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संदर्भ:
सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन नियम, 2025 का मसौदा सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया है। इसमें डेटा लोकलाइजेशन से संबंधित नियम शामिल हैं।
डेटा स्थानीयकरण क्या है?
डेटा स्थानीयकरण (Data Localisation) का मतलब है कि किसी देश में उत्पन्न डेटा को उसी देश की भौगोलिक सीमाओं के अंदर स्थित उपकरणों या सर्वरों पर संग्रहीत (स्टोर) करना। यह अवधारणा इस सिद्धांत पर आधारित है कि डेटा को स्थानीय रूप से संग्रहीत और एक्सेस किया जाना चाहिए, क्योंकि यह आज की डिजिटल दुनिया में एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
डेटा स्थानीयकरण की मुख्य विशेषताएं:
- स्थानीय भंडारण: जिस देश में डेटा उत्पन्न हुआ है, उसे उसी देश की सीमाओं के भीतर संग्रहीत करना।
- सुलभता: डेटा को स्थानीय अधिकारियों के लिए उपलब्ध कराना और राष्ट्रीय कानूनों का पालन सुनिश्चित करना।
- गोपनीयता और सुरक्षा: संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा और उपयोगकर्ता की गोपनीयता बनाए रखना।
डेटा स्थानीयकरण का उदाहरण:
- यूरोपीय संघ (EU) के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) के तहत, व्यवसायों को डेटा को यूरोपीय संघ की सीमाओं के भीतर सुरक्षित रखने की आवश्यकता होती है।
- यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियां गोपनीयता और डेटा सुरक्षा से संबंधित नियमों का पालन करें।
डेटा स्थानीयकरण के तहत अधिनियम के नियम:
- डेटा फिड्यूशियरीज (Data Fiduciaries): प्रमुख टेक कंपनियाँ जैसे Meta, Google, Apple, Microsoft, और Amazon को “महत्वपूर्ण डेटा फिड्यूशियरीज” (Significant Data Fiduciaries) के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
- पारदर्शिता (Transparency): डेटा फिड्यूशियरीज को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के बारे में स्पष्ट और सुलभ जानकारी प्रदान करें, ताकि उपयोगकर्ता सूचित सहमति (Informed Consent) दे सकें।
- डेटा प्रवाह पर प्रतिबंध (Restriction on Flow of Data):
- केंद्रीय सरकार यह निर्दिष्ट करेगी कि कौन-से प्रकार के व्यक्तिगत डेटा को “महत्वपूर्ण डेटा फिड्यूशियरीज” द्वारा प्रसंस्कृत किया जा सकता है।
- यह शर्त होगी कि ऐसा डेटा भारत की सीमा के बाहर स्थानांतरित नहीं किया जाएगा।
- डेटा उल्लंघन (Data Breach):
- डेटा उल्लंघन की स्थिति में, डेटा फिड्यूशियरीज को प्रभावित व्यक्तियों को बिना किसी देरी के सूचित करना होगा।
- उन्हें जोखिम को कम करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी भी प्रदान करनी होगी।
- डेटा उल्लंघन को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय न लेने पर, 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
डेटा स्थानीयकरण की आवश्यकता:
- भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था:
- भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2025 तक $1 ट्रिलियन तक पहुंचने की संभावना है।
- 800 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता भारी मात्रा में व्यक्तिगत डेटा उत्पन्न कर रहे हैं।
- डेटा संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा:
- विदेशी सर्वर पर भारतीय नागरिकों का डेटा स्टोर होने से विदेशी कानूनों और निगरानी के जोखिम बढ़ जाते हैं।
- यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कमजोरियां उत्पन्न करता है।
- साइबर खतरों में वृद्धि:
- डेटा उल्लंघन और साइबर हमलों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, डेटा का राष्ट्रीय सीमाओं में रहना अधिक सुरक्षित है।
- यह तेज प्रतिक्रिया और बेहतर सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करता है।
- आर्थिक हित:
- डेटा लोकलाइजेशन से घरेलू डेटा सेंटर उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
- यह रोजगार सृजन और तकनीकी विशेषज्ञता को प्रोत्साहित करेगा।
- डेटा प्रबंधन में सुधार: डेटा को देश में रखने से इसे निगरानी और दुरुपयोग रोकने में आसानी होगी।
- कानूनी एजेंसियों की पहुंच:साइबर अपराध और राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों की जांच में डेटा तक त्वरित पहुंच संभव होगी।
डेटा स्थानीयकरण से जुड़ी चुनौतियां:
- संपूर्ण बुनियादी ढांचे की कमी:
- भारत में विशाल मात्रा में डेटा प्रबंधन के लिए उपयुक्त बुनियादी ढांचे की कमी हो सकती है।
- स्थानीय डेटा केंद्रों का निर्माण और रखरखाव छोटे व्यवसायों के लिए महंगा साबित हो सकता है।
- वैश्विक व्यापार पर प्रभाव:
- सख्त लोकलाइजेशन नियमों से व्यापार की परिचालन लागत बढ़ सकती है।
- यह नवाचार और विदेशी निवेश को प्रभावित कर सकता है।
- अनुपालन का बोझ:
व्यवसायों को डेटा लोकलाइजेशन कानूनों का पालन करने में कानूनी और नियामक जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। - विशेष रूप से सीमा-पार डेटा हस्तांतरण के मामलों में यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है।