संदर्भ:
DMI&SP नीति 2025: केंद्र सरकार ने घरेलू रूप से निर्मित लोहा और इस्पात उत्पाद (DMISP) नीति 2025 लॉन्च की है, जिसका उद्देश्य बढ़ते इस्पात आयात पर रोक लगाना और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है। इस नीति के तहत सरकारी खरीद में केवल भारतीय इस्पात का उपयोग अनिवार्य किया गया है, साथ ही गैर–प्रतिसाद देने वाले देशों (जैसे चीन) के लिए प्रत्यक्ष प्रावधान लागू किया गया है।
DMI&SP नीति 2025 : मुख्य प्रावधान
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घरेलू इस्पात को प्राथमिकता:
- सभीसरकारी मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs), ट्रस्टों और वैधानिक निकायों को स्थानीय रूप से निर्मित लोहे और इस्पात उत्पादों की खरीद करनी होगी।
- यह नीति₹5 लाख से अधिक के सभी खरीद अनुबंधों पर लागू होगी।
- केंद्रीय प्रायोजित और केंद्रीय क्षेत्र की बुनियादी ढांचा परियोजनाएंइसके अंतर्गत आती हैं।
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“Melt & Pour” आवश्यकता:
- उत्पादों कोभारत में ही पिघलाकर (melt) और ठोस रूप (pour) में डाला जाना चाहिए, ताकि प्रमुख उत्पादन प्रक्रियाएं घरेलू स्तर पर हों।
- इसमेंफ्लैट-रोल्ड उत्पाद, बार, रॉड और रेलवे स्टील शामिल हैं।
- ₹200 करोड़ तक वैश्विक निविदाओं (GTE) पर प्रतिबंध: ₹200 करोड़ से कम के ठेकों के लिए ग्लोबल टेंडर इनक्वायरी (GTE) प्रतिबंधितहोगी, जब तक कि वित्त विभाग से विशेष अनुमति न मिले।
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पारस्परिक (Reciprocal) शर्त:
- वे देश जो भारतीय कंपनियों को अपनी सार्वजनिक खरीद प्रक्रियाओं में भाग लेने से रोकते हैं, उनके आपूर्तिकर्ताओं को भारतीय सरकारी इस्पात निविदाओं में भाग लेने से प्रतिबंधित किया जाएगा।
- हालांकि, यदिइस्पात मंत्रालय विशेष अनुमति देता है, तो कुछ छूट दी जा सकती है।
- यह प्रावधानअंतरराष्ट्रीय व्यापार में समान अवसर (level playing field) सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है, जिसमें मुख्य रूप से चीन को ध्यान में रखा गया माना जा रहा है।
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घरेलू मूल्य संवर्धन पर ज़ोर:
- इस्पात उत्पादन में उपयोग होने वाले पूंजीगत सामान (capital goods) जैसे कि फर्नेस और रोलिंग मिल्स में न्यूनतम 50% घरेलू मूल्य संवर्धन अनिवार्य होगा।
- बोलीदाता (bidders) को स्व-प्रमाणन करना होगा।यदि प्रमाण गलत पाया गया तो ब्लैकलिस्ट और ज़मानत राशि ज़ब्त की जा सकती है।
- पूंजीगत सामानों के मूल्य संवर्धन की पुष्टि के लिएऑडिटर प्रमाणन अनिवार्य होगा
DMI&SP नीति 2025 नीति के उद्देश्य:
- आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा: घरेलू इस्पात उत्पादन और खरीद को प्रोत्साहित करकेभारत की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना।
- बढ़ते आयात पर नियंत्रण: भारतीय इस्पात मिलों को नुकसान पहुंचाने वाले बढ़ते आयातको रोकना।
- भारतीय उद्योग की सुरक्षा: सरकारी अनुबंधों में विदेशी प्रतिस्पर्धा से भारतीय निर्माताओं को बचाना।
- घरेलू मूल्य संवर्धन बढ़ाना: इस्पात निर्माण में उपयोग होने वाले पूंजीगत सामानों (Capital Goods) की घरेलू स्तर पर उपलब्धता सुनिश्चित करना।