्छेद 222 – उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का स्थानांतरण संभव।
  • कॉलेजियम की भूमिका: स्थानांतरण की सिफारिश कॉलेजियम द्वारा की जाती है – प्रायः प्रशासनिक आवश्यकता या सार्वजनिक हित में।
  • प्रक्रिया:
    • CJI को संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ न्यायाधीशों से परामर्श करना अनिवार्य होता है।
    • न्यायाधीश की सहमति आवश्यक नहीं होती
कोई उच्च न्यायालय एक महीने से अधिक समय तक कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नहीं रख सकता, इसलिए स्थानांतरण और नियुक्तियाँ प्रायः एक साथ की जाती हैं।

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