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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने मिलकर अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए काम करने का निर्णय लिया है। यह अनुसंधान दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण समाधान प्रदान करेगा, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य और उनके लिए आवश्यक संसाधनों के प्रबंधन में मदद मिलेगी।
अंतरिक्ष मिशनों में प्रमुख चुनौतियाँ:
- पोषक तत्वों की उपलब्धता: लंबे मिशनों में पोषक तत्वों की निरंतर आपूर्ति कठिन होती है।
- अपशिष्ट प्रबंधन: अपशिष्ट का पुनर्चक्रण और निपटान मिशनों की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
- भोजन का संरक्षण: लंबे समय तक भोजन को ताजगी के साथ संरक्षित रखना चुनौतीपूर्ण है।
- स्वास्थ्य संबंधी खतरे: सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, विकिरण, कैंसर, मोतियाबिंद, मांसपेशियों और हड्डियों के क्षय जैसी समस्याएँ।
अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी (DBT) अनुप्रयोग और उनका महत्व:
- सूक्ष्मगुरुत्व अनुसंधान: सूक्ष्मगुरुत्व के तहत प्रोटीन क्रिस्टल की गुणवत्ता में सुधार होता है, जो दवाओं के विकास और उनकी संरचनात्मक समझ को बढ़ाता है।
- विकिरण अनुसंधान: नासा का बायोसेंटिनल कार्यक्रम अंतरिक्ष में आयनकारी विकिरण के प्रति मानव कोशिकाओं की प्रतिक्रिया का अध्ययन करता है, खासकर डबल-स्ट्रैंड डीएनए ब्रेक की मरम्मत के संदर्भ में। यह प्रोग्राम 2022 में आर्टेमिस I के साथ लॉन्च किया गया था।
- पर्यावरण निगरानी: अंतरिक्ष में सूक्ष्मजीवों के अध्ययन के माध्यम से जैव-उपचार विकसित किया जा सकता है, जिससे मंगल और चंद्रमा की मिट्टी को पौधों की वृद्धि के अनुकूल बनाया जा सकता है।
- रोग मॉडलिंग: अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए बीमारी की मॉडलिंग की जा सकती है, जिससे दीर्घकालिक मिशनों में रोगों का निदान और उपचार किया जा सकेगा।
- जैव पुनर्योजी जीवन समर्थन प्रणाली: यह प्रणाली अपशिष्ट के पुनर्चक्रण द्वारा आत्मनिर्भर मिशन को संभव बनाती है और पृथ्वी पर संसाधन प्रबंधन में भी सहायक हो सकती है।
प्रमुख पहल:
- भारत: इसरो के आगामी एक्सिओम-4 मिशन और गगनयान मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की भूमिका को बढ़ावा देंगे।
- वैश्विक पहल:
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- अंतरिक्ष जीवविज्ञान कार्यक्रम (नासा)
- बायोलैब (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी)
- अंतरिक्ष प्रजनन कार्यक्रम (चीन राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन, CNSA)
इसरो और डीबीटी की इस साझेदारी से अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान को नई दिशा मिलेगी और यह अंतरिक्ष अन्वेषण को सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
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