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संदर्भ:
भारत की पहली व्यापक नदी डॉल्फिन सर्वेक्षण, जो प्रोजेक्ट डॉल्फिन (2020) के तहत किया गया, ने गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी घाटियों में कुल 6,327 डॉल्फिन की आबादी का अनुमान लगाया है।
डॉल्फिन सर्वेक्षण की मुख्य बातें:
- गंगा नदी डॉल्फिन की संख्या:
- कुल 6,324 गंगा नदी डॉल्फिन दर्ज की गईं।
- इंडस नदी डॉल्फिन की संख्या केवल 3 पाई गई।
- गंगा नदी डॉल्फिन का वितरण: ये डॉल्फिन गंगा नदी, उसकी सहायक नदियों, ब्रह्मपुत्र नदी, ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियों और ब्यास नदी में पाई गईं।
- सर्वेक्षण का नेतृत्व:
- यह पहला सर्वेक्षण था, जिसे भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India) और विभिन्न राज्यों के वन विभागों ने मिलकर किया।
- यह सर्वेक्षण 2020 में शुरू किए गए ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन‘ के अंतर्गत किया गया।
- अगला सर्वेक्षण चार वर्षों के बाद किया जाएगा।
- डॉल्फिन की सबसे अधिक संख्या कहां पाई गई?
- उत्तर प्रदेश (सबसे ज्यादा चंबल नदी में)।
- इसके बाद बिहार, पश्चिम बंगाल और असम में भी बड़ी संख्या दर्ज की गई।
- ध्वनिक (Acoustic) सर्वेक्षण तकनीक: शोधकर्ताओं ने नाव से यात्रा करते हुए ध्वनिक हाइड्रोफोन (Acoustic Hydrophone) का उपयोग किया। यह उपकरण डॉल्फिन द्वारा उत्सर्जित ध्वनि तरंगों को पकड़ता है, जिससे उनकी उपस्थिति और संख्या का पता लगाया गया।
सर्वेक्षण कवरेज:
- आठ राज्यों में 28 नदियों को कवर किया गया, जो 8,507 किलोमीटर तक फैली हुई हैं।
गंगा नदी डॉल्फिन के बारे में जानकारी:
- गंगा नदी डॉल्फिन क्या है?
- यह एक मीठे पानी की नदी डॉल्फिन है और दुनिया की कुछ गिनी-चुनी नदी डॉल्फिन प्रजातियों में से एक है।
- इसे “सुसु“ भी कहा जाता है, क्योंकि यह सतह पर आते समय “सुसु” जैसी आवाज निकालती है।
- कहां पाई जाती है?
- गंगा–ब्रह्मपुत्र–मेघना और कर्णफुली–सांगू नदी प्रणालियों में पाई जाती है।
- भारत, नेपाल और बांग्लादेश की नदियों में मिलती है।
- अपने मूल क्षेत्र के कई हिस्सों से विलुप्त हो चुकी है।
- मुख्य विशेषताएँ:
- अंधी डॉल्फिन: इसकी आंखों में लेंस नहीं होता, इसलिए यह गूंज–स्थानिकी (Echolocation) के माध्यम से रास्ता खोजती और शिकार करती है।
- यह मछलियों का शिकार करती है और मुख्य नदी चैनलों में विपरीत धारा (Counter-current system) वाले क्षेत्रों को पसंद करती है।
- हर 30-120 सेकंड में सतह पर आती है, क्योंकि यह पूरी तरह पानी के नीचे नहीं रह सकती।
- संरक्षण स्थिति और राष्ट्रीय मान्यता:
- IUCN रेड लिस्ट: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची–I प्रजाति (सबसे उच्च स्तर की सुरक्षा प्राप्त)।
- राष्ट्रीय जलीय पशु– 2009 में घोषित किया गया।