Download Today Current Affairs PDF
संदर्भ:
प्रतिपूरक वनरोपण निधि अधिनियम, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में उजागर की गई प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) फंड में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों पर जवाब देने का निर्देश दिया है।
- रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि वन विभाग ने वनीकरण के लिए आवंटित धन का दुरुपयोग किया और इसे आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज और कार्यालय नवीनीकरण जैसी अनधिकृत खरीदारी में खर्च किया।
प्रतिपूरक वनरोपण निधि अधिनियम, 2016:
- यह अधिनियम वनभूमि के गैर-वन उपयोग में परिवर्तन के कारण होने वाले पारिस्थितिक और वन हानि की भरपाई करने के लिए लाया गया था।
- CAMPA फंड का उपयोग नए वनारोपण, जैव विविधता संवर्धन, वन्यजीव आवास सुधार, वनों की सुरक्षा एवं अग्नि नियंत्रण में किया जाता है।
प्रतिपूरक वनरोपण निधि अधिनियम, 2016 के प्रमुख प्रावधान (Key Provisions):
- वैकल्पिक भूमि अनिवार्यता: कोई भी कंपनी यदि वनभूमि का गैर-वन कार्यों में उपयोग करती है, तो उसे वैकल्पिक भूमि उपलब्ध करानी होगी। कंपनी को उस भूमि पर नए पेड़ लगाने के लिए भुगतान भी करना होगा।
- धन संचयन एवं आवंटन (Fund Allocation): अधिनियम के तहत दो कोष बनाए गए हैं:
- राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण कोष (National Fund) – इसमें कुल राशि का10% जमा किया जाता है।
- राज्य प्रतिपूरक वनीकरण कोष (State Fund) – इसमें90% राशि जमा होती है।
- ये फंड निम्नलिखित मदों से प्राप्त होते हैं:
- प्रतिपूरक वनीकरण शुल्क (Compensatory Afforestation Payment)
- वन का शुद्ध वर्तमान मूल्य (Net Present Value – NPV)
- परियोजना-विशेष भुगतान (Project-Specific Payments)
CAMPA प्राधिकरण एवं प्रबंधन:
-
- Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority (CAMPA) इन कोषों का प्रबंधन करती है।
- भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) द्वाराराष्ट्रीय एवं राज्य CAMPA कोषों का वार्षिक ऑडिट किया जाता है।
लाभ एवं प्रभाव:
- यह अधिनियम वनों की सुरक्षा, पारिस्थितिकी संतुलन और जल संरक्षण को बढ़ावा देता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि गैर-वन कार्यों से वन हानि की भरपाई के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध रहें।
CAMPA की महत्ता (Significance of CAMPA):
- सतत विकास को बढ़ावा– आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करता है।
- वन आच्छादन में वृद्धि– औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से नष्ट हुए वनों को पुनर्जीवित करने में सहायक।
- वन्यजीव संरक्षण को सुदृढ़ करता है– जैव विविधता और प्राकृतिक आवास की सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
- रोजगार के अवसर प्रदान करता है– वनीकरण और वन प्रबंधन गतिविधियों के माध्यम से आजीविका सृजन में सहायक।
सीमाएं और चुनौतियाँ:
- धन के दुरुपयोग की समस्या– कई बार यह निधि गैर-वन कार्यों के लिए गलत तरीके से उपयोग की जाती है।
- धीमी कार्यान्वयन गति– धन वितरण और परियोजनाओं के कार्यान्वयन में देरी से प्रभावशीलता कम होती है।
- पारदर्शिता की कमी– अपर्याप्त निगरानी तंत्र के कारण संसाधनों के गलत आवंटन की संभावना बनी रहती है।
- राज्य-स्तरीय असमानताएँ– विभिन्न राज्यों में धन उपयोग और कार्यान्वयन की प्रक्रिया में भिन्नताएँ देखी जाती हैं।