Dark patterns
संदर्भ:
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री ने हाल ही में सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे स्व–ऑडिट (Self-Audit) करें ताकि उपभोक्ता संरक्षण नियमों के तहत ‘डार्क पैटर्न्स‘ (Dark Patterns) की पहचान कर उन्हें समाप्त किया जा सके।
(Dark patterns) डार्क पैटर्न्स:
परिभाषा: डार्क पैटर्न्स उन यूज़र इंटरफेस डिज़ाइनों को कहा जाता है जो जानबूझकर इस तरह बनाए जाते हैं कि उपयोगकर्ता अनजाने में ऐसी क्रियाएं करें जो वे सामान्यतः न करना चाहें।
उत्पत्ति: “डार्क पैटर्न” शब्द को 2010 में यूके के यूज़र एक्सपीरियंस डिज़ाइनर हैरी ब्रिगनल (Harry Brignull) ने गढ़ा।
कार्यप्रणाली:
- ये डिज़ाइन उपयोगकर्ता के संज्ञानात्मक पूर्वाग्रहों (cognitive biases) और मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का शोषण करके उनके व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
- ये रणनीतियाँ थोड़ी भ्रामक से लेकर आक्रामक रूप से भ्रामक तक हो सकती हैं।
प्रचलन: डार्क पैटर्न्स का उपयोग खुदरा, यात्रा, स्वास्थ्य, और सोशल मीडिया जैसे विभिन्न क्षेत्रों में देखा गया है।
आम उदाहरण:
- Sneak into basket: किसी ऑनलाइन शॉपिंग कार्ट में बिना अनुमति के चुपचाप एक अतिरिक्त वस्तु जोड़ देना।
- Cookie consent manipulation: “स्वीकार करें” बटन को बड़े और चमकीले रंग में दिखाना जबकि “अस्वीकार करें” विकल्प को छिपाना या छोटा करना।
- छिपे हुए शुल्क (Hidden Costs): अंतिम चेकआउट स्टेज में जाकर ही अतिरिक्त शुल्क दिखाई देना।
उद्देश्य: इन डिज़ाइनों का उद्देश्य उपभोक्ता को ऐसे निर्णय लेने के लिए प्रेरित करना होता है जो कंपनी के हित में हो, भले ही वह उपभोक्ता के नुकसान का कारण बने।