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संदर्भ:
जमा बीमा सीमा: वित्त मंत्रालय डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) अधिनियम, 1961 के तहत वर्तमान ₹5 लाख की जमा बीमा सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहा है। यह कदम बैंक जमाकर्ताओं की सुरक्षा बढ़ाने और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है।
डिपॉज़िट इंश्योरेंस (जमा बीमा) क्या है?
यह एक प्रणाली है जो बैंक के दिवालिया होने की स्थिति में जमाकर्ताओं को वित्तीय हानि से बचाती है। यह वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा तंत्र है।
इतिहास:
- 1948: बंगाल में बैंकिंग संकट के बाद पहली बार डिपॉजिट इंश्योरेंस का विचार किया गया।
- 1960: पलई सेंट्रल बैंक और लक्ष्मी बैंक के दिवालिया होने के बाद इस पर पुनर्विचार हुआ।
- 1961: डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन अधिनियम, 1961 लागू किया गया।
- 1962: 1 जनवरी से यह अधिनियम प्रभावी हुआ।
- 1978: इसे क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के साथ मिलाकर DICGC (डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन) बनाया गया।
प्रशासन:
- मंत्रालय: यह वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (Department of Financial Services) के अंतर्गत कार्य करता है।
- उद्देश्य: जमाकर्ताओं के धन की सुरक्षा और बैंकिंग प्रणाली में जनता का विश्वास बनाए रखना।
यह कैसे काम करता है?
- राशि की गारंटी– यदि बैंक दिवालिया हो जाता है, तो जमाकर्ताओं को उनकी जमा राशि वापस मिलती है।
- बैंक रन को रोकता है– लोग घबराहट में अपना पैसा निकालने की जल्दी नहीं करते, जिससे बैंकिंग प्रणाली स्थिर रहती है।
- आर्थिक स्थिरता– यह बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करता है और लोगों में विश्वास बनाए रखता है।
डिपॉज़िट इंश्योरेंस की विशेषताएँ
- विभिन्न देशों में यह योजना शुल्क, कवरेज, फंडिंग और अनिवार्यता के अनुसार भिन्न होती है।
- अमेरिका में FDIC (Federal Deposit Insurance Corporation) बैंक जमाओं का बीमा करता है।
- भारत में DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) बैंक जमाओं पर ₹5,00,000 तक की बीमा सुरक्षा प्रदान करता है।
बैंक के दिवालिया होने पर जमा राशि का क्या होता है?
यदि कोई बैंक दिवालिया (insolvent) हो जाता है या उसे बंद कर दिया जाता है, तो डिपॉज़िट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) जमाकर्ताओं को उनकी जमा राशि की ₹5 लाख तक की गारंटी प्रदान करता है।
महत्वपूर्ण प्रावधान:
- ₹5 लाख तक की सुरक्षा:यदि किसी बैंक खाते में ₹5 लाख या उससे अधिक राशि जमा है, तो DICGC अधिकतम ₹5 लाख (मुख्य राशि व ब्याज सहित) का भुगतान करेगा।
- ₹5 लाख से कम जमा होने पर पूरी राशि वापस:जिन खाताधारकों की जमा राशि ₹5 लाख से कम है, उन्हें उनकी संपूर्ण राशि वापस प्राप्त होगी।
- 90 दिनों के भीतर भुगतान:2021 के संशोधन के अनुसार, यदि किसी बैंक पर मोराटोरियम (moratorium) लगाया जाता है, तो जमाकर्ताओं को 90 दिनों के भीतर उनकी बीमित राशि का भुगतान कर दिया जाता है।
- पहले देरी होती थी: 2021 से पूर्व, यदि कोई बैंक दिवालिया हो जाता था, तो जमाकर्ताओं को अपनी जमा राशि प्राप्त करने में वर्षों का समय लग सकता था।