मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने डिजिटल समन और वारंट (Digital Summons and Warrant Rules) जारी करने के नए नियमों को लागू किया है। अब न्यायिक प्रक्रियाओं के लिए ईमेल, व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग ऐप और टेक्स्ट मैसेज का उपयोग किया जा सकेगा। इससे समन और वारंट को डिजिटल तरीके से भेजना संभव हो जाएगा, जिससे कानूनी प्रक्रियाएं और भी सरल और तेज हो जाएंगी।
नए नियमों की घोषणा –
राज्य के गृह विभाग ने “मध्य प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया (जारी, तामील और निष्पादन) नियम, 2024” को पेश किया है, जिसे आधिकारिक रूप से मध्य प्रदेश राजपत्र में प्रकाशित किया गया है। यह नियम भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (2023) के तहत स्वीकृत किए गए हैं, जिनका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रियाओं को तेजी से पूरा करना और न्यायिक प्रणाली की दक्षता को बढ़ाना है।
लागू होने की प्रक्रिया –
- डिजिटल संचार के माध्यम से: नए नियमों के तहत, समन और वारंट अब ईमेल, व्हाट्सएप, या अन्य डिजिटल संचार माध्यमों से भेजे जा सकते हैं। अगर कोई ईमेल या अन्य डिजिटल माध्यम से भेजे गए समन के लिए बाउंस बैक या त्रुटि संदेश नहीं आता, तो इसे प्रभावी रूप से तामील माना जाएगा।
- पारंपरिक तरीके: डिजिटल संचार से अपरिचित व्यक्तियों (अभियुक्त, गवाह या शिकायतकर्ता) के लिए पारंपरिक तरीके से समन और वारंट जारी किए जाते रहेंगे।
ऑनलाइन समन या वारंट (Benefit of Digital Summons and Warrant Rules) के फायदे –
- दरअसल, इसके पहले वारंट या समन तामील करवाने की प्रक्रिया काफी लंबी थी, लेकिन अब यह प्रक्रिया सरल हो जाएगी और वारंट या समन की तामील नहीं होने की शिकायतों में कमी आएगी।
- इसका बड़ा असर अदालतों के फैसले पर भी पड़ेगा जिससे फैसले जल्दी आ सकेंगे, इस संबंध में गृह विभाग ने बाकायदा गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है।
पहचान की सुरक्षा –
नए नियमों के तहत, यदि किसी मामले में अपराध महिलाओं या बच्चों के खिलाफ होता है, तो पुलिस थाने का प्रभारी अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि तामील और निष्पादन के दौरान पीड़ित की पहचान गोपनीय रहे। इन नए नियमों से कानूनी प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाया जाएगा।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 –भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 ने CrPC 1973 को प्रतिस्थापित किया है और इसमें 531 धाराएँ हैं जिनमें 177 धाराएँ संशोधित की गई, 9 नई धाराएँ जोड़ी गई और 14 धाराएँ निरस्त की गई हैं। मुख्य प्रावधान –
प्रक्रियाओं के लिये समयसीमाः विभिन्न प्रक्रियाओं के लिये समयसीमा निर्धारित करता है। जैसे बहस के बाद 30 दिनों के भीतर फैसला जारी करना
फोरेंसिक जांच: 27 वर्ष की कैद वाले दंडनीय अपराधों के लिये अनिवार्य FIR पंजीकरण के संबंध में नई प्रक्रियाएँ:
पौड़ित/सूचनाकर्ता के अधिकार :
प्रमुख मुद्दे –
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