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स्थान और अवधि: COP29 सम्मेलन 11 नवंबर से 22 नवंबर तक अजरबैजान की राजधानी बाकू में हो रहा है। इसमें लगभग 200 देशों के प्रतिनिधि, व्यापारिक नेता, जलवायु वैज्ञानिक, आदिवासी समुदाय, पत्रकार और अन्य विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं।
मुख्य उद्देश्य:
- वैश्विक तापमान वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए एक साझा योजना विकसित करना।
- जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए विकासशील देशों को जलवायु वित्त में वृद्धि करना।
भारत का प्रतिनिधित्व:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। ऐसे में राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह 19 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।
- भारत को सम्मेलन में अपना पक्ष प्रस्तुत करने का समय 18-19 नवंबर को मिलेगा।
भारत की प्राथमिकताएं:
- विकसित देशों द्वारा जलवायु वित्त की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना।
- ऊर्जा स्त्रोतों के न्यायसंगत परिवर्तन का लक्ष्य प्राप्त करना।
वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के अनुसार, इस वर्ष के सम्मेलन से चार मुख्य परिणामों की उम्मीद की जा रही है:
- नया जलवायु वित्त लक्ष्य।
- मजबूत राष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं में तेजी।
- पूर्व वादों पर ठोस प्रगति।
- नुकसान और क्षति के लिए अधिक धनराशि का प्रावधान।
तालिबान की भागीदारी:
- अफगानिस्तान में 2021 में सत्ता में आने के बाद तालिबान पहली बार इस सम्मेलन में भाग ले रहा है।
- अफगानिस्तान की राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने बताया कि उनका तकनीकी प्रतिनिधिमंडल बाकू में सम्मेलन में शामिल होगा।
- एजेंसी के प्रमुख मतिउल हक खलीस ने बताया कि इस सम्मेलन के जरिए वे पर्यावरण संरक्षण और जलवायु अनुकूलन के प्रयासों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना चाहते हैं।
इस प्रकार COP29 सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए समन्वित प्रयास करना है, जिसमें भारत और अन्य देशों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP) के बारे में:
परिभाषा: COP, संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) का मुख्य शासी निकाय है। इसे 1992 में स्थापित किया गया था ताकि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों को मार्गदर्शन मिल सके।
सदस्यता: UNFCCC में 198 सदस्य (197 देश और यूरोपीय संघ) शामिल हैं, जो ग्रीनहाउस गैसों को स्थिर स्तर पर बनाए रखने के लिए एकजुट हैं ताकि जलवायु पर मानव-जनित खतरनाक प्रभावों को रोका जा सके।
कार्य: COP, सदस्य देशों द्वारा जमा की गई रिपोर्टों और उत्सर्जन सूची की समीक्षा करता है और UNFCCC के लक्ष्यों की प्राप्ति में प्रगति का मूल्यांकन करता है।
COP के प्रमुख मील के पत्थर:
- COP3 – क्योटो प्रोटोकॉल (1997):
- यह पहला अंतरराष्ट्रीय समझौता था जिसने ग्रीनहाउस गैसों में कटौती के लिए प्रतिबद्धताएं निर्धारित कीं।
- औद्योगिक देशों को तय मात्रा में उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य दिया गया था।
- COP15 – कोपेनहेगन (2009):
- इसमें 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक ग्लोबल वार्मिंग को रोकने और 5 डिग्री के लक्ष्य की ओर प्रयास करने की बात कही गई।
- विकसित देशों से गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद के लिए धन देने की भी बात हुई।
- COP21 – पेरिस समझौता (2015):
- 196 देशों ने इस कानूनी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका लक्ष्य वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री से नीचे और संभव हो तो 5 डिग्री तक सीमित करना है।
- इसमें देशों से अपने जलवायु कार्य योजनाओं (NDCs) को प्रस्तुत करने का भी वादा किया गया।
- COP26 – ग्लासगो संधि (2021):
- इस संधि में पहली बार कोयले का उपयोग कम करने और अनावश्यक जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को समाप्त करने की बात कही गई।
- COP28 – लॉस एंड डैमेज फंड (2023):
- जलवायु आपदाओं से प्रभावित देशों की मदद के लिए एक विशेष फंड की शुरुआत हुई, जिससे उन्हें आर्थिक सहायता मिल सके।
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