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हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार कांगो बेसिन (कांगो नदी) में कोको की खेती से वनों की कटाई अन्य कृषि गतिविधियों की तुलना में सात गुना अधिक वनों की कटाई का कारण बनती है। कांगो बेसिन, जो दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन सिंक है, पर्यावरणीय रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इस क्षेत्र में वनों की कटाई का बढ़ता प्रभाव जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
कांगो नदी के बारे में:
- कांगो नदी, जिसे ज़ैरे नदी भी कहा जाता है, पश्चिम-मध्य अफ्रीका की एक प्रमुख नदी है।
- लंबाई: यह नदी लगभग 2,900 मील (4,700 किमी) लंबी है, जो इसे अफ्रीका की दूसरी सबसे लंबी नदी बनाती है (नील नदी के बाद)।
- जल निर्वहन: यह अमेज़न के बाद निर्वहन मात्रा के हिसाब से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नदी है।
- गहराई: कांगो नदी दुनिया की सबसे गहरी नदी है, जिसकी अधिकतम गहराई 720 फीट (220 मीटर) है, जो इसे प्रकाश के लिए भी बहुत गहरा बनाती है।
नदी का उद्गम और प्रवाह:
- उद्गम: कांगो नदी का स्रोत ज़ाम्बिया के ऊँचे इलाकों में चंबेशी नदी के रूप में समुद्र तल से 5,760 फीट (1,760 मीटर) की ऊँचाई पर होता है।
- प्रवाह मार्ग: यह नदी एक बड़े वामावर्त चाप के रूप में उत्तर-पश्चिम, पश्चिम, और दक्षिण-पश्चिम की ओर बहती है, और अंततः अटलांटिक महासागर में गिरती है।
- नदी अपने मार्ग में भूमध्य रेखा को दो बार पार करती है।
कांगो नदी का जल निकासी क्षेत्र:
- कांगो नदी का जल निकासी बेसिन लगभग 1,335,000 वर्ग मील (3,457,000 वर्ग किमी) के क्षेत्र को कवर करता है, जो इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बेसिन बनाता है (अमेज़न बेसिन के बाद)।
- यह बेसिन कई देशों से होकर गुजरता है, जिनमें कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, कांगो गणराज्य, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, जाम्बिया, अंगोला, कैमरून, और तंजानिया शामिल हैं।
प्रमुख सहायक नदियाँ: कांगो नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं: लोमामी, कसाई, लुलोंगा, उबांगी, अरुविमी, इतिम्बिरी, और मोंगला।
कांगो बेसिन और वर्षावन:
- कांगो नदी बेसिन दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उष्णकटिबंधीय वर्षावन, कांगो बेसिन वर्षावन, को पोषित करता है।
- इस क्षेत्र में समृद्ध भूमध्यरेखीय जलवायु और विशाल जल स्रोत इसे वन्यजीवों और जैव विविधता के लिए आदर्श बनाते हैं।
नौवहन: कांगो नदी अपनी अधिकांश लंबाई में नौगम्य है, और मध्य अफ्रीका का अधिकांश व्यापार इसी नदी के माध्यम से होता है।
इस प्रकार, कांगो नदी न केवल अफ्रीका बल्कि विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है, और इसके संरक्षण के प्रयासों को कृषि गतिविधियों से होने वाले नकारात्मक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
कार्बन सिंक क्या हैं?
कार्बन सिंक एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कार्बन वायुमंडल, पृथ्वी के जीवों, महासागरों और मिट्टी के बीच निरंतर प्रवाहित होता है। यह चक्र लाखों वर्षों से पृथ्वी पर जीवन का संतुलन बनाए रखता है। कार्बन पृथ्वी पर सभी जीवन के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह जीवों के डीएनए, भोजन और वायुमंडल में मौजूद है।
कार्बन सिंक के प्रमुख घटक:
- कार्बन सिंक:
- ये वे प्राकृतिक प्रणालियाँ हैं जो वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को अवशोषित करती हैं।
- प्रमुख कार्बन सिंक में महासागर, मिट्टी और जंगल शामिल हैं।
- ये पर्यावरण में मौजूद अतिरिक्त कार्बन को अवशोषित कर जलवायु संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।
- कार्बन स्रोत:
- ये वे गतिविधियाँ या प्रक्रियाएँ हैं जो वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ती हैं।
- उदाहरणों में जीवाश्म ईंधन (गैस, कोयला, तेल) का जलना, वनों की कटाई, और ज्वालामुखी विस्फोट शामिल हैं।
मानवीय गतिविधियों का प्रभाव:
औद्योगिक क्रांति के बाद, मनुष्यों द्वारा जीवाश्म ईंधन का बढ़ता उपयोग और वनों की कटाई ने कार्बन सिंक के संतुलन को बिगाड़ दिया है। हर साल अरबों टन कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ा जा रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ रही है। प्राकृतिक कार्बन सिंक इस अतिरिक्त कार्बन को पूरी तरह अवशोषित करने में सक्षम नहीं हैं, जिससे वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ती जा रही है।
प्राकृतिक कार्बन सिंक की सुरक्षा:
- जंगलों की सुरक्षा:
- दुनिया के जंगल हर साल लगभग 2.6 बिलियन टन CO2 अवशोषित करते हैं।
- फिर भी, वनों की कटाई के कारण इनका नष्ट होना गंभीर चिंता का विषय है। इसे रोकने के लिए वनों का संधारणीय प्रबंधन, वन समुदायों का सशक्तीकरण, और अवैध कटाई के खिलाफ सख्त कानून लागू किए जा रहे हैं।
- मिट्टी का संरक्षण:
- मिट्टी हर साल मानव द्वारा उत्सर्जित कार्बन का एक बड़ा हिस्सा अवशोषित करती है।
- लेकिन खाद्य उत्पादन की बढ़ती मांग, रासायनिक प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन मिट्टी की क्षमता को खतरे में डाल रहे हैं। इसे बचाने के लिए सुधारित कृषि मॉडल और मजबूत कानूनों की आवश्यकता है।
- महासागर का संरक्षण:
- महासागर ने अब तक वायुमंडल से निकले कार्बन डाइऑक्साइड का लगभग 25% अवशोषित किया है।
- समुद्री फाइटोप्लांकटन कार्बन अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन प्लास्टिक प्रदूषण उनके प्रभाव को कम कर रहा है। इसके समाधान के लिए समुद्र की सफाई और कड़े कानूनों की जरूरत है।
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