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डिफरेंशियल प्राइसिंग क्या हैं?

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संदर्भ:

डिफरेंशियल प्राइसिंग: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने ओला और उबर को उन पर लगाए गए आरोपों को लेकर नोटिस जारी किया है। आरोप है कि वे उपभोक्ताओं के स्मार्टफोन के प्रकार के आधार पर भिन्न मूल्य निर्धारण कर रहे हैं।

डिफरेंशियल प्राइसिंग के बारे में:

डिफरेंशियल प्राइसिंग

डिफरेंशियल प्राइसिंग:

डिफरेंशियल प्राइसिंग एक रणनीति है, जिसमें व्यवसाय एक ही उत्पाद या सेवा के लिए अलग-अलग कीमतें तय करते हैं। यह कीमतें विभिन्न कारकों पर आधारित होती हैं, जैसे:

  • स्थान
  • मांग
  • ग्राहक की जनसांख्यिकी
  • खरीदारी का व्यवहार

इस रणनीति का उद्देश्य राजस्व को अनुकूलित करना और विभिन्न बाजार वर्गों की आवश्यकताओं को पूरा करना है।

डिफरेंशियल प्राइसिंग के प्रकार:

  1. प्राइस लोकलाइजेशन (Price Localization): स्थानीय खरीद क्षमता या प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए कीमतें तय करना।
  2. रियलटाइम प्राइसिंग (Real-Time Pricing): मांग, प्रतिस्पर्धा और उपलब्धता के आधार पर कीमतों में बदलाव।
  3. सब्सक्रिप्शन आधारित प्राइसिंग (Subscription-Based Pricing): लंबी अवधि की प्रतिबद्धताओं पर छूट प्रदान करना।
  4. सीजनल डिस्काउंट्स (Seasonal Discounts): छुट्टियों या विशेष समय में कीमतों को कम करना।
  5. वॉल्यूम डिस्काउंट्स (Volume Discounts): बड़ी मात्रा में खरीदारी पर प्रति यूनिट कीमत कम करना।

डिफरेंशियल प्राइसिंग के कारण बनने वाले प्रमुख कारक

  1. प्रौद्योगिकी का उपयोग: AI-आधारित डायनेमिक प्राइसिंग व्यक्तिगत ग्राहकों की आवश्यकताओं के अनुसार कीमत तय करती है।
  2. आर्थिक परिस्थितियाँ: मुद्रास्फीति, मुद्रा विनिमय दर और टैरिफ कीमत निर्धारण को प्रभावित करते हैं।
  3. उपभोक्ता जनसांख्यिकी: आयु, आय स्तर और खरीदारी व्यवहार के आधार पर कीमतों की रणनीति तैयार की जाती है।
  4. बाजार मांग: अधिक मांग के दौरान, जैसे त्योहारी सीजन में, व्यवसाय कीमतें बढ़ा सकते हैं।
  5. भौगोलिक स्थान: स्थानीय प्रतिस्पर्धा और लागत संरचना क्षेत्रीय मूल्य निर्धारण को प्रभावित करती है।

भारत में डिफरेंशियल प्राइसिंग को नियंत्रित करने वाले कानूनी प्रावधान:

  1. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019: डिफरेंशियल प्राइसिंग उपभोक्ता भेदभाव या शोषण करती है तो इसे प्रतिबंधित किया जा सकता है।
    • धारा 2(47): उपभोक्ता हितों को नुकसान पहुँचाने वाली प्रथाओं पर रोक।
  2. प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002
    • धारा 4: प्रमुख कंपनियों द्वारा भेदभावपूर्ण मूल्य निर्धारण पर रोक।
    • CCI ने विमानन और राइड-हेलिंग में मूल्य निर्धारण की समीक्षा की है।
  3. आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955: भोजन, ईंधन, और दवाओं पर भेदभावपूर्ण मूल्य निर्धारण आपात स्थितियों में प्रतिबंधित।
  4. सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण: (Pallavi Refractories v. Singareni Collieries, 2005): तर्कसंगत मानदंडों पर आधारित मूल्य निर्धारण वैध।
  5. बोतलबंद पानी का MRP नियम:
    • 2017: मल्टीप्लेक्स, हवाई अड्डों और रिटेल स्टोर्स में बेचे गए समान पानी के लिए एक MRP लागू।

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