Apni Pathshala

विकासशील देशों का ऋण संकट (Debt crisis in developing countries) | Apni Pathshala

Debt crisis in developing countries

Debt crisis in developing countries

Debt crisis in developing countries – 

संदर्भ

हाल ही में सेविले, स्पेन में विकास के लिए वित्त पोषण पर चौथा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (Fourth International Conference on Financing for Development) आरंभ हुआ।

यह सम्मेलन विशेष रूप से विकासशील देशों में बढ़ते ऋण संकट की पृष्ठभूमि में आयोजित किया गया है। वर्ष 2010 से अब तक इन देशों का सार्वभौम (sovereign) ऋण तेजी से बढ़ा है, जो अब वैश्विक कुल ऋण का लगभग 30% हो गया है। यह स्थिति ऐतिहासिक वित्तीय नीतियों और वर्तमान वैश्विक आर्थिक दबावों का सम्मिलित परिणाम है। यह मंच नीति निर्माताओं और वैश्विक संगठनों को वित्तीय स्थिरता के लिए साझा समाधान तलाशने का अवसर प्रदान करता है।

विकासशील देशों का ऋण संकट: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान स्थिति

ऋण संचयन का ऐतिहासिक संदर्भ:

  • 1970 के दशक में तेल की कीमतों में तेज़ वृद्धि के बाद, तेल आयात करने वाले विकासशील देशों पर वित्तीय दबाव बढ़ा।
  • इस दौरान ‘पेट्रोडॉलर’ पश्चिमी बैंकों में जमा हुए और वही धन विकासशील देशों को ऋण के रूप में वापस दे दिया गया।
  • इससे ऋण पर निर्भरता का एक चक्र शुरू हुआ।
  • 1980 के दशक की वैश्विक मंदी और ब्याज दरों में वृद्धि के चलते विकासशील देशों को केवल पुराने ऋण की किश्तें चुकाने के लिए नया ऋण लेना पड़ा।

वर्तमान ऋण सेवा लागत:

  • वर्ष 2023 में विकासशील देशों ने विदेशी ऋण सेवा (debt servicing) पर $1.4 ट्रिलियन खर्च किए — जो पिछले 20 वर्षों में सर्वाधिक है।
  • इनमें से आधे से अधिक देशों को केवल ब्याज चुकाने के लिए अपनी सरकार की 8% से अधिक राजस्व राशि खर्च करनी पड़ी।
  • विशेष रूप से अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में यह बोझ अत्यधिक है, जहां कई देशों की ऋण भुगतान लागत स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं से भी अधिक हो चुकी है।

विकासशील देशों पर बढ़ते ऋण बोझ के कारण और कारक

  1. तेल मूल्य झटका:
  • 1970 के दशक में भू-राजनीतिक तनावों के चलते तेल की कीमतों में अचानक वृद्धि हुई (विशेष रूप से 1973 का अरब तेल प्रतिबंध)।
  • इससे तेल आयातक विकासशील देशों पर आयात बिल का भारी दबाव पड़ा।
  1. पेट्रोडॉलर रीसाइक्लिंग:
  • तेल निर्यातक अरब देशों ने अपने अधिशेष “पेट्रोडॉलर” पश्चिमी बैंकों में जमा कराए।
  • इन बैंकों ने विकासशील देशों को ऋण दिया जिससे वे उच्च तेल कीमतें वहन कर सकें और पश्चिमी देशों से आयात जारी रख सकें।
  • इस व्यवस्था ने पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं को समर्थन दिया और मंदी से बचाया।
  1. निजी ऋणदाताओं का उदय:
  • पश्चिमी निजी बैंक अब सरकारी संस्थाओं (जैसे IMF या विश्व बैंक) की तुलना में अधिक ऋण देने लगे।
  • 1982 तक निजी बैंकों ने प्रति वर्ष $63 बिलियन ऋण देना शुरू कर दिया, जो आधिकारिक ऋणदाताओं के दोगुने के करीब था।
  • इसके कारण 1970 के दशक में कई विकासशील देशों में तीव्र आर्थिक वृद्धि देखी गई।
  1. ऋण संकट (Debt Crisis – 1980s)
  • 1980 के दशक में वैश्विक मंदी और ऊंची ब्याज दरों के कारण विकासशील देश ऋण चुकाने में असमर्थ होने लगे।
  • इन देशों ने केवल ब्याज चुकाने के लिए नया ऋण लेना शुरू कर दिया — यह एक “ऋण-जाल” की स्थिति थी।
  1. ब्राज़ील का उदाहरण: 1972 से 1988 के बीच ब्राज़ील ने $124 बिलियन ऋण पर $176 बिलियन केवल ब्याज में चुका दिया।
  2. ऊंची ब्याज दरें:
  • UNCTAD की रिपोर्ट के अनुसार, विकासशील देश अमेरिका की तुलना में 2–4 गुना और जर्मनी की तुलना में 6–12 गुना अधिक दरों पर ऋण लेते हैं।
  • इसका कारण यह है कि इन्हें “उच्च जोखिम वाले देश” माना जाता है, जिससे उनकी उधारी लागत बढ़ जाती है।
  1. पक्षपाती संप्रभु क्रेडिट रेटिंग्स:
  • संप्रभु क्रेडिट रेटिंग किसी देश की ऋण चुकाने की क्षमता का एक स्वतंत्र माप माना जाता है।
  • ये रेटिंग वैश्विक बाजार में देश की उधारी दर निर्धारित करती हैं।
  • रिपोर्ट्स के अनुसार, वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के प्रति इन रेटिंग एजेंसियों का रवैया पक्षपातपूर्ण रहा है, जिससे उनकी ऋण लागत और बढ़ जाती है।

Download Today Current Affairs PDF

Share Now ➤

क्या आपको Apni Pathshala के Courses, RNA PDF, Current Affairs, Test Series और Books से सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए? तो हमारी विशेषज्ञ काउंसलर टीम आपकी सिर्फ समस्याओं के समाधान में ही मदद नहीं करेगीं, बल्कि आपको व्यक्तिगत अध्ययन योजना बनाने, समय का प्रबंधन करने और परीक्षा के तनाव को कम करने में भी मार्गदर्शन देगी।

Apni Pathshala के साथ अपनी तैयारी को मजबूत बनाएं और अपने सपनों को साकार करें। आज ही हमारी विशेषज्ञ टीम से संपर्क करें और अपनी सफलता की यात्रा शुरू करें

📞 +91 7878158882

Related Posts

Scroll to Top