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क्रिस्टल संरचना

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हाल ही में, शोधकर्ताओं ने एक अद्वितीय और असाधारण अवलोकन किया है, जिसने क्रिस्टल संरचनाओं की समरूपता को समझने के पारंपरिक विचारों को चुनौती दी है। यह अध्ययन दिखाता है कि एक स्थानीय क्रिस्टल संरचना की समरूपता, जो किसी विशेष परमाणु के आसपास के क्षेत्र में होती है, बढ़ते तापमान के साथ सामान्य प्रवृत्ति के विपरीत, कम हो जाती है। यह खोज फोनोनिक्स, थर्मोइलेक्ट्रिक्स और सौर तापीय रूपांतरण जैसी कई क्रिस्टलीय सामग्रियों में गैर-परंपरागत घटनाओं की संभावनाओं को उजागर करती है।

क्रिस्टल संरचना की समरूपता और तापमान का संबंध:

  • सामान्यतः, यह माना जाता है कि जब किसी पदार्थ को गर्म किया जाता है, तो इसकी एन्ट्रॉपी में वृद्धि के कारण उसकी क्रिस्टल समरूपता बढ़ती है।
  • हालाँकि, जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर), बेंगलुरु के प्रोफेसर कनिष्क विश्वास, सुश्री आइवी मारिया, डॉ. परिवेश आचार्य और उनके शोध दल ने नए प्रयोगों के माध्यम से इस पारंपरिक सोच को चुनौती दी है।

स्थानीय संरचना का महत्व:

  • किसी क्रिस्टल की स्थानीय संरचना, जिसमें किसी विशेष परमाणु के चारों ओर के परमाणुओं की व्यवस्था शामिल होती है, आमतौर पर वैश्विक संरचना के अनुरूप होती है।
  • हालांकि, शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ विशेष मामलों में, जैसे कि अकार्बनिक द्वि-आयामी हैलाइड पेरोव्स्काइट, CsPbICl, स्थानीय और वैश्विक समरूपता अलग हो सकती है।
  • इस अध्ययन में दिखाया गया है कि बढ़ते तापमान के साथ, इस यौगिक में स्थानीय समरूपता कम होती है, जबकि वैश्विक क्रिस्टल समरूपता अपरिवर्तित रहती है।

एम्फेनिसिस” की परिघटना:

  • इस असामान्य घटना को “एम्फेनिसिस” कहा गया है, जिसका अर्थ है “शून्य से प्रकट होना”।
  • शोधकर्ताओं ने सिंक्रोट्रॉन एक्स-रे तकनीक का उपयोग किया, जिससे एक्स-रे विवर्तन पैटर्न के माध्यम से ठोस पदार्थों की स्थानीय और वैश्विक संरचनाओं का अध्ययन किया जा सका। यह तकनीक इस फिनॉमिनन को समझने में महत्वपूर्ण साबित हुई।

शोध के निष्कर्ष:

  • शोधकर्ताओं ने पाया कि इस असामान्य स्थानीय समरूपता भंग का मुख्य कारण यौगिक में उपस्थित सीसे की रासायनिक रूप से सक्रिय एकाकी जोड़ी है।
  • CsPbICl में क्लोरीन और सीसा परमाणुओं के बीच मौजूद संरचनात्मक विकृतियाँ एक दिलचस्प विशेषता हैं, जहां क्लोरीन परमाणु स्थैतिक विकृति का अनुभव करते हैं जबकि सीसा परमाणु गतिशील विकृति का। यह जटिलता विभिन्न संरचना-विकृति प्रभावों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है।

अनुप्रयोगों का भविष्य:

  • “एम्फेनिसिस” का विचार क्रिस्टलीय पदार्थों में आयनों के बीच की दूरी के कारण तापीय चालकता में कमी के लिए एक संभावित रणनीति प्रस्तुत करता है।
  • इस अध्ययन के निष्कर्षों में ऐसी सामग्रियों की अत्यधिक मांग का उल्लेख किया गया है, जो फोनोनिक्स, थर्मोइलेक्ट्रिक्स, सौर तापीय रूपांतरण और विभिन्न ताप प्रबंधन प्रणालियों में उपयोगी हो सकती हैं।

निष्कर्ष: एडवांस्ड मैटेरियल्स में प्रकाशित यह अध्ययन क्रिस्टलीय पदार्थों में गैर-परंपरागत घटनाओं के लिए रासायनिक डिजाइन के मूलभूत और कार्यात्मक महत्व को उजागर करता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ऊष्मागतिकी के ये सूक्ष्मताएं दिलचस्प संरचनात्मक परिवर्तनों की संभावना प्रदान करती हैं, जो भविष्य में विभिन्न अनुप्रयोगों में प्रयोग की जा सकती हैं। इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि विज्ञान की यह नई दिशा ऊर्जा के उन्नत साधनों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर सकती है।

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